तूतीकोरिन तांबा प्लांट मामले में वेदांता को राहत नहीं

नई दिल्ली। तमिलनाडु के तूतीकोरिन तांबा प्लांट मामले में वेदांता को राहत नहीं मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने प्लांट को दोबारा इजाजत देने वाले नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) का आदेश निरस्त कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राहत के लिए हाईकोर्ट जाएं। 2018 में मई में हिंसक आंदोलन के बाद प्लांट बंद हुआ था। एनजीटी ने राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को दोबारा मंजूरी देने कहा था ।
पिछले 24 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को निर्देश दिया था कि वो तूतीकोरिन में स्टरलाईट कॉपर कंपनी बिजली का कनेक्शन मुहैया कराएं। स्टरलाईट कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि तमिलनाडु सरकार एनजीटी के आदेश को लागू नहीं कर रही है। पिछले 8 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्टरलाईट प्लांट को दोबारा खोलने के एनजीटी के आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था।
एनजीटी ने 15 दिसंबर 2018 को तमिलनाडु प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को निर्देश दिया था कि वो तीन हफ्ते के अंदर स्टरलाईट कंपनी को चलाने के लिए सहमति यानि कंसेंट टू आपरेट दे और सारी बाधाएं दूर करे। एनजीटी ने अपने आदेश में कहा कि वो पर्यावरण संबंधी कानूनों का पालन करते हुए स्टरलाइट कंपनी को नुकसानदेह पदार्थों को नष्ट करने का अधिकार दे। एनजीटी ने फैक्ट्री के लिए बिजली आपूर्ति बहाल करने का आदेश दिया था।
28 नवंबर 2018 को एनजीटी द्वारा मामले पर विचार करने के लिए गठित कमेटी ने एनजीटी को दिए रिपोर्ट में तमिलनाडु सरकार के स्टरलाईट को सील करने के फैसले को गलत करार दिया था। मेघालय के पूर्व चीफ जस्टिस तरुण अग्रवाल ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि स्टरलाईट युनिट को बंद करने के लिए न तो नोटिस दिया गया था और न ही सीलिंग से पहले कंपनी को जवाब देने का मौका दिया गया। इस रिपोर्ट पर एनजीटी ने तमिलनाडु सरकार के फैसले को प्राकृतिक सिद्धांत के खिलाफ बताया था।
सुनवाई के दौरान स्टरलाईट की ओर से वकील सीए सुंदरम ने कहा था कि हम पहले दिन से ही स्टरलाईट कॉपर प्लांट को खोलने की मांग कर रहे हैं क्योंकि बंद करने का फैसला गलत है। उन्होंने कहा था कि तमिलनाडु सरकार का प्लांट को बंद करने का फैसला पूरे तरीके से राजनीतिक फैसला था।
अगस्त 2018 में एनजीटी ने जस्टिस तरुण अग्रवाल की अध्यक्षता में एक कमेटी का गठन किया था। इस कमेटी में वैज्ञानिक सतीश सी गारकोटी और एच डी वरालक्ष्मी शामिल थे। कमेटी ने तूतीकोरिन के लोगों से भी चर्चा की थी। एनजीटी को रिपोर्ट सौंपने के पहले कमेटी ने पिछले अक्टूबर महीने में कई दौर की सुनवाई आयोजित की थी।

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