स्लो चार्ज होता है मोबाइल मतलब ये गलतियां कर रहे हैं आप

अक्सर लोगों को मोबाइल स्लो चार्ज होने की शिकायत रहती है। जाने-अनजाने वो कभी चार्जर तो कभी मोबाइल को दोष देने लग जाते हैं। हममे से कोई भी कभी यह नहीं सोचता कि मोबाइल को चार्ज करने का भी अपना एक तरीका होता है। आप में हर कोई चाहे सामान्य फोन इस्तेमाल कर रहे हो, एंड्रॉयड या फिर स्मार्ट फोन… चार्जिंग के दौरान कोई न कोई गलती करता ही है। आज हम अपनी खबर में आपको कुछ ऐसी ही गल्तियों को बारे में बताएंगे जिन्हें न करके आप अपने मोबाइल…

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सरायकेला विस : हैट्रिक लगा चुके चंपई सोरेन के लिए इसबार राह आसान नहीं

रांची । सरायकेला विधानसभा क्षेत्र झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) का गढ़ माना जाता है। इस सीट से झामुमो के दिग्गज नेता चंपई सोरेन तीन बार से लगातार विधानसभा चुनाव जीत रहे हैं। पिछले चुनाव में चंपई सोरेन ने भाजपा उम्मीदवार गणेश महाली को महज 1200 वोटों से हराया था। जानकार मान रहे हैं कि इसबार भी दोनों उम्मीदवारों के बीच मुकाबला जोरदार होगा। सरायकेला राजा-रजवाड़ों का शहर रहा है। देववंश के लोगों ने इस स्थान को सजाने और निखारने में अपनी भूमिका अदा की थी लेकिन अब तो न राजा रहे और ना ही उनकी विरासत, बस खंडहरों में…

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घर को खूबसूरत बनाने के लिए कैसे चुनें फर्नीचर

घर को खूबसूरत बनाने में सबसे बड़ा योगदान फर्नीचर का होता है। अगर फर्नीचर का चुनाव बेहतरीन है तो एक सिंपल से घर को भी बेहद खूबसूरत बनाया जा सकता है। फर्नीचर की खरीददारी के दौरान हमारी नजर पहले फर्नीचर की खूबसूरती व उसकी कीमत पर जाती है। लेकिन इन दो बातों पर गौर करके आप बेहतरीन फर्नीचर नहीं चुन सकते। तो चलिए जानते है कि बेहतरीन फर्नीचर का चयन कैसे करें। लकड़ी फर्नीचर खरीदते समय सबसे पहले लकड़ी का ध्यान रखें। अक्सर अच्छी लकड़ी से बनाया गया फर्नीचर बहुत…

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प्राकृतिक सुंदरता और रुमानियत के बीच बिताना चाहते हैं समय, तो जांए मुरुदेश्वर

मुरुदेश्वर उन लोगों के घूमने के लिए बहुत खास जगह है, जिनके पास समय की कमी है और वे अपने जीवन के थोड़े से पल भीड़ और शोरगुल से दूर शांत लेकिन प्राकृतिक सुंदरता और रुमानियत के बीच बिताना चाहते हैं। मुरुदेश्वर इस चाहत को पूरा करता है। वैसे भी गोवा में बढ़ती भीड़ ने लोगों को नए बीच एक्सप्लोर करने की आजादी भी दी है। मुरुदेश्वर के बीच स्कूबा डाइविंग के लिए भी प्रसिद्ध हैं। साथ ही मंदिर भी यहां काफी हैं। इस लिहाज से धर्म प्रेमियों के लिए…

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मैं ब्रह्म नहीं, अल्प, चेतन व बद्ध जीवात्मा हूं

-मनमोहन आर्य- हम इस जड़-चेतन संसार में रहते हैं। यह सारा जगत हमारा परिवार है। सभी जड़ पदार्थ हमें अपने गुणों से लाभ पहुंचाते हैं। हमें पदार्थों के गुणों को जानना है और जानकर उनका सदुपयोग करना है। हमारे वैज्ञानिकों ने यह कार्य सरल कर दिया है। उन्होंने जड़ पदार्थों को अन्यों की तुलना में कहीं अधिक जाना है और सभी पदार्थों के गुणों को जानकर उन्हें मानव जीवन को सहयोगी बनाने के लिए अनेक सुख-सुविधाओं की वस्तुएं बनाई हैं। उनके इस कार्य से हमारे पर्यावरण को भी हानि पहुंची…

