New Delhi: फ्रीबीज यानी वोट पाने के लिए मुफ्त चीजें मुहैया कराने के वादे पर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग और केंद्र सरकार के साथ-साथ मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार को भी नोटिस जारी किया है. इन सभी को ‘फ्रीबीज’ मुद्दे पर जवाब देने के लिए कहा गया है और ऐसा करने के लिए 4 हफ्ते का समय दिया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता भुट्टो लाल जैन के वकील ने आज कहा कि चुनाव से पहले सरकार द्वारा नकदी बांटने से ज्यादा क्रूर कुछ नहीं हो सकता. यह हर समय हो रहा है और इसका बोझ अंततः करदाताओं पर पड़ता है। इस पर भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि चुनाव से पहले कई वादे किए जाते हैं और इस पर हमारा कोई नियंत्रण नहीं हो सकता. हम इसे अश्विनी उपाध्याय के सबमिशन के साथ टैग करेंगे। लेकिन आपने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री कार्यालय आदि को पार्टी बना दिया है. आपको सरकार को एक पार्टी बनाने की जरूरत है और आरबीआई, महालेखा परीक्षक आदि को एक पार्टी बनाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश और राजस्थान सरकार के अलावा केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है. साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को मुफ्तखोरी मामले में लंबित मुख्य याचिका के साथ जोड़ दिया है. गौरतलब है कि फ्रीबीज यानी मुफ्त चीजें देने का वादा करने वाले राजनीतिक दलों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में मामला चल रहा है. पिछले साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को तीन जजों की बेंच के पास भेज दिया था. याचिका में इस तरह की मुफ्त चीजों पर प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। याचिका में चुनाव के दौरान या उसके बाद मुफ्त सुविधाएं देने वाले राजनीतिक दलों का पंजीकरण रद्द करने की भी मांग की गई है। मुफ्त वस्तुओं पर प्रतिबंध से संबंधित मुख्य याचिका वकील अश्विनी उपाध्याय ने दायर की है।
This post has already been read 4484 times!