महागठबंधन में गोड्डा लोकसभा सीट को लेकर तनातनी

नई दिल्ली ।  झारखंड की गोड्डा लोकसभा सीट कई कारण से इन दिनों चर्चा में है। कांग्रेस, झारखंड मुक्ति मोर्चा , झारखंड विकास मोर्चा तथा राष्ट्रीय जनता दल में चल रहे महागठबंधन की बातचीत में जो बड़े रोड़े हैं, उनमें से एक गोड्डा सीट है। इस सीट पर कांग्रेस अपने पूर्व सांसद फुरकान अंसारी या उनके बेटे को लड़ाना चाहती है, जबकि झारखंड विकास मोर्चा पूर्व सांसद प्रदीप यादव को । दोनों में से कोई इस सीट पर अपनी दावेदारी से पीछे नहीं हट रहा है।
कांग्रेस का तर्क है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी फुरकान अंसारी दूसरे नम्बर पर थे। इसलिए कांग्रेस यह सीट झाविमो के लिए नहीं छोड़ेगी और इस पर फुरकान अंसारी या उनके बेटे या अन्य को चुनाव लड़ायेगी। झाविमो का कहना है कि प्रदीप यादव इस सीट से एक बार लोकसभा सांसद रहे हैं। उन्होंने यहां के गरीबों ,आदिवासियों को उजाड़कर बनाये जा रहे गुजराती सेठ गौतम अडानी के पावर प्लांट का लगातार विरोध किया है। उसके विरोध में धरना – प्रदर्शन करते रहे हैं। इसके कारण अडानी की प्रिय सरकार ने प्रदीप यादव को जेल में डाल दिया। वह छह माह जेल में रहे। इस क्षेत्र की जनता के लिए प्रधानमंत्री के अति चहेते गुजराती सेठ गौतम अडानी तक से टकराने वाले, उनको मानने वाली सत्ता से टकराने वाले प्रदीप यादव को यहां से टिकट दिया जाना चाहिए। उनको टिकट नहीं देकर यदि फुरकान अहमद या उनके बेटे को टिकट दिया गया तो भाजपा इस चुनाव को हिन्दू बनाम मुस्लिम बना देगी। दूसरे यहां की जनता में यह संदेश जायेगा कि गौतम अडानी ने कांग्रेस के अपने कुछ घनिष्ठ नेताओं के मार्फत गोड्डा लोकसभा सीट पर उस प्रदीप यादव को टिकट नहीं लेने दिया, जिसने उनके (अडानी के ) पावर प्रोजेक्ट का विरोध किया।
झाविमो का यह भी कहना है कि गोड्डा ससंदीय सीट पर दो बार से जो सांसद हैं, वह एस्सार उद्योग समूह के मालिक के चहेते हैं। वह उसकी छवि बनाने से लेकर अन्य तरह के काम बाकायदा करते रहे हैं। ऐसे में मतदाताओं के बीच यह भी संदेश जायेगा कि एस्सार व अडानी जैसे उद्योगपतियों के आगे झारखंड के विपक्षी दलों के नेता घुटने टेक दिये हैं। इसीलिए अडानी का विरोध करने वाले प्रदीप यादव को टिकट नहीं देकर उस फुरकान अंसारी या उसी वर्ग के किसी अन्य को टिकट दिया जा रहा है, जिसके कारण हिन्दू – मुसलमान वोटों का ध्रुवीकरण हो और उसके चलते भाजपा का प्रत्याशी जीत जाये।
2014 के लोकसभा चुनाव में गोड्डा लोकसभा सीट पर कुल 10,49,442 वोट पड़े थे। भाजपा प्रत्याशी निशिकांत दुबे को 3 लाख 80 हजार 500 वोट मिले थे। दूसरे नम्बर पर कांग्रेस प्रत्याशी फुरकान अंसारी को 3 लाख 19 हजार 818 वोट मिले थे। तीसरे स्थान पर झाविमो के प्रदीप यादव को 1 लाख 93 हजार 506 वोट मिले थे। कांग्रेस के फुरकान अंसारी से भाजपा के निशिकांत दुबे 60,682 वोट से जीते थे। यदि कांग्रेस को मिले 3,19,818 वोट को झाविमो को मिले 1,93,506 वोट से जोड़ते हैं ,तो यह 5 लाख 13 हजार 324 हो जाता है। जोकि भाजपा को मिले वोट से 1 लाख 32 हजार 824 अधिक है। इससे स्पष्ट है कि यदि गोड्डा सीट पर महागठबंधन ने एक प्रत्याशी खड़ा किया और चुनाव हिन्दू बनाम मुसलमान नहीं हो, तब भाजपा के प्रत्याशी को बहुत बुरी तरह से हरायेगा। हालांकि इसके लिए इस सीट पर मुस्लिम प्रत्याशी नहीं खड़ा करके यादव प्रत्याशी देना होगा। क्षेत्र में यादव व मुसलमान की संख्या अधिक है।
सूत्रों का कहना है कि विपक्षी गठबंधन में यदि यह सीट कांग्रेस के खाते में जाती है और कांग्रेस ने फुरकान अंसारी या उनके पुत्र इरफान अंसारी या विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष आलमगीर आलम या अल्पसंख्यक मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष अख्तर अंसारी को टिकट दिया, तब इस संसदीय क्षेत्र का चुनाव बंगलादेशी मुसलमान बनाम हिन्दू हो जाने की संभावना है। इसमें भाजपा को हराना मुश्किल होगा। यदि गठबंधन ने किसी यादव को दिया तो कुछ मुसलमान नाराज हो सकते हैं, फिर भी ज्यादातर मुसलमान एकजुट होकर भाजपा के प्रत्याशी को हराने के लिए विपक्षी गठबंधन के प्रत्याशी वोट देंगे।

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