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(बाल कहानी) यह कैसी मित्रता

-प्रभुदयाल श्रीवास्तव- गणेशी के खेत में बने तीन कमरों के घर में चिंकू चूहे ने अपना निवास बना लिया था। घर के ठीक सामने दो ढाई सौ फुट की दूरी पर एक नीली नदी बहती थी। नदी थी तो पहाड़ी परन्तु मार्च महीने तक उसमें भरपूर पानी रहता था। बरसात में तो पानी खेत की मेढ तक ठहाके लगाकर खेत के भीतर तक घुसने की धमकी देता रहता। चिंकू जब घर में धमाचैकड़ी करते करते उकता जाता तो नदी की तरफ दौड़ जाता और किनारे पर बैठकर कल कल छल…

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लम्बा जीना है तो पैदल चलो

-डॉ. दीपक आचार्य- जो लोग शरीर के कहे अनुसार चलते हैं वे जल्दी ही थक जाया करते हैं। इसके विपरीत जो लोग शरीर को अपने अनुसार चलाते हैं उनका शरीर लम्बे समय तक चलता है और स्वस्थ भी रहता है। अपना शरीर घोड़े की तरह है जिसे मन के संकल्पों की सुदृढ़ लगाम से संचालित किए जाने पर वह लम्बे समय तक काम करने लायक रहता है। और ऐसा नहीं करने पर वह हमें भार स्वरूप और बोझ मानकर हमारा साथ छोड़ देता है। श्वास-प्रश्वास से लेकर पिण्ड और ब्रह्माण्ड…

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दूसरे चरण में भाजपा व झामुमो के सामने सीटिंग सीट बचाने की चुनौती

रांची। झारखंड विधानसभा चुनाव के दूसरे चरण में भाजपा और झामुमो के सामने अपनी सीटें बचाने की चुनौती है। दूसरे चरण की 20 विधानसभा सीटों पर 07 दिसंबर को चुनाव हो रहे हैं। माना जा रहा है कि इस फेज के चुनाव में जो बाजी मारेगा सत्ता की बागडोर उसी के हाथों में होगी। झामुमो-भाजपा की आठ-आठ सीटें इस चरण के चुनाव में भाजपा और झामुमो का शक्ति संतुलन लगभग बराबर है। 2014 के चुनाव में इन 20 सीटों में से भाजपा और झामुमो आठ-आठ पर काबिज हैं। दोनों के सामने अपनी जीती हुई सीटों को बरकरार रखने की चुनौती है। जबकि, दो सीटें आजसू…

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व्यंग्य : रूसी भाषा में शपथ लूं, तो चलेगा?

-अशोक मिश्र- बंगाल में बड़े भाई को कहा जाता है दादा। ऐसा मैंने सुना है। उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में दादा पिताजी के बड़े भाई को कहते हैं। बड़े भाई के लिए शब्द दद्दा प्रचलित है। समय, काल और परिस्थितियों के हिसाब से शब्दों के अर्थ बदलते रहते हैं। आज दादा का मतलब क्या है, यह समझाने की नहीं, समझने बात है। वैसे अब दादा का समानार्थी कहिए, पर्यायवाची कहिए, नेताजी हो गया है। मेरे गांव नथईपुरवा में रहते हैं मुसद्दी लाल। पहले वे दो-चार चेले-चपाटों के बल पर…

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किनारे की चट्टान: पहाड़ का दर्द

-अलकनंदा साने- सुदूर हिमाचल प्रदेश से कोई कवि जब अपनी किताब भेजता है, तो उसका आनंद कुछ और ही होता है और फिर उस काव्य संग्रह की कविताएं बेहतरीन हों तो यह आनंद द्विगुणित हो जाता है। युवा कवि पवन चैहान के काव्य संग्रह किनारे की चट्टान जब मेरे हाथ में आया तो मेरा यही अनुभव था। पवन चैहान से मेरा परिचय सोशल साइट की वजह से है और यह इस माध्यम की एक खूबसूरत उपलब्धि कही जा सकती है। बहरहाल जिस दिन यह संग्रह हाथ में आया, मैं एक…

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