Diwali2021 : प्रदोष काल में दिवाली पूजन देता है,शुभ फल

Diwali2021 : हिन्दी महीने के कैलेण्डर के अनुसार यह त्योहार कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है। इस तिथि में धन की अधिष्ठात्री देवी महालक्ष्मी और शुभत्व प्रदान करने वाले देवता गणेश देव का पूजन विशेष रूप किया जाता है। बड़ी दीपावली गुरूवार को मनाई जाएगी। इस दिन लोग अपने घरों की सफाई कर सूर्यास्त के बाद दीप प्रज्जवलित करते हैं।

दीपावली पूजन मुहूर्त

एक गृहस्थ के दीपावली पूजन के सबसे उत्तम मुहुर्त सूर्यास्त के बाद गोधूलि बेला से प्रदोष काल तक होता है। इसका मतलब सूर्यास्त से दो घंटे बाद तक पूजा करना श्रेष्ठ होता है। इस समय स्थित वृष लग्न मिलेगी, गोधूलि बेला और प्रदोष काल मिलेगा, जो पूजन के लिए शुभ समय है।

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इसके बाद अर्धरात्रि में निशीथ काल रात लगभग 11:30 से 12:30 बजे तक होगा। इसमें एक-दो मिनट का अंतर हो सकता है। इसमें तांत्रिक पूजा होती है। बहुत से भक्त अपने मंत्रों को भी जगाते हैं।

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अमावस्या तिथि 4 नवम्बर प्रातः 6:03 मिनट से प्रारम्भ होकर 5 नवम्बर को प्रातः 2ः44 मिनट तक है । गुरूवार को चंद्रमा तुला राशि में होगा। तुला राशि का स्वामी शुक्र है। लक्ष्मी जी की पूजा करने से शुक्र अधिक शुभ फल देता है। शुक्र ग्रह धन और भौतिक सुख-सुविधाओं का कारक ग्रह है।

लक्ष्मी पूजन प्रदोष काल और स्थिर वृषभ लग्न व सिंह लग्न में करना श्रेष्ठ होता है । अकाली पूजा अमावस्या की मध्य रात्रि में करना श्रेष्ठ है। इस वर्ष शुभ मुहूर्त इस प्रकार है।

प्रदोष काल – शाम 05ः21 मिनट से 07ः57 मिनट तक है।

वृषभ लग्न शाम 05ः57मिनट से 07ः53 मिनट तक है।

सिंह लग्न- रात्रि 12ः 27 मिनट से – 02ः 42 मिनट तक

महानिशीथ काल- रात्रिकाल 11ः24 से 12ः16 मिनट तक है।

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