टिकट का आधार तो जीत ही होगा, पर विचारधारा और राष्ट्रहित से समझौता नहीं : ओपी माथुर

रांची। महाराष्ट्र, गुजरात, यूपी सहित नौ राज्यों में भाजपा की जीत की पटकथा लिखने वाले राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ओमप्रकाश माथुर के प्रभार में भाजपा का चुनावी रथ झारखंड में निकल चुका है। सफलता इनके कदम से कदम मिलाकर चलती है। वे कहते हैं, निश्चित रूप से हम 65 पार जायेंगे। पीएम मोदी से प्रभावित होकर लोग भाजपा में आ रहे हैं और कई संपर्क में भी हैं, लेकिन टिकट का आधार सिर्फ और सिर्फ जीत होगा। साथ ही हम अपनी विचारधारा और राष्ट्रहित से भी समझौता नहीं करेंगे। टिकट बंटवारे में भ्रष्टाचार सहित तमाम चीजों पर गंभीर मंथन कर अंतिम फैसले लिये जायेंगे। कुछ के टिकट तो कटेंगे, लेकिन किसके और कितने कटेंगे, इसे अपनी वाकपटुता से टाल जाते हैं, पर संकेत स्पष्ट है दागी और दबंगों को आसान नहीं होगा भाजपा से चुनाव लड़ना। सोशल इंजीनियरिंग के साथ ही पार्टी और मतदाताओं के चुनावी गणित में माहिर माथुर केमिस्ट्री पर भी पैनी नजर रखे हुए हैं। पूरे देश में एऩआरसी लागू करने के हिमायती माथुर कहते हैं, प्रधानमंत्री मोदी के अलावा प्रदेश के सभी बड़े नेता चुनाव में पार्टी के चेहरे होंगे और विकास के मुद्दे पर चुनाव लड़ेंगे। सारे मामलों पर झारखंड प्रभारी माथुर ने हिन्दुस्थान समाचार के साथ खुलकर बात की।   

सवालः- अब तकतीन बार यहां आ चुके हैं। बहुत पानी सिर से गुजर चुका होगा। कैसी लगी पार्टी की तैयारी ?

जवाबः- चुनाव को दो विभागों में बांटता हूं। पहला टेक्निकल और दूसरा पॉलिटिकल वर्क। टेक्निकल में संगठन से संबंधित है। पॉलिटिकल में परफॉर्मेंश आधारित काम होते हैं और दोनों ही काम में हमलोग काफी आगे बढ़ चुके हैं। इस माह के अंत तक सभी प्रमंडलों के बूथ सम्मेलन भी हो जायेंगे। इन कार्यक्रमों में कार्यकारी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा भी शामिल होंगे। इसके साथ ही केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं के लाभार्थियों के सम्मेलन शुरू हो चुके हैं। अक्टूबर तक नीचे के स्तर पर भी हो जायेंगे। जामताड़ा से राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह ने भी जामताड़ा से जोहार जन आशीर्वाद यात्रा का प्रारंभ कराया। प्रचार-प्रसार के लिए पोस्टर, बैनर, होर्डिंग्स, पंपलेट सहित सारे काम पूरे हो चुके हैं।

सवालः- जीत के दृढ़ विश्वास को कैसे मापते हैं ?सवालः- पिछले लोकसभा चुनाव में भाजपा 18 विस सीटों पर पीछे रही थी। इसमें 16 ट्राइबल थी। स्पष्ट है कि वहां कमजोर हैं ?

जवाबः- 2014 के बाद पहला मौका है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे राजनीतिक दृश्य को क्षेत्रीयता, धार्मिकता और जातिवाद से बाहर लेकर आये हैं। आम मतदाता इन सबसे ऊपर उठकर विकास को ध्यान में रखकर मतदान कर रहा है। इसका असर 2019 के लोकसभा चुनाव में स्पष्ट रूप से दिखा और आगे भी दिखेगा। पीएम मोदी सबका साथ और सबका विश्वास के मंत्र के साथ देश की 130 करोड़ जनता को सामने रखकर काम करते हैं। इसमें झारखंड के सवा तीन करोड़ लोग भी शामिल हैं। सभी योजनाओं का लाभ सभी को दिया गया। कहीं कोई भेदभाव नहीं। झारखंड में पहली बार पूरे देश में दूसरी रिफिल भी सरकार दे रही है। इससे समाज में विश्वास जागा है और उसका फायदा भी मिलेगा।

 सवालः- सबका साथ-सबका विश्वास स्लोगन कैसे निकला ?

जवाबः- 2013 में नरेंद्र मोदी ने देश का दौरा किया था। उस दौरान उन्होंने महसूस किया था कि कुछ राज्यों सहित पूरा पूर्वोत्तर विकास में अधूरा है और उसी दौरे से यह स्लोगन निकला था कि सबका साथ-सबका विकास। लेकिन, अब इसमें जुट गया है सबका विश्वास।

सवालः- लोकसभा चुनाव में विधायक संयोजक हुआ करते थे, आपने हटा दिया ?   

