नई दिल्ली । उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने भारत को ज्ञान एवं नवाचार का एक अग्रणी केन्द्र बनाने के लिए शिक्षण से लेकर अनुसंधान तक की समूची शिक्षा प्रणाली में व्यापक बदलाव लाने का आह्वान किया। उन्होंने आरक्षण के माध्यम से महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण और 10वीं कक्षा तक की पढ़ाई मातृभाषा में देने की आवश्यकता पर भी विशेष बल दिया।
नायडू ने सोमवार को जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) के तीसरे वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए इस ओर ध्यान दिलाया कि भारत को एक समय ‘विश्वगुरु’ माना जाता था। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत एक बार फिर शिक्षण के वैश्विक केन्द्र के रूप में उभर कर सामने आए। उन्होंने विश्वविद्यालयों एवं उच्च शिक्षण संस्थानों से शिक्षा की अपनी विधियों में पूरी तरह से बदलाव लाने का आग्रह करते हुए कहा कि जेएनयू के साथ-साथ भारत के अन्य विश्वविद्यालयों को भी स्वयं को शीर्ष रैंकिंग वाले वैश्विक संस्थानों में शुमार होने के लिए अथक प्रयास करने चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि भारतीय सभ्यता ने सदैव शिक्षा के समग्र एकीकृत विजन पर विशेष जोर दिया है। उन्होंने जेएनयू जैसे विश्वविद्यालयों से देश की ताकत एवं कौशल स्तर को बढ़ाने का आह्वान करते हुए कहा कि सर्वांगीण उत्कृष्टता और वैश्विक एजेंडे की अगुवाई करने की क्षमता हमारा लक्ष्य होना चाहिए। उन्होंने देश के उच्च शिक्षण संस्थानों से विश्व के सर्वोत्तम संस्थानों से सीखने और सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि एक सभ्यता के रूप में हम सबसे ग्रहणशील समाजों में से एक हैं, जिसने विश्वभर के अच्छे विचारों का स्वागत किया है।
नायडू ने यह बात भी रेखांकित की कि भारत विकास के अनूठे पथ पर अग्रसर है। साथ ही उन्होंने कहा कि इस प्रयास में योगदान करने के लिए विद्यार्थियों के पास ‘अनंत अवसर’ हैं।
देश की विशाल अप्रयुक्त युवा आबादी का उल्लेख करते हुए नायडू ने कहा कि देश की आबादी में दो तिहाई युवा ही हैं, इसलिए गुणवत्तापूर्ण कौशल विकास और उच्च शिक्षण सुविधाओं तक उनकी पहुंच निश्चित तौर पर होनी चाहिए। उन्होंने विद्यार्थियों को यह स्मरण कराया कि वे महान संस्कृति और एक बहुलवादी व समग्र वैश्विक दृष्टिकोण के उत्तराधिकारी हैं। इसके साथ उन्होंने विद्यार्थियों को इस विरासत के उत्कृष्ट पहलुओं की अच्छी समझ विकसित करने और उनका संरक्षण तथा व्यापक प्रचार-प्रसार करने की सलाह दी। नायडू ने कहा कि आपको आस-पास रहने वाले लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने के लिए अपने ज्ञान एवं विवेक का उपयोग करने के लिए निरंतर प्रयास करना चाहिए।
उपराष्ट्रपति ने शिक्षा में व्यापक बदलाव लाने की अंतर्निहित क्षमता को रेखांकित करते हुए कहा कि यह सीखने वाले व्यक्ति में उल्लेखनीय बदलाव लाती है और सभी की भलाई के लिए ज्ञान का उपयोग करने की उत्कृष्ट क्षमता प्रदान करती है। उन्होंने निवर्तमान स्नातकों को साझा करने एवं देखभाल करने संबंधी भारत के प्रमुख दर्शन को अपनाने की सलाह दी। नायडू ने शिक्षा के जरिए महिलाओं के सशक्तिकरण की विशिष्ट अहमियत पर प्रकाश डालते हुए कहा कि यदि महिलाएं पीछे रह गईं तो कोई भी राष्ट्र प्रगति नहीं कर सकता है। उन्होंने संसद एवं राज्य विधानसभाओं में आरक्षण सुनिश्चित कर महिलाओं के राजनीतिक सशक्तिकरण की भी वकालत की।
वेंकैया नायडू ने महिलाओं के साथ-साथ हाशिये पर पड़े विद्यार्थियों के लिए विशेष दाखिला नीति अपनाने के लिए जेएनयू की सराहना की। उन्होंने 10वीं कक्षा तक की शिक्षा बच्चों की मातृभाषा में देने की आवश्यकता पर भी विशेष बल दिया। उन्होंने कहा कि हमें अपनी मातृभाषा में अपनी आरंभिक स्कूली शिक्षा प्राप्त करने वाले बच्चों को अतिरिक्त प्रोत्साहन देना चाहिए।
केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, जेएनयू के कुलाधिपति एवं नीति आयोग के सदस्य विजय कुमार सारस्वत और जेएनयू के कुलपति प्रो. जगदीश कुमार के अलावा भी कई अन्य गणमान्य व्यक्ति इस अवसर पर उपस्थित रहे।
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