रजहरा कोलियरी के चालू होने से रूकेगा पलायन

मेदिनीनगर। एक दशक से बंद पड़ी एशिया प्रसिद्ध रजहरा कोलियरी राजनीतिक हस्तक्षेप की वजह से काफी लंबे समय से ठप्प है। लोकसभा चुनाव के मद्देनजर आनन फानन में पुनः चालू करवाने की क़वायद जारी है। जबकि क्षेत्र के विकास में इस कोलियरी का चालू होना जरूरी है। रोजगार के अभाव में जिले से कई लोग मज़दूरी के लिए पलायन को मजबूर हैं। यदि इस कोल माइंस पुनः शुरू किया जाता तो पूरे क्षेत्र में रौनक वापस लौट आती। रोजगार के अवसर बढ़ते। वहीं दूसरी ओर, कोलियरी के चालू हो जाने से रजहरा में एक दशक से छाई है वीरानी दूर होगी। गौरतलब है कि यहाँ पर कभी कोयला उत्पादन के लिए पूरे एशिया में विख्यात था। आज राजहरा कोलियरी में 2009 से उत्पादन से बंद है। इस कोलियरी बंद होने के कारण राजहरा व आस पास के दर्जन भर गांव बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं।2009 में इस कोल माइंस में बाढ़ का पानी भरने के कारण बंद हो चुका है, जो आज तक बंद पड़ा हुआ है। राजहरा कोलियरी का कार्य बंद होने की वजह से 2009 से ही सैकड़ों परिवार प्रभावित हैं। कई भुखमरी की स्थिति में किसी तरह से जीवनयापन कर रहे हैं। कई बार राजनीतिक हस्तक्षेह से कोलियरी से उत्पादन शुरू होने की पहल की जा चुकी है, लेकिन अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। 2009 से राजहरा कोलियरी के बंद होने से करीब 600 से अधिक परिवार प्रभावित हुए थे। आश्रित कई लोगों पर अप्रत्यक्ष प्रभाव पड़ा। राजहरा के लोगों ने बताया कि कोलियरी बंद होने के बाद करीब 700 से अधिक लोग पलायन कर चुके हैं।

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