अगर आप लोगों से संपर्क करने और उनके बीच खुल कर बोलने में असहज महसूस करते हैं तो आज से ही इसे बदलने की कोशिश शुरू करें। अंतर्मुखी प्रकृति सफलता में बड़ी बाधा भी बन सकती है। खुद पर विश्वास है तो लोगों के बीच घबराना कैसा? अगर किसी को अचानक एक बड़े जनसमूह के सामने कुछ बोलने के लिए कह दिया जाए तो अधिकतर लोग बुरी तरह घबरा जाते हैं। हालांकि इस बात का आपकी योग्यता से कोई लेना-देना नहीं होता, फिर भी यह बात आपकी छवि को नकारात्मक रूप से प्रभावित करती है। ऐसा पढ़ाई के दिनों में, नौकरी के लिए दिए जाने वाले साक्षात्कार के समय, नौकरी के दौरान या कभी भी हो सकता है। इससे लोग आपका सही मूल्यांकन नहीं कर पाते और आप कई अवसरों से चूक जाते हैं। इस हिचक को तोड़ना बहुत मुश्किल भी नहीं है। यह हिचक तोड़ कर आप सफलता के कुछ और करीब हो जाएंगे। बस आपको अपने डर पर काबू पाना होगा। इसकी शुरुआत आप यूं कर सकते हैं….
अपने मजबूत पक्ष याद रखें
दूसरों के सामने बोलने में होने वाली हिचक दरअसल सोशल एंग्जाइटी का नतीजा होती है। ऐसे में आप अपना उद्देश्य याद रखें, ना कि उसमें अपनी सफलता या असफलता। अपनी कमजोरियों के बारे में सोचने की बजाय अपने व्यक्तित्व के मजबूत पक्ष के बारे में सोचें। उन वजहों को तलाशने की कोशिश करें, जिनके कारण आपको झिझक या संकोच महसूस होता है। इसकी तीन संभावित वजहें हो सकती हैं। मुमकिन है कि आप खुद को लेकर आश्वस्त न हों। खुद के बारे में जरूरत से ज्यादा सोचते हों या जब कोई आपकी तारीफ करता है तो आप उस पर यकीन न कर पाते हों। इसे दूर करने के लिए लोगों के बीच बोलने की प्रैक्टिस कर सकते हैं। प्रेरक किताबें पढ़ें। यदि आवश्यकता लगे तो काउंसलर की सहायता भी ले सकते हैं।
परिचितों से करें शुरुआत
लोगों के बीच आत्मविश्वास से बोलने के अभ्यास की पहल दोस्तों से करें। जब आप यहां सहज महसूस करने लगें, तब अपरिचितों के बीच इसे आजमाएं। इसे भी एक-दो लोगों से ही शुरू करें। अगर आप शुरू में ही सीधे बड़े समूह में बात रखने की कोशिश करेंगे तो बहुत अधिक दबाव होने के कारण संभवतः कठिनाई भी ज्यादा होगी। आप पाएंगे कि दो व्यक्तियों के सामने बोलने में आपको तुलनात्मक रूप से ज्यादा आसानी हुई और यह भी कि जल्द ही आपकी हिचक टूट गई और अब विशाल जनसमूह में भी अपनी बात रखने में कोई परेशानी नहीं हो रही है।
नियमित अभ्यास की है जरूरत
हिचक मिटाने के लिए आपको नियमित रूप से प्रयास करना जरूरी है। अपने डर पर आपको विजय पानी होगी। उसे खुद पर हावी न होने दें। शुरू-शुरू में ऐसा करने में आप खुद को असहज महसूस करेंगे, लेकिन लगातार प्रयास करते रहें। धीरे-धीरे आप महसूस करेंगे कि आपको अब अपनी बात रखने के लिए प्रयास नहीं करना पड़ रहा है, आप बड़ी सहजता से अपनी बात रख पा रहे हैं।
बेवजह के परिचय से बचें
बड़ा सामाजिक दायरा होने का एक अर्थ यह भी है कि आपको लोगों का सामना करने में हिचक नहीं होती। यह आपके आत्मविश्वासी व्यक्तित्व का द्योतक भी है। आप भी अपना सोशल सर्कल बड़ा करें। इसके लिए खुद अपने क्षेत्र से जुड़े कार्यक्रमों पर नजर रखें। अपने परिचितों से यह कह सकते हैं कि वे ऐसे कार्यक्रमों की जानकारी आपको दे दिया करें। एक समय के बाद आप अपनी मर्जी से भी आयोजनों को चुनें कि कहां जाना है या नहीं जाना है। इसका एक कारण यह भी है कि अंतर्मुखी ना होने का मतलब यह नहीं है कि हर जगह या समूह में आपकी उपस्थिति जरूरी हो। बेमतलब किसी ईवेंट या समूह में न जाएं।
अपनी तैयारी पूरी रखें
अगर आप सच में लोगों का ध्यान अपनी ओर आकर्षिक करना चाहते हैं तो इस नुस्खे को आजमाएं। अगर आप किसी सामूहिक आयोजन में जा रहे हैं या कई लोगों के सामने आपको कुछ बोलना है तो विषय आदि के बारे में पूरी जानकारी कर लें। अपनी भाषा पर भी खास ध्यान दें। ऐसी स्थिति में उच्चारण, शब्दों के उचित चयन आदि का विशेष महत्व होता है। उस कार्यक्रम की पूरी रूप-रेखा और वहां आने वाले मेहमानों के बारे में मुकम्मल जानकारी रखें। अनौपचारिक आयोजनों में वहां आने वाले आगंतुकों की मदद करें, उन्हें कार्यक्रम और मेहमानों के बारे में अपनी तरफ से पहल कर बताएं। इस तरह से आप वहां आने वाले दूसरे लोगों की मदद कर अपनी छवि बेहतर बना सकते हैं और लोग आप पर ध्यान देंगे।
मुस्कराहट से काम लें
किसी भी प्रेजेंटेशन में या कि किसी सामाजिक स्थिति में कई लोगों के बीच मुस्कराहट से आपकी छवि का तुरंत प्रभाव बनता है। इसी से अपनी बात की शुरुआत करें। मुस्कराहट से मानसिक तनाव भी कम हो जाता है और आप ज्यादा आत्मविश्वास अनुभव करते हैं। सुनने वालों से आपका एक जुड़ाव तुरंत बन जाता है। औपचारिक या अनौपचारिक माहौल में भी बोलते समय मुस्कराहट महत्वपूर्ण मानी जाती है।
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