जवाबः- हां, यह सही है। लोकसभा चुनाव में एमएलए संयोजक हुआ करते थे, लेकिन विधानसभा चुनाव में उन्हें हटा दिया। अब तक पार्टी ने संयोजक तय कर दिया होगा। जो विधायक संयोजक हुआ करते थे और उन्हें हटा दिया गया, उनमें से कुछ मुझसे मिलने भी आये थे। उन्हें आशंका हो गई थी कि कहीं मेरा टिकट कटना फाइनल तो नहीं हो गया, लेकिन ऐसी कोई बात नहीं। जिसका जो काम है, वही करना चाहिए।

सवालः- लोकसभा चुनाव की तरह इस बार भी 75 पार वालों को टिकट देगी पार्टी ?  

जवाबः- पार्टी ने अभी 75 से अधिक उम्र वालों को टिकट नहीं देने के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। लोकसभा चुनाव में भी कई जगहों पर 75 या उससे अधिक उम्र वालों को भी टिकट मिले थे। वैसे इस मामले पर भी पार्लियामेंट्री बोर्ड अंतिम फैसला लेगा। हां, इतना जरूर है कि टिकट बंटवारे में भ्रष्टाचार सहित हर चीज का ध्यान रखा जायेगा और उन पर विचार के बाद ही निर्णय होगा।

सवालः- झारखंड बनने के बाद पलामू और संथाल की कई सीटों पर भाजपा कभी नहीं जीती ?

जवाबः- हर जगह कुछ सीटें ऐसी होती हैं, लेकिन 2014 में ही कहा था कि हम सरकार बनायेंगे और पूर्ण बहुमत से आये। हम जो काम कर रहे हैं वह गरीबों के लिए है। इसलिए उन कामों की बदौलत हम जोरदार तरीके से जीतेंगे। हमें पता है कि नीचे स्तर पर क्या करंट है। हम मैक्सिमम सीटें जीतने वाले हैं। उनमें ये सभी सीटें भी होंगी।

सवालः- मुस्लिम बहुल सीटों को अपने फोल्डर में लाने के लिए क्या योजना है ?

जवाबः- भाजपा का होमवर्क भरपूर है। आपके याद होगा पश्चिम उत्तर प्रदेश में भी ऐसी बहुत सीटें पार्टी जीती थी। सबका साथ-सबका विकास और सबके विश्वास को ध्यान में रखकर चल रहे हैं। इसलिए वोट वहां से भी मिलने वाले हैं। मुस्लिम समाज में विश्वास पैदा हुआ है। नरेंद्र मोदी सरकार ने देश के स्थायी कलंक अनुच्छेद 370 और तीन तलाक को मिटाया है। तीन तलाक के खिलाफ कानून बनने के बाद हमारी बहनों में सुरक्षा और सम्मान का विश्वास पैदा हुआ है। अनुच्छेद 370 और 35ए समाप्त होने के बाद उस तबके को अहसास हुआ है कि सरकार आम मुसलमानों के लिए काम कर रही है, सिर्फ कुछ परिवारों के लिए नहीं।

सवालः- कोल्हान से कई बड़े नेता हैं, बावजूद भाजपा के पास सिर्फ 5 सीट ?

जवाबः- यह सही है, लेकिन हमारी पार्टी की वर्किंग अलग है। भाजपा एक चुनाव के समाप्त होते ही दूसरे की तैयारी में लग जाती है। उसी हिसाब से हम जीतेंगे। पूरा होमवर्क किया है और उसका परिणाम दिखेगा। अच्छी जीत के साथ आगे बढ़ने वाले हैं।

सवालः- पिछले विस चुनाव में 30 सीटों पर भाजपा दो नंबर पर थी। फिर उन पर पार्टी दांव खेलेगी ?

जवाबः-  टिकट का मापदंड सिर्फ और सिर्फ जीत होगा। एक नंबर और दो नंबर नहीं। कार्यकर्ताओं से फीडबैक ले रहे हैं। सर्वे भी कराये गये हैं। उसे भी देख रहे हैं।  

सवालः- वर्तमान विधायकों में कुछ के टिकट कटने की चर्चा है। इनमें कौन ?

जवाबः- यह अभी स्पष्ट नहीं है। समय पर सब निर्णय होगा। पार्लियामेंट्री बोर्ड बैठेगा और मिलकर तय करेगा। किसका, कितने लोगों का या कितना प्रतिशत टिकट कटेगा, यह लाइन पहले से तय नहीं होती। युवाओं को भी मौका मिलेगा, लेकिन उनका भी आधार जीत ही होगा।

सवालः- जेपीएम से भाजपा में आये सभी 6 विधायकों को टिकट मिलेगा ?

जवाबः-  पहले ही बता चुका हूं, जीत की स्थिति के आधार पर ही टिकट तय होगा। इसमें कहीं कोई संशय नहीं।

सवालः- टिकट की चाहत में भाजपा में दूसरे दल से लोग आ रहे हैं, क्या भविष्य है ?

जवाबः- पीएम मोदी के व्यक्तित्व और नेतृत्व से प्रभावित होकर लोग भाजपा में आ रहे हैं। भाजपा कार्