रांची : ज़ेवियर समाज सेवा संस्थान (एक्सआईएसएस), रांची ने यूएस काउंसेल जनरल इन कोलकाता, मेलिंडा एम. पावेक के साथ एक संवाद सत्र का आयोजन मंगलवार को अपने परिसर में किया। मौके पर यूएस काउंसेल जनरल इन कोलकाता के सहयोगी पॉलिटिकल/ इकोनोमिक ऑफिसर, ट्रेविस काबेरली; इकोनोमिक स्पेशलिस्ट संगीता डे चंदा; मीडिया स्पेशलिस्ट दीपा दत्ता एवं फ़ॉरेन सर्विस नेशनल इंवेस्टिगटोर अभिजीत शर्मा भी उपस्थित थे।
निदेशक डॉ जोसेफ मरियानुस कुजुर एसजे ने इस संवाद सत्र के लिए एक्सआईएसएस को चुनने के लिए सुश्री मेलिंडा को धन्यवाद दिया। उन्होने समाज सेवा भाव के मूल घटक के साथ 1955 में इस संस्थान की विनम्र शुरुआत को याद करते हुए, आज संस्थान के प्रासंगिक विज़न और मिशन पर प्रकाश डाला और शिक्षा एवं सामाजिक के क्षेत्र में संस्थान की भूमिका के बारे में बताया।
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डॉ कुजूर ने कोविड-19 के प्रतिकूल परिस्थितियों के दौरान राज्य और जिला स्तर पर किए गए संस्थान के हस्तक्षेपों पर प्रकाश डाला और कहा: “2010 से संस्थान में कई परियोजना प्रस्तावों को विकसित किया गया है जिनका मूल कई आदिवासी मुद्दों पर ध्यान केन्द्रित करवाना था। हमनें विस्थापन, प्रवासन, आजीविका संबंधी चिंताओं, जलवायु परिवर्तन, शांति और सुलह जैसे आदिवासी मुद्दों के साथ कई प्रबंधन के मुद्दों पर भी ध्यान केंद्रित किया है। धर्म, रूपांतरण और पहचान नाम की मेरी किताब में भी इस मुद्दे पर गहराई से प्रकाश डाला गया है।”
संस्थान के भविष्य की योजनाओं के बारे में बताते हुए उन्होंने आगे कहा: “हम यूएस काउंसेल के साथ भविष्य में सहयोग की आशा करते हैं। संस्थान जल्द ही खुद को एक विश्वविद्यालय में विस्तारित करने की योजना बना रहा है और जिसका आधारभूत कार्य चल रहा है। विश्वविद्यालय में एक्सआईएसएस , जेवियर इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटेक्निक एंड टेक्नोलॉजी (एक्सआईपीटी), नर्सिंग, कृषि, सेंटर फॉर डायलॉग, सेंटर फॉर रिसर्च स्टडीज आदि के क्षेत्र के अन्य तकनीकी संस्थान भी शामिल होंगे। भविष्य में इसे ध्यान में रखते हुए आगे बढ़ने की हमारी योजना है। हम विज़न 2025 पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं जो शैक्षिक दृढ़ता, उद्योग इंटरफ़ेस, पूर्ववर्ती छात्रों के साथ बेहतर संबंध और संस्थान और छात्रों के नेतृत्व वाली गतिविधियों को सुनिश्चित करता है,” उन्होंने अपनी बात समाप्त करते हुए कहा।
सत्र में, सुश्री मेलिंडा ने शिक्षाविदों के साथ सीखने और संलग्न होने और भारत-अमेरिका संबंधों को बढ़ावा देने के लिए अपनी यात्रा के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा की और कहा, “शिक्षा वह जगह है जहां हम अपने छात्रों को तार्किक विचार प्रक्रियाओं और तरीकों को सिखाकर गलत सूचनाओं का मुकाबला करने के लिए सचेत करना शुरू करते हैं। उन्हें सामाजिक रूप से जागरूक पेशेवर बनने में मदद करने के लिए हम उन्हे अनुसंधान करने, अपने स्वयं के पूर्वाग्रहों की पहचान करने, जिज्ञासा के माध्यम से अपने और अन्य सांस्कृतिक मानदंडों तक पहुंचने के लिए प्रेरित करते हैं। इसके माध्यम से हम विभिन्न समूहों को एक साथ लाते हैं, समानताएं, विशिष्टता को निखारते हुए एक बेहतर समाज का निर्माण करते हैं। भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका दोनों ने महसूस किया है कि हमारे पास जो तकनीक है, उसके साथ हम सकारात्मक या नकारात्मक दिशा में जा सकते हैं। हमारा ध्येय ‘वी’ द पीपुल, ‘वी’ द नेशन और ‘वी’ द एलाईज़ पर केन्द्रित है जो बेहतरीन पेशेवर बनाने में सहयोगी है।”
इस संवाद-सत्र में संस्थान के फ़ैकल्टी के साथ सुश्री मेलिंडा ने भारत-अमेरिका के बीच शैक्षणिक संबंधों, सहयोगी परियोजनाओं के माध्यम से अमेरिका में उच्च शिक्षा प्राप्त हेतु संस्थान के छात्रों के भविष्य की संभावनाओं, क्रॉस-डिसिप्लिनरी लर्निंग, सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रमों और आसान वीज़ा प्रक्रिया के अवसरों की खोज पर भी चर्चा की।
डॉ प्रदीप केरकेट्टा एसजे, सहायक निदेशक ने धन्यवाद प्रस्ताव दिया, और भविष्य में संस्थान के साथ उनके सहयोग की आशा भी व्यक्त की। संवाद सत्र में डॉ अमर ई. तिग्गा, डीन अकादमिक; फा. फ्रांसिस डेविड कुल्लू, वित्त अधिकारी; डॉ हिमाद्री सिन्हा, डॉ रमाकांत अग्रवाल, डॉ पिनाकी घोष, डॉ अरूप मुखर्जी, डॉ. महुआ बनर्जी जो क्रमशः ग्रामीण प्रबंधन, मानव संसाधन प्रबंधन, विपणन प्रबंधन, वित्तीय प्रबंधन और सूचना प्रौद्योगिकी प्रबंधन के कार्यक्रम प्रमुख हैं और डॉ अनंत कुमार, फुलब्राइट के पूर्व छात्र और एसोसिएट प्रोफेसर भी उपस्थित थे।
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