नई दिल्ली । प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि देश के संघ शासित राज्य भी उपराज्यपालों के दिशा-निर्देश में प्रगति और विकास का आदर्श स्थापित कर सकते हैं। मोदी की यह टिप्पणी जम्मू-कश्मीर राज्य के दो संघ शासित राज्यों के रूप में विभाजन के बाद शनिवार को राष्ट्रपति भवन में आयोजित दो दिवसीय 50वें राज्यपाल सम्मेलन में सामने आई।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सम्मेलन में राजभवनों के समक्ष आदिवासी और दलितों के लिए न्याय सुनिश्चित करने तथा देश को रोग मुक्त करने के लिए सक्रिय प्रयास करने का एजेंडा रखा। उन्होंने कहा कि उनके प्रशासनिक ढांचे के कारण केंद्र शासित प्रदेश विकास के मोर्चे पर आदर्श स्थापित कर सकते हैं। मोदी ने राज्यपाल सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए कहा कि राज्यपालों व उपराज्यपालों को राज्य सरकारों के साथ मिलकर काम करने के अलावा वर्तमान योजनाओं और कार्यक्रमों के क्रियान्वनयन पर ध्यान देना चाहिए।
इस सम्मेलन में विभिन्न राज्यों के राज्यपाल व केन्द्र शासित प्रदेशों के उपराज्यपाल भाग ले रहे हैं, जिनमें पहली बार पदभार संभालने वाले 17 राज्यपाल व उपराज्यपाल भी शामिल हुए हैं। साथ ही सम्मेलन में नवगठित केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर और लद्दाख के उपराज्यपाल भी भाग ले रहे हैं। इस अवसर पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू, गृहमंत्री अमित शाह और केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शक्तावत उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि सहकारी एवं प्रतिस्पर्धी संघीय ढांचे को साकार करने में राज्यपाल पद की विशेष भूमिका है। उन्होंने कहा कि हम भारतीय संविधान के लागू होने की 70वीं वर्षगांठ मनाने जा रहे हैं। ऐसे में राज्यपालों और राज्य सरकारों को भी भारतीय संविधान में विभिन्न सेवा पहलुओं को उजागर करने की दिशा में काम करना चाहिए, विशेष रूप से नागरिकों के कर्तव्यों और जिम्मेदारियों के बारे में। इससे सही मायने में सभी की भागीदारी वाला शासन स्थापित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में अपनी भूमिकाओं में राज्यपाल हमारे युवाओं के बीच राष्ट्र निर्माण के मूल्यों को विकसित करने और उन्हें अधिक से अधिक उपलब्धियों की ओर प्रेरित करने में मदद कर सकते हैं।
प्रधानमंत्री ने अपने संबोधन के अंत में राज्यपालों और उपराज्यपालों से अनुरोध किया कि वे आम लोगों की जरूरतों पर ध्यान देने और अपनी संवैधानिक जिम्मेदारियों का निर्वहन करने के लिए करें। प्रधानमंत्री ने राज्यपालों से आग्रह किया कि वे अनुसूचित जनजातियों, अल्पसंख्यक समुदायों, महिलाओं और युवाओं सहित कमजोर तबकों के उत्थान की दिशा में काम करें।
प्रधानमंत्री ने स्वास्थ्य सेवा, शिक्षा और पर्यटन क्षेत्रों का विशेष उल्लेख किया जहां रोजगार सृजन और गरीबों एवं दलितों की बेहतरी के लिए नए अवसर मौजूद है। उन्होंने कहा कि राज्यपाल कार्यालय का उपयोग विशिष्ट उद्देश्यों जैसे तपेदिक के बारे में जागरुकता फैलाने और 2025 तक भारत को इस बीमारी से मुक्त बनाने के लिए किया जा सकता है।
प्रधानमंत्री ने खुशी जताई कि इस वर्ष के सम्मेलन में आदिवासी मुद्दों, कृषि सुधार, जल जीवन मिशन, नई शिक्षा नीति और जीवन की सुगमता के लिए शासन जैसे विशेष मुद्दों एवं समस्याओं पर पांच उप-समूहों में व्यापक चर्चा होगी, जिनकी रिपोर्ट पर बाद में सभी प्रतिभागी राज्यपालों और उपराज्यपालों द्वारा बड़े फॉर्मेट में चर्चा की जाएगी।
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