यूपी के लोग, और वहां के विभिन्न पार्टियों के लोग भी चाहते हैं की वहां एक (Population Control Bill) जनसंख्या नियंत्रण कानून लागू हो जाए। लेकिन लोग अचानक ये क्यों चाह रहे हैं?
जनसंख्या इतनी तेज़ी से बढ़ रही है, की भारत के लिए इसे कंट्रोल करना एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। इसी वजह से देश की अलग अलग सरकारें अपने प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण कानून लघु करने का प्रस्ताव रख रही हैं। आजकल ये बिल इसीलिए भी चर्चा में है क्योंकि यूपी में भाजपा के सांसदों ने राज्यसभा में एक बिल पेश किया है : प्राइवेट मेंबर बिल.
क्या है (Population Control Bill) जनसंख्या नियंत्रण कानून?
इस बिल में यह कहा गया है की जिनके दो या उससे अधिक बच्चे होंगे, उन्हे सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। और तो और, जो लोग इस बिल का उलंघन करेंगे, उन्हे मतदान से वंचित रखा जायेगा। साथ ही उन्हे नौकरी से निकलने, राजनीतिक पार्टी का गठन करने, और चुनाव लडने से भी वंचित रखा जायेगा।
लेकिन प्रावधान में ये भी है की जिनका एक ही बच्चा होगा, उन्हे सरकारी नौकरियों में वरीयता भी मिल सकती है।
क्यों है यूपी का (Population Control Bill) जनसंख्या नियंत्रण कानून चर्चे में?
11 जुलाई को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आदित्यनाथ योगी ने प्रदेश के जनसंख्या नीति का प्रस्ताव रखा। गौरतलब है की इस दिन विश्व जनसंख्या दिवस भी मनाया जाता है। उन्होंने अपनी जनता से 19 जुलाई तक इस विषय पे अपना मत देने को कहा था। बिल का उद्देश्य है यूपी के जन्म दर को 2.1 प्रति हजार जनसंख्या तक लेकर आना, 2026 से पहले। फिलहाल राज्य का जन्म दर 2.7 प्रति हजार है।
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17 अगस्त को लॉ कमीशन ने योगी जी को जनसंख्या नियंत्रण बिल का फाइनल ड्राफ्ट सौंप दिया था।
यह एक्ट लाघू होने के बाद उत्तर प्रदेश में दो से अधिक संतान पैदा करने वाले सरकारी नौकरियों में आवेदन भी नही दे पाएंगे, और ना ही उन्हे प्रमोशन मिलेगी।
जिनके दो से अधिक बच्चे होंगे, उनको सरकार की 77 योजनाओं से वंचित रखने का प्रावधान भी है।
अगर ये कानून लघु हो गया, तो सभी सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों को एक शपथ पत्र देना होगा की वे इस बिल का उलंघन नही करेंगे।
अगर कानून लागू होते समय उनके दो ही बच्चे हैं, लेकिन शपथ लेने के बाद दो से ज्यादा बच्चे हुए, तो वे इलेक्शन नही लड़ पाएंगे। और साथ ही उनका भी निर्वाचन रद्द हो जायेगा। इसके साथ साथ सरकारी नौकरी वाले लोगों का प्रमोशन रोकने और नौकरी से निकालने तक की भी बात की जा रही है।
किन किन राज्यों में पहले से लाघू है टू चाइल्ड पॉलिसी?
मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में पहले से ही टू चाइल्ड पॉलिसी लाघू है। मध्य प्रदेश में साल 2001 से ही टू चाइल्ड पॉलिसी का पालन किया जा रहा है। राजस्थान में भी राजस्थान पंचायती राज अधिनियम,1994 के पास होने के बाद वहां उन लोगों को सरकारी नौकरी नहीं मिलती जिनके दो या दो से अधिक बच्चे हैं। महाराष्ट्र सिविल सेवा (छोटे परिवार की घोषणा) निगम, 2005 के पास होने के बाद, जिनके दो से ज्यादा बच्चे हैं, उन्हे सरकारी सेवाओं में जाने का अवसर नहीं मिलेगा।
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