खूंटी । झारखंड विधानसभा में इस बार भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के दो ही आदिवासी चेहरे नजर आएंगे। ये हैं खूंटी से विजयी नीलकंठ सिंह मुंडा और तोरपा से जीते कोचे मुंडा। झारखंड विधानसभा अनुसूचित जनजातियों के लिए 28 सीटें आरक्षित हैं। विधानसभा चुनाव के पूर्व इन 28 सीटों में 22 पर जीत का दावा करने वाली भाजपा महज दो सीटों पर सिमट कर रह गई। सूबे के ग्रामीण विकास और संसदीय कार्य मंत्री रह चुके नीलकंठ सिंह मुंडा लगातार पांचवीं बार चुनाव जीते हैं।कोचे मुंडा झामुमो से तोरपा सीट छीनने में सफल रहे। इसके पूर्व वे भी दो बार तोरपा से विधायक रह चुके हैं।
भाजपा को जनजातियों के लिए आरक्षित 26 सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा पर संतोष की बात रही कि दो सीटों को छोड़ अन्य सभी जगहों पर पार्टी के उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे। बोरियो सीट से सूर्य नारायण हांसदा झामुमो के हेमंत सोरेन से हार गये। दुमका में भी हेमंत सोरेन ने भाजपा की लुईस मरांडी को मात दी। जामा से भाजपा के सुरेष मुर्मू, सरायकेला से गणेष महली और चाईबासा से जेबी तुबिद को भी हार का मुंह देखना पड़ा।
इसी प्रकार मझगांव से भूषण पाट पिंगुवा, जगन्नाथपुर से मंगल सिंह बोबोंगा, मनोहरपुर से गुरुचरण नायक, मांडर से देव कुमार धान, सिसई से विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष दिनेष उरांव भी विपक्षी उम्मीदवारों के समक्ष टिक नहीं सके। गुमला में भी मिसिर कुजूर, विषुनपुर से अषोक उरांव, चक्रधरपुर से पार्टी के प्रदेष अध्यक्ष लक्षमण गिलुवा, खरसावां से जवाहर लाल बानरा, तमाड़ से रीता मुंडा, सिमडेगा से श्रद्धानंद बेसरा को भी करारी षिकस्त का सामना करना पड़ा। कोलेबिरा से सुजन जोजो, खिजरी से रामकुमार पाहन, घाटषिला से लखन मार्डी, पोटका से मेनका सरदार और मनिका से रघुपाल सिंह भी विधानसभा तक पहुंचने में नाकाम रहे।
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