जम्मू। आखिर जिसकी आशंका थी वही हुआ। यूरोपीयन यूनियन के सांसदों के कश्मीर दौरे से एक दिन पूर्व ही पाक के इशारे पर कश्मीर घाटी में मौजूद आतंकियों व अलगाववादी तत्वों ने दहशत फैलाना शुरू कर दिया ताकि जताया जा सके कि कश्मीर घाटी में सब कुछ ठीक नहीं है। इन दो दिनों में हुए आतंकी हमलों में 6 लोगों की जान गई जिसमें 5 श्रमिक पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद के रहने वाले थे और एक ट्रक ड्राईवर जम्मू-कश्मीर का रहने वाला था । इसके अलावा एक अन्य आतंकी हमले में 20 लोग घायल हुए हैं जिनमें से 6 की हालत गंभीर बनी हुई है। मंगलवार को सुबह आतंकियों ने दक्षिण कश्मीर के पुलवामा में पहले एक स्कूल के बाहर तैनात सुरक्षाकर्मियों पर हमला किया जिसमें स्कूली छात्र और सुरक्षाकर्मी बाल-बाल बच गए। इसके बाद अलगाववादी व शरारती तत्वों ने भी पाकिस्तान के इशारे पर यूरोपीय प्रतिनिधिमंडल के दौरे के दौरान कश्मीर में जबरन बंद करवाकर पथराव किया जिसके बाद सुरक्षाबलों व हिंसक प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में चार लोग घायल हो गए। इन घटनाओं के बाद कश्मीर जाने वाले सभी ट्रक जम्मू और ऊधमपुर में ही रोक दिए गए हैं जिसके चलते राष्ट्रीय राजमार्ग पर बुधवार को भी ट्रकों की लंबी कतारें लगी हुई हैं। मंगलवार की देर रात को पांच से छह आतंकी कुलगाम के कतरस्सु गांव में रह रहे गैर कश्मीरी श्रमिकों के डेरे पर पहुंचे और वहां मौजूद 6 मजदूरों को अपने साथ चलने को कहा। आतंकी उन्हें वहां से कुछ दूरी पर ले गए और फिर उनपर अंधाधुंध गोलियां चला दीं। आतंकियों के जाने के बाद ग्रामीणों ने पुलिस को सूचित करते हुए खून से लथपथ सभी श्रमिकों को निकटवर्ती अस्पताल पहुंचाया जहां डॉक्टरों ने पांच श्रमिकों को मृत घोषित कर दिया जबकि एक श्रमिक की श्रीनगर के अस्पताल में हालत गंभीर बनी हुई है। पांच श्रमिकों की हत्या के बाद कश्मीर घाटी में तनाव का माहौल बना हुआ है और अभी तक किसी भी आतंकी संगठन ने इस हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है। दूसरी ओर सुरक्षाबलों ने आतंकियों को मार गिराने का अभियान छेड़ा हुआ है। खबर लिखे जाने तक किसी भी आतंकी के पकड़े जाने या मारे जाने की सूचना नहीं है। रक्षा से जुड़े लोग बताते हैं कि पाकिस्तान व आतंकी नहीं चाहते कि भारत सरकार द्वारा जम्मू-कश्मीर से धारा 370 हटाये जाने के बाद दुनिया भर में यह संदेश जाए कि कश्मीर में शांति है व सब कुछ ठीक-ठाक चल रहा है। तब से लेकर पाकिस्तान प्रतिदिन भारतीय सीमा में आतंकियों की घुसपैठ करवाने के लिए सीज फायर का उल्लंघन कर रहा है और कश्मीर घाटी में मौजूद आतंकियों को ज्यादा से ज्यादा दहशत फैलाने के लिए कह रहा है। कश्मीर घाटी में सामान्य होता जा रहा जनजीवन न तो पाक, न तो आतंकवादियों और न ही अलगाववादियों को रास आ रहा है जिसके कारण ही पाक व उसके समर्थकों की बौखलाहट बढ़ती जा रही है। धारा 370 को हटाए जाने के साथ की भारत सरकार ने कश्मीर घाटी में मौजूद श्रमिकों, पर्यटकों व विद्यार्थियों को घाटी छोड़ने का निर्देश दिया था। यही नहीं अमरनाथ यात्रा व मचैल यात्रा को भी स्थगित कर दिया था जिसके चलते कश्मीर घाटी से सभी लोग बाहर निकल गए थे। कुछ दिन पूर्व ही भारत सरकार ने इस निर्देश को वापस लेते हुए पर्यटकों व अन्य लोगों का आहवान किया कि वह कश्मीर घाटी में फिर से आ सकते हैं। उल्लेखनीय है कि 13 साल बाद आतंकियों ने एक साथ दो या उससे ज्यादा संख्या में गैर कश्मीरी श्रमिकों की हत्या की है। इससे पूर्व 26 जून 2006 को आतंकियों ने कुलगाम के बुदरू इलाके में नौ श्रमिकों की गोली मारकर हत्या की थी। अगस्त 2000 में आतंकियों ने अनंतनाग जिले के मीर बाजार में 19 और मीर नौगाम में सात श्रमिकों की हत्या की थी। पिछले कुछ दिनों से कश्मीर घाटी में एक बार फिर बाहरी श्रमिकों व ट्रक चालकों पर आतंकी हमले तेज हुए हैं। 14 अक्टूबर को आतंकियों ने शोपिंया में राजस्थान के एक ट्रक चालक की गोली मारकर हत्या कर दी थी । 16 अक्टूबर को आतंकियों ने शोपियां के श्रीमाल इलाके में पंजाब के दो सेब व्यापारियों को गोली मारने के अलावा उनके ट्रक को आग लगा दी थी। इस हादसे में एक व्यापारी की मौके पर ही मौत हो गई थी जबकि दूसरे की श्रीनगर के एसएमएचएस अस्पताल में अभी भी हालत गंभीर बनी है। 16 अक्टूबर को ही आतंकियों ने पुलवामा में एक अन्य राज्य के श्रमिक की भी हत्या कर दी थी। 24 अक्टूबर को चित्रीगाम शोपियां में भी आतंकियों ने राजस्थान के दो ट्रक चालकों की हत्या करने के अलावा पंजाब के एक ट्रक चालक को बुरी तरह घायल कर दिया था। बाहरी श्रमिकों व ट्रक चालकों सहित फल व्यापारियों को आतंकियों द्वारा निशाना बनाने का एक ही मकसद है कि किसी तरह शांति होती रहे और कश्मीर घाटी में फिर से दहशत का माहौल बनाया जा सके। यूरोपीयन यूनियन के 27 सांसदों का जम्मू-कश्मीर दौरे का बुधवार को दूसरा दिन है। इस दौरे के दौरान वह नियंत्रण रेखा पर जाकर जमीनी हकीकत का जायजा ले सकते हैं और कई अन्य लोगों से मिल सकते हैं। मंगलवार को वह राज्यपाल सत्यपाल मलिक, प्रशासनिक अधिकारियों, सामाजिक संगठनों के प्रतिनिधियों व हाल ही में चुने गए ब्लाक विकास परिषद के सदस्य व सरपंचों से मिले थे। इसके साथ ही इस दल ने डल झील की सैर भी की थी। बताया जा रहा है कि अपने दौरे के अंतिम दौर में दिल्ली रवाना होने से पहले यह दल पत्रकारों को सम्बोधित कर अपने विचार भी रख सकता है।
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