नई दिल्ली। केंद्रीय वित्तमंत्री और भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) के वरिष्ठ नेता अरुण जेटली के अनुसार लोकसभा चुनाव 2019 में सबसे प्रमुख मुद्दा शक्तिशाली और सक्षम नेतृत्व का है। इस दृष्टि से नरेन्द्र मोदी के मुकाबले कोई भी विपक्षी नेता नहीं ठहरता। देश के सामने दो ही विकल्प हैं या तो मोदी या अराजकता।
लोकसभा चुनाव में मतदाताओं के समक्ष मौजूद विभिन्न मुद्दों पर अपने आलेख में जेटली ने कहा कि मोदी ने देश को नई राष्ट्रीय सुरक्षा नीति प्रदान की है। इस नीति के कारण भारत घरेलू मोर्चे पर केवल खुद को बचाता ही नहीं है बल्कि आतंकवाद को उसके उद्गम स्थल पर नष्ट करने का माद्दा भी रखता है। वर्ष 2016 में सर्जिकल स्ट्राइक और हाल में बालाकोट स्थित आतंकी शिविर पर की गई एयर स्ट्राइक मोदी की आतंकवाद विरोधी इस नीति और कार्रवाई से उनके आलोचक भी हैरान रह गए हैं।
जेटली ने मोदी और उनके राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों की तुलना करते हुए कहा कि जहां एक ओर राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन(राजग) में नेतृत्व के सवाल पर कोई मतभेद नहीं है, वहीं महागठबंधन में प्रधानमंत्री पद के अनेक दावेदार हैं। इन दावेदारों की अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाएं हैं और वे एक दूसरे की टांग खींचने में लगे हैं।
भाजपा नेता ने राहुल गांधी पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उनके राजनीतिक नेतृत्व को कई बार आंका गया औऱ वह हर बार फेल हुए। राहुल गांधी में राष्ट्रीय मुद्दों को समझने का सामर्थ्य ही नहीं है। वह भानुमति के कुनबे का नेतृत्व करने के लिए लालायित हैं। जेटली ने बहुजन समाज पार्टी(बसपा) की प्रमुख मायावती के बारे में कहा कि आने वाले दिनों में किस तरफ जाएंगी यह चुनाव परिणामों के बाद ही स्पष्ट होगा। मायावती की रणनीति बसपा को मजबूत करना औऱ कांग्रेस को कमजोर करना है।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बारे में जेटली ने कहा कि ममता एक ओर महागठबंधन की सूत्रधार बनना चाहती हैं। दूसरी ओर कांग्रेस और वामपंथी दलों के लिए पश्चिम बंगाल में एक भी सीट छोड़े के लिए तैयार नही हैं। कुल मिलाकर महागठबंधन हताश विपक्षी दलों की ओर से बनाया जा रहा मजबूरी का गठजोड़ है।
भाजपा नेता ने कहा कि लोकसभा चुनाव में नरेन्द्र मोदी के रूप में एक ऐसा नेता मौजूद है, जिस पर जनता विश्वास कर सकती है और जिसके हाथों सुरक्षित भारत अपनी विकास यात्रा जारी रख सकता है।
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