तनाव दूर करने को प्रधानमंत्री मोदी ने स्कूली बच्चों से किया संवाद, दिए सुझाव

हकेंवि में ‘परीक्षा पे चर्चा’ का हुआ लाइव वेबकास्ट, विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावक व शिक्षक भी हुए शामिल

नारनौल। मार्च-अप्रैल माह में आयोजित होने वाली परीक्षाओं के मद्देनजर विद्यार्थियों के मानसिक तनाव को दूर करने के उद्देश्य से मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्कूली बच्चों से संवाद स्थापित किया। मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार के इस प्रयास में विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों व शिक्षकों को भी शामिल किया गया और बच्चों की परीक्षा से जुड़े उनके तनाव को दूर करने का भी प्रयास प्रधानमंत्री ने सीधे संवाद के माध्यम से किया। हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय (हकेंवि), महेंद्रगढ़ के प्रोफेसर मूल चंद सभागार में इस संवाद का लाइव वेबकास्ट हुआ। इसके माध्यम से विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों व कर्मचारियों ने परीक्षा के तनाव से जूझ रहे विद्यार्थियों के सवालों और उनसे निपटने के लिए प्रधानमंत्री द्वारा सुझाए गए उपायों के बारे में जाना। करीब दो घंटे की इस चर्चा को विश्वविद्यालय के शिक्षकों, विद्यार्थियों व कर्मचारियों ने ध्यान से सुना और उससे लाभांवित हुए। विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आरसी कुहाड़ ने इस संवाद को विद्यार्थियों के साथ-साथ अभिभावकों व शिक्षकों के लिए भी उपयोगी बताया। उन्होंने कहा कि अवश्य ही इसका लाभ आगामी परीक्षाओं में बैठने वाले विद्यार्थियों को मिलेगा। हकेंवि के सभागार में दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में आयोजित इस कार्यक्रम का सफलतापूर्वक लाइव वेबकास्ट किया गया और इस दौरान विश्वविद्यालय का सभागार खचाखच भरा नजर आया। विश्वविद्यालय के सभागार में इस संवाद को देखने-सुनने के बाद कार्यक्रम के दौरान हुई चर्चा पर विद्यार्थी, शिक्षक विस्तार से मंथन करते दिखे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस चर्चा में देश-विदेश के विद्यार्थियों, शिक्षकों व अभिभावकों द्वारा पूछे गए सवालों के भी जवाब दिए। उन्होंने बताया कि किस तरह से तनाव से सहजता पूर्वक निपटा जा सकता है। उन्होंने कहा कि तनाव को हल्के में ना लें लेकिन इसका अर्थ यह नहीं है कि इसे जीवन पर हावी कर लें बल्कि जरूरत है इस पर चर्चा करें और इसका समाधान खोजें। प्रधानमंत्री ने अपने संवाद में आत्मविश्वास के साथ आगे बढ़ने और जीवन में आने वाली विभिन्न परीक्षाओं में सहजतापूर्वक सफलता हासिल करने का मंत्र दिया। उन्होंने अभिभावकों को भी कहा कि वे अपनी अपेक्षाएं बच्चों पर न थोपें और उनसे संवाद करते हुए इस बात का ख्याल रखे कि अगर वे उनकी जगह होते तो वे क्या करते? प्रोफेसर मूल चंद सभागार में आयोजित इस कार्यक्रम में विश्वविद्यालय की विभिन्न पीठों के अधिष्ठाता, विभागाध्यक्ष, प्रभारी, अधिकारी, शिक्षणेतर कर्मचारी व विद्यार्थी बड़ी संख्या में मौजूद रहेे।

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