नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महिला सुरक्षा को लेकर एक अहम बात कही है। उन्होंने कहा कि महिला सुरक्षा आज एक गंभीर मुद्दा है। POCSO एक्ट के तहत दुष्कर्म के दोषियों को दया याचिका दायर करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। संसद को दया याचिकाओं की समीक्षा करनी चाहिए। कोविंद ने यह बात सिरोही, राजस्थान में एक कार्यक्रम में कही। उन्होंने कहा कि POCSO एक्ट के तहत आरोपियों को माफी नहीं मिलना चाहिये। मालूम हो कि दिसंबर 2012 में दिल्ली में एक छात्रा से सामूहिक दुष्कर्म की वारदात के बाद पूरे देश में आक्रोश भड़क उठा था। गृह मंत्रालय ने इस मामले के दोषी विनय शर्मा की दया याचिका की फाइल राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद को भेजी है। इसमें दया याचिका को खारिज करने की सिफारिश की गई है।
कोविंद ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में जो आरोपी होते हैं उन्हें दया याचिका के प्रावधान से वंचित किया जाना चाहिये।
निर्भया कांड के दोषियों की याचिका है पेंडिंग
गृह मंत्रालय ने राष्ट्रपति को भेजी दया याचिका दिसंबर 2012 में दिल्ली में चलती बस में 6 बदमाशों ने निर्भया के साथ सामूहिक दुष्कर्म करने के बाद जघन्य तरीके से उसकी हत्या कर दी थी। इस मामले में देशभर में गुस्सा फूट गया था। इस वारदात को अंजाम देने वाले 6 आरोपियों में से एक ने जेल में ही फांसी लगा ली थी, वहीं एक नाबालिग होने की वजह से छूट गया था। वहीं कोर्ट ने 4 आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इनमें से एक दोषी ने 4 नवंबर को राष्ट्रपति के पास दया याचिका दायर की थी जो केंद्रीय गृह मंत्रालय के जरिये दिल्ली के एलजी और फिर दिल्ली सरकार के पास आई। अब गृह मंत्रालय ने इस याचिका को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को भेज दिया है।
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