रांची। झारखंड हाई कोर्ट ने केंद्र सरकार की ओर से शपथ पत्र दाखिल नहीं किए जाने पर कड़ी टिप्पणी की। कोर्ट ने आईबी, यूआईएडीआई और बीएसएफ की ओर से अलग-अलग शपथ पत्र दाखिल किए जाने के लिए चार सप्ताह का समय मांगे जाने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि झारखंड में ट्राइबल की आबादी कम होती जा रही है और केंद्र सरकार चुप है। झारखंड का निर्माण आदिवासियों को हितों की रक्षा के लिए किया गया था। लगता है केंद्र सरकार बांग्लादेशी घुसपैठियों के झारखंड में प्रवेश को रोकने को लेकर कोई दिलचस्पी नहीं दिख रही है।
कोर्ट ने कहा कि आईबी हर सप्ताह 24 घंटे काम करती है लेकिन बांग्लादेशी घुसपैठियों जैसे संवेदनशील मुद्दों पर अपना जवाब दाखिल नहीं कर रही है। बीएसएफ की भी बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका है लेकिन प्रतीत होता है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों को रोकने के मामले में केंद सरकार का सकारात्मक रुख नहीं है। चीफ जस्टिस और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने इस मामले की अगली सुनवाई के लिए पांच सितंबर की तिथि निर्धारित कर दी।
मामले में राज्य सरकार की ओर से भी जवाब दाखिल किया जा चुका है लेकिन केंद्र सरकार जवाब के लिए चार से छह सप्ताह का समय मांग रही है। कोर्ट ने केंद्र सरकार द्वारा चार सप्ताह मांगे जाने संबंधी हस्तक्षेप याचिका (आईए) को खारिज करते हुए केंद्र सरकार को दो सप्ताह में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है। इससे पहले राज्य सरकार की ओर से छह जिलों के डीसी एवं एसपी की ओर से जवाब दाखिल किया गया।
कोर्ट ने मौखिक कहा कि बांग्लादेशी घुसपैठियों का मामला देश की सुरक्षा से जुड़ा है, इसलिए सभी प्रतिवादियों को समय से अपना जवाब दाखिल करना होगा। पिछली सुनवाई में कोर्ट ने भारत सरकार के इंटेलिजेंस ब्यूरो के डायरेक्टर, बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स के डायरेक्टर जनरल, चीफ इलेक्शन कमीशन ऑफ़ इंडिया , डायरेक्टर जनरल यूनिक आइडेंटिफिकेशन अथॉरिटी ऑफ़ इंडिया , एनआईए को प्रतिवादी बनाया था, उन्हें नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। बांग्लादेशी घुसपैठियों पर कार्रवाई के संबंध में हाई कोर्ट ने पिछली सुनवाई में संथाल परगना के छह जिलों के डीसी को शपथ पत्र दाखिल करने का निर्देश दिया था। गुरुवार को संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठियों के कारण वहां जनसंख्या की स्थिति में कुप्रभाव को लेकर दानियल दानिश की जनहित याचिका की सुनवाई हुई।
याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि जामताड़ा, पाकुड़, गोड्डा और साहिबगंज आदि झारखंड के बॉर्डर इलाके से बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड आ रहे हैं। इससे इन जिलों में जनसंख्या पर कुप्रभाव पड़ रहा है। इन जिलों में बड़ी संख्या में मदरसा स्थापित किए जा रहे हैं। साथ ही स्थानीय ट्राइबल के साथ वैवाहिक संबंध बनाए जा रहे हैं। याचिकाकर्ता ने मांग की है कि इस मामले में भारत सरकार का गृह मंत्रालय रिपोर्ट दाखिल करे और बताए कि झारखंड के बॉर्डर इलाके से कैसे बांग्लादेशी घुसपैठिए झारखंड आ रहे हैं और उनके द्वारा झारखंड में कैसे लोगों को गुमराह कर वैवाहिक संबंध स्थापित किए जा रहे हैं।
This post has already been read 758 times!