रांची। डीएवी पब्लिक स्कूल हेहल में संत महात्मा के रूप में प्रसिद्ध स्वर्गीय महात्मा नारायण दास ग्रोवर जी की 11वीं पुण्यतिथि “श्रद्धा-सुमन” मनाई गई। इस अवसर पर एन डी ग्रोवर शाखा के विद्यार्थियों ने अपनी विशेष प्रार्थना सभा में महात्मा नारायण दास ग्रोवर जी के जीवन से जुड़ी बातों को प्रस्तुत किया तथा उनके आदर्शों पर चलने का प्रण लिया। एम सी एम शाखा के कक्षा आठवीं एवं नवमीं के विद्यार्थियों ने विद्यालय के सभागार में प्राचार्य श्री एम के सिन्हा जी गरिमामयी उपस्थित में हवन किया और श्रद्धांजलि अर्पित की। विद्यालय के वरिष्ठ शिक्षक श्री अशोक कुमार पाठक जी ने अपने विचार एक कहानी के माध्यम से रखे और उन्हें याद किया। विद्यालय के प्राचार्य श्री एम के सिन्हा ने कहा कि मैं बड़ा भाग्यशाली हूँ ,क्योंकि मुझे महात्मा नारायण दास ग्रोवर जी के साथ काम करने का, अनेक यात्राओं में साथ रहने का ओर अनेक अवसरों पर साथ रहकर कुछ-कुछ सीखने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।उन्होंने संस्कृत का एक श्लोक – धृति क्षमा दामों अस्तेय…..’को सुनाते हुए कहा कि उनमें ये सभी गुण विद्यमान थे।उनके जीवन का केवल एक ही मात्र लक्ष्य था और वह था- काम और केवल काम।उन्होंने अपने अथक प्रयास से पूर्वी भारत में लगभग250 से अधिक डीएवी विद्यालयों की स्थापना कर शिक्षा के क्षेत्र में अलख जगाया।झारखण्ड में आपने आदिवासी उत्थान अभियान को भी सफलतापूर्वक संचालित किया।आपका पिछड़े, दलितों और शिक्षा से वंचित बच्चों के प्रति एक सहज प्रेम था।ग्रोवर जी ने शहीद वीरों के बच्चों के लिए डीएवी शिक्षण संस्थानों में निशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की।खूंटी में आपने एक आँखों का अस्पताल बनवाकर मोतियाबिंद से पीड़ित हज़ारों-लाखों लोगों का निशुल्क ऑपरेशन करवाया और उनकी आँखें बने। आज हमें भी महात्मा नारायण दास ग्रोवर जी के जीवन से सीख लेकर उनके आदर्शों को अपनाने की जरूरत है।वे सच्चे अर्थों में महात्मा थे जिन्होंने आजीवन अवैतनिक डीएवी की सेवा निःस्वार्थ भाव से की।
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