इन के लिए बन सकता है स्लो पोइजन
न्यूट्रिशनिस्ट और वैलनेस एक्सपर्ट वरुण कत्याल (Varun Katyal, Nutritionist And Wellness Expert) के अनुसार पपीते में फाइबर की मात्रा अधिक होने की वजह से यह कब्ज रोगियों के लिए फायदेमंद हो सकता है। लेकिन इसमें मौजूद लेटेक्स पेट में जलन, दर्द और परेशानी के साथ पेट की खराबी का कारण भी बन सकता है। इसमें मौजूद फाइबर दस्त का कारण बन सकता है, जिससे व्यक्ति के शरीर में पानी की कमी भी हो सकती है।
पपीता खाने के साइड इफेक्ट्स-
गर्भवती महिलाओं के लिए नुकसानदेह-
पपीते में लेटेक्स की मात्रा अधिक होने की वजह से यह गर्भाशय के सिकुड़ने का कारण बन सकता है। पपीते में मौजूद पपेन शरीर की उस झिल्ली को नुकसान पहुंचा सकता है जो भ्रूण के विकास के लिए आवश्यक होती है।
और पढ़ें : मलाइका अरोड़ा के हाथ में काले रंग की पानी बोतल देख सभी पूछ रहे अजीब सवाल
पाचन मुद्दों का कारण-
पपीते में प्रचूर मात्रा में फाइबर पाया जाता है। जो कब्ज जैसी समस्या में राहत देने के साथ आपके पेट को खराब करने का कारण भी बन सकता है। दरअसल, पपीते के छिलके में मौजूद लेटेक्स पेट को अपसेट करके पेट दर्द का कारण भी बन सकता है।
कम हो सकता है ब्लड शुगर-
पपीता ब्लड शुगर लेवल को कम कर सकता है, जो डायबिटीज रोगियों के लिए खतरनाक साबित हो सकता है। मधुमेह रोगियों को डॉक्टर से पूछने के बाद ही पपीते का सेवन उचित मात्रा में करना चाहिए।
एलर्जी की संभावना-
पपीते में मौजूद पपेन से एलर्जी होने की संभावना बनी रहती है। पपीते के अधिक सेवन से सूजन, चक्कर आना, सिरदर्द, चकत्ते और खुजली जैसी समस्याएं रिएक्शन के तौर पर दिख सकती हैं।
इसे भी देखें : आप दांत के बीमारी से परेशान हैं या आपके बच्चों के दांतो में सड़न हो रही हो तो पूरी वीडियो जरूर देखें
जन्मजात दोष का बन सकता है कारण-
पपीते के पत्तों में मौजूद पेपीन बच्चे के लिए धीमा जहर का काम कर सकता है। इतना ही नहीं इससे जन्मजात दोष भी पैदा हो सकते हैं। स्तनपान के दौरान पपीता खाना कितना सुरक्षित है इस बारे में भी अब तक बहुत कुछ पता नहीं चल पाया है। लिहाजा बच्चे के जन्म से पहले और जन्म के बाद भी जब तक मां, बच्चे को अपना दूध पिलाती है उन्हें पपीता खाने से बचना चाहिए।
बच्चों के लिए असुरक्षित
बाल विशेषज्ञों की मानें तो एक साल से कम उम्र के बच्चे को पपीता नहीं खिलाना चाहिए। दरअसल, छोटे बच्चे पानी बहुत कम पीते हैं। ऐसे में पर्याप्त पानी के सेवन के बिना उच्च फाइबर वाला ये फल मल को कठोर बना देता है, जिससे बच्चों को कब्ज की शिकायत हो सकती है।
This post has already been read 10519 times!