प्राकृतिक सुंदरता और रुमानियत के बीच बिताना चाहते हैं समय, तो जांए मुरुदेश्वर

मुरुदेश्वर उन लोगों के घूमने के लिए बहुत खास जगह है, जिनके पास समय की कमी है और वे अपने जीवन के थोड़े से पल भीड़ और शोरगुल से दूर शांत लेकिन प्राकृतिक सुंदरता और रुमानियत के बीच बिताना चाहते हैं। मुरुदेश्वर इस चाहत को पूरा करता है। वैसे भी गोवा में बढ़ती भीड़ ने लोगों को नए बीच एक्सप्लोर करने की आजादी भी दी है। मुरुदेश्वर के बीच स्कूबा डाइविंग के लिए भी प्रसिद्ध हैं। साथ ही मंदिर भी यहां काफी हैं। इस लिहाज से धर्म प्रेमियों के लिए यह स्थान काफी सही है। अरब सागर के तट पर स्थित यह कर्नाटक के सबसे सुंदर बीचों में से एक है।

मुरुदेश्वर मंदिर

मुरुदेश्वर एक छोटा सा बेहद हसीन बीच शहर है, जहां काफी संख्या में पर्यटक मंदिरों के दर्शन और पवित्र स्नान के लिए पहुंचते हैं। इस शहर का नाम भगवान शिव के नाम पर पड़ा है। मुरुदेश्वर विश्व की दूसरी सबसे बड़ी शिव मूर्ति के लिए भी जाना जाता है। 123 फुट ऊंची भगवान शिव की मूर्ति यहां का मुख्य आकर्षण है। मुरुदेश्वर मंदिर में भगवान शिव का आत्मलिंग स्थापित है। इस मंदिर के बाहर भी शिव जी की मूर्ति बनी हुई है, जिसे पूरा करने में करीब दो साल लग गए। मूर्ति का निर्माण इस कदर किया गया है कि सूरज की किरणें इस पर पड़ती रहती हैं और मूर्ति हमेशा चमकती रहती है। अरब सागर से भी इस मूर्ति को देखा जा सकता है। राजा गोपुरा एक टाॅवर है, जिसे यहीं के आर. एन शेट्टी नामक बिजनेसमैन ने बनवाया है। इसे विश्व का सबसे ऊंचा गोपुरा माना जाता है। यह 249 फुट ऊंचा है। द्वार के दोनों ओर सजीव हाथी के बराबर ऊंची हाथी की मूर्तियां देखी जा सकती हैं। यह मुरुदेश्वर मंदिर का प्रवेश द्वार है। इसकी 18वीं मंजिल पर प्रदर्शनी गैलरी भी है, जहां से आस-पास के विहंगम दृश्य को देखा जा सकता है। साथ ही भगवान शिव की मूर्ति का भी बेहतरीन दर्शन करने को मिलता है।

मुरुदेश्वर बीच

यह बीच किसी भी अन्य दूसरे बीच की भांति बेहद खूबसूरत है। यहां भी खाने के स्टॉल दिख जाएंगे। सुबह-सुबह बीच पर जाकर सूर्योदय देखने का आनंद ही कुछ और है। यहां की रेत का रंग सिल्वर है और बीच के पीछे पश्चिमी घाट इसकी खूबसूरती को बढ़ाते हैं।

नेत्रानी आईलैण्ड

मुरुदेश्वर बीच से करीब सवा घंटे की दूरी पर नेत्रानी आईलैण्ड है, जहां पहुंचने के लिए आपको बोट की सवारी करनी पड़ती है। यह बेहद छोटा दिल के आकार का द्वीप है, जहां आप शायद पहली बार में उतरना नहीं चाहेंगे। यहां किनारे पर नाविक नाव को लगा देते हैं और आप अपने स्नोरकेल मास्क के साथ कूद सकते हैं। स्नोरकेलिंग के असली लुत्फ के बारे में वही बता सकता है, जिसने इसका अनुभव लिया होगा। यहीं स्कूबा डाइविंग भी है, जिसे जरूर करना चाहिए। यहां प्रोफेशनल लोगों द्वारा स्कूबा डाइविंग के कोर्स भी कराए जाते हैं। डाइविंग के दौरान आपको बटरफ्लाई फिश, एंजेल फिश, गोट फिश, लायन फिश, बैट फिश, स्कॉर्पियन फिश, ग्रुपर्स, स्नैपर्स, डैमसेल्स, गोबीज जैसे कई समुद्री प्राणी दिख जाएंगे। व्हेल, शार्क और कोरल की कई प्रजातियां भी दिखेंगी।

क्या खाएं

किसी भी अन्य समुद्री क्षेत्र की तरह यहां के सीफूड का स्वाद ही निराला है। इसके अलावा यहां के भोजन में कोंकणी स्वाद मिलता है। डोसा, उपमा, मेदूवडा, कई फ्लेवर के मिल्कशेक का स्वाद जरूर लें।

कब जाएं

गर्मियों में मुरुदेश्वर काफी गर्म रहता है, इसलिए मार्च से मई महीने के बीच यहां न ही जाएं तो बेहतर है। सर्दियों में मौसम काफी रुमानी रहता है। सर्दियां शुरू होने के ठीक पहले भी यहां का मौसम खुशनुमा रहता है। सितम्बर से लेकर फरवरी तक का महीना यहां जाने के लिहाज से बेहतरीन है।

कैसे जाएं

यहां का नजदीकी एयरपोर्ट मैंगलोर है। मैंगलोर यहां से करीब 165 किलोमीटर दूर है। इसलिए मैंगलोर से मुरुदेश्वर जाने का कोई मतलब नहीं बनता। हां, मुरुदेश्वर कोंकण रेलवे से अच्छे से जुड़ा है, जो गोवा से आगे जाकर मुंबई तक जाता है। पुणे से मुरुदेश्वर की सड़क यात्रा करीब 600 किलोमीटर की है। बेंगलूरू, मुंबई, पुणे, हुबली, गोवा से मुरुदेश्वर बस के जरिए भी जुड़ा हुआ है।

सैर सपाटा/मुरुदेश्वर

गोवा के समुद्री तट देख लिए, ऊटी भी चले गए, नैनीताल भी घूम लिया लेकिन मुरुदेश्वर गए क्या? कर्नाटक के इस बेहद खूबसूरत बीच शहर का बहुत से लोगों ने नाम भी नहीं सुना होगा। हां, घुमक्कड़ी के शौकीनों को शायद इस बारे पता हो। मुरुदेश्वर ऐसा शहर है जहां सर्दियों में मौसम बेहद रुमानी रहता है।

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