हमेशा सकारात्मक सोचिये

जब आप हमेशा दूसरों के बारे में अच्छा, बेहतर सोचते हैं तो आपको पॉजीटिव ऊर्जा मिलती है। फिर चाहे कार्य स्थल हो या कोई अन्य स्थान, बातचीत और आचार-व्यवहार में विनम्रता बरतने से कई काम स्वतः ही बन जाते हैं। यह आपकी कम्युनिकेशन स्किल्स ही हैं, जो आपको किसी भी कार्य में शीर्ष तक ले जाती हैं। इन्हें पुख्ता करने की शुरुआत अक्सर हमारे घर से ही प्रारंभ होती है। अक्सर हमारी मुलाकात ऐसे लोगों से होती है, जिनसे मिलने के बाद हम बचपन और किशोरावस्था के दौरान घर में सीखे आचार-व्यवहार के लिए अपने माता-पिता को धन्यवाद देते हैं। हममें से करीब सत्तर प्रतिशत व्यक्ति ऐसे लोगों से मिलते हैं, जिनका व्यवहार देख कर ही हम उनसे दूर हो जाते हैं। ठीक से कम्युनिकेट करने की क्षमता बेहद जरूरी होती है। क्यों? आप मानें या नहीं, हम सबका सिर्फ हमारे बोलने-चालने की आदत से ही नहीं, बल्कि हम उसे कैसे बयां करते हैं और कैसे बोलते हैं, के जरिए आकलन होता है। जीवन के हर क्षेत्र में अच्छी कम्युनिकेशन स्किल्स बहुत जरूरी होती हैं। उन्हीं के सहारे आप किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ते हैं। दुनिया के 106 देशों में सक्रिय एक स्पीकिंग ऑर्गेनाइजेशन टोस्टमास्टर्स इंटरनेशनल के संस्थापक डॉं. राल्फ सी. स्मैडली के अनुसार, जब हम बात करते हैं, तब हमारे बारे में दूसरों को पता चलता है। इससे हमारे चरित्र के बारे में कुछ ऐसी सही तस्वीर सामने आती है, जो किसी भी कलाकार द्वारा बनाई गई तस्वीर से कहीं विश्वसनीय होती है। नीचे बताए जा रहे हैं आचार-व्यवहार से जुड़े कुछ बुनियादी गुर, जिन्हें एक सकारात्मक बातचीत के दौरान हमें हमेशा याद रखना चाहिए।

अपनी मर्जी के मालिक:- जब आप अकेले होते हैं, उस समय आप अपनी मर्जी के मालिक होते हैं, परंतु कार्य स्थल जैसी जगहों पर अपनी आवाज को कुछ धीमा रखना चाहिए। ऐसा इसलिए भी जरूरी है कि आपके सहकर्मियों को शोर-शराबे से कोई दिक्कत न हो। उनकी सहूलियत का ध्यान रखें। ठहाका या जोर से गाने की आदत को अधिकांश कार्य स्थलों पर पसंद नहीं किया जाता, इसलिए अपनी आवाज पर काबू रखें। याद रखें कि कार्य स्थल पर दूसरों की सहूलियत का ध्यान रखना भी आपके आचार-व्यवहार का ही एक अंश होता है।

सौम्य आवाज में बात कर:- फोन पर बातचीत के दौरान सौम्य आवाज में बात करें। कॉल आपकी पर्सनल हो या दफ्तरी कामकाज से जुड़ी, ऐसे हरेक अवसर पर विनम्रता बरतनी चाहिए। लंबी बात के दौरान दफ्तर के किसी कोने या मीटिंग रूम का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। किसी की या अपनी बातचीत करते समय एकांत जरूरी होता है। यों भी देर तक दफ्तर के फोन पर बात करते रहना शिष्टाचार के दायरे में नहीं आता। जितना जरूरी आपका किसी से बात करना है, उतना ही जरूरी काम अन्य लोगों को भी हो सकता है।

मीठी भाषा बोलें:- मीटिंग आदि के दौरान ऐसी भाषा का इस्तेमाल न करें, जिसे आपके अधिकांश साथी समझ न पाएं। यदि आप अपने कहे को बाद में समझाने का प्रयास करेंगे तो वह व्यर्थ होगा। हमेशा बोलचाल की साधारण भाषा का ही इस्तेमाल करें।

बोलने की बजाय शांत रहें:- काम की बात के दौरान दूसरों का ध्यान आकृष्ट करने के लिए कई बार कुछ लोग बेकार बात करते हैं। ऐसे लोगों की आदत यदि लंबे समय तक बनी रहती है तो बाकी लोग उनसे कटना शुरू कर देते हैं। बेहतर यही होगा कि मुद्दे से हट कर कुछ भी बोलने की बजाय शांत रहा जाए। व्यर्थ की बातें आपके व्यक्तित्व के बारे में बुरा असर डालती हैं।

बीच-बीच में रुकें नहीं:- यदि आप बातचीत का हिस्सा न हों तो अपने विचार तब तक अपने तक ही रखें, जब तक कि आपसे कुछ पूछा न जाए। यदि कोई बोल रहा हो तो बीच में अपनी बात कभी न रखें। किसी की बात काटना या किसी की बात के बीच में बोलना शिष्टाचार के बुनियादी नियमों के खिलाफ होता है।

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