खूंटी। जैसे-जैसे लोकसभा चुनाव का परिणाम आने में भले ही अभी एक दिन शेष है, पर उम्मीदवारों और उनके समर्थकों के दिल की धड़कनें काफी तेज हो गयी हैं। खूंटी(सु) सीट से भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। अन्य दलों की भूमिका वोट कटवा के अलावा कहीं कुछ नहीं दिखी। ऊपर से भले ही भाजपा और महागठबंधन के नेता अपने तर्कों और गणित के सहारे जीत के दावे कर रहे हों, पर दोनों ही खेमों में आत्मविश्वास की कमी साफ नजर आती है। दोनों ही उम्मीदवार और उनके समर्थक स्वीकार करते हैं कि मुकाबला काफी कड़ा है और ऊंट किस करवट बैठेगा, यह किसी को नहीं मालूम। भाजपा के एक वयोवृद्ध नेता अर्जुन मुंडा की जीत का दावा करते हुए कहते हैं कि भाजपा उम्मीदवार को लगभग पौने चार लाख वोट मिलेंगे, पर उनके पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि जब पूरे संसदीय क्षेत्र में लगभग आठ लाख 39 हजार वोट पड़े हैं, तो अन्य लगभग चार लाख 63 हजार वोट कहां जायेंगे, जबकि भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। ज्ञात हो कि खूंटी लोकसभा सीट से इस बार 11 दलीय-निर्दलीय उम्मीदवार किस्मत आजमा रहे हैं। झारखंड पार्टी, राष्ट्रीय सेंगेल पार्टी व अन्य दलीय और स्वतंत्र प्रत्याशी चुनाव प्रचार के दौरान न कहीं नजर आये और न ही इन्हें कोई गंभीर उम्मीदवार मान रहा है। कांग्रेस के एक बड़े नेता दावा करते हैं कि वे लगभग एक लाख मतों से जीत हासिले करेंगे। चुनावी भविष्यवाणी में भाजपा और कांग्रेस के नेताओं की बातों में एक बात की समानता जरूर नजर आती है कि दोनों दलों के अधिकतर नेता स्वीकार करते हैं कि सिमडेगा, खूंटी, तोरपा और कोलेबिरा विधानसभा क्षेत्र में महागठबंधन के उम्मीदवार कालीचरण मुंडा भाजपा से आगे रहेंगे, जबकि तमाड़ और खरसावां विधानसभा क्षेत्र में अर्जुन मुंडा को बंपर वोट मिलेंगे। भाजपा नेता दावा करते हैं कि तोरपा, खूंटी, कोलेबिरा और सिमडेगा से भाजपा और कांग्रेस के मतों के अंतर को सिर्फ खरसावां ही पूरा कर देगा। अब देखना है कि 23 मई को जनता जनार्दन किस मुंडा के सिर पर जीत का सेहरा सजाती है अर्जुन मुंडा या कालीचरण मुंडा।
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