नई दिल्ली। जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद-35ए के मामले पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में कोई मेंशनिंग नहीं हुई। वकीलों का कहना है कि इस हफ्ते की साप्ताहिक लिस्ट में 26 से 28 फरवरी के बीच मामला दिख रहा है। इसलिए, मेंशन की ज़रूरत नहीं। इसका मतलब है कि 26, 27, 28 में से किसी भी दिन मामले को सुनवाई के लिए लिस्ट किया जा सकता है। पिछले 23 जनवरी को इस मामले पर सुनवाई की तारीख तय करने की मांग पर चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने आश्वस्त किया था कि जल्द ही इस मामले की इन-चेम्बर सुनवाई की तारीख तय की जाएगी। पिछले सात जनवरी को जम्मू कश्मीर सरकार ने हलफनामा दायर कर कहा था कि 1982 से लेकर अब तक ये एक्ट प्रभाव में नहीं आया है। पुनर्वास को लेकर राज्य सरकार को अभी तक कोई आवेदन नहीं मिला है। जबकि 13 दिसंबर,2018 को सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने जम्मू कश्मीर सरकार से पूछा था कि आखिर विभाजन के दौरान पाकिस्तान जा रहे लोगों को भारत में फिर से रहने की कैसे इजाज़त दी जा सकती है। चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने जम्मू-कश्मीर सरकार से पूछा था कि राज्य में पुर्नवास के लिए कितने लोगों ने अप्लाई किया है। यह कानून विभाजन के दौरान 1947 से 1954 के बीच पाकिस्तान जा चुके लोगों को हिंदुस्तान में पुर्नवास की इजाज़त देता है। इसके खिलाफ जम्मू कश्मीर पैंथर्स पार्टी की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि ये क़ानून असंवैधानिक व मनमाना है, इससे राज्य की सुरक्षा को खतरा है। केंद्र सरकार ने भी याचिकाकर्ता का समर्थन किया है। कोर्ट में केंद्र सरकार की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि सरकार पहले ही कोर्ट में हलफनामा दायर कर ये साफ कर चुकी है कि वो विभाजन के दौरान सरहद पार गए लोगों की वापसी के पक्ष में नहीं है।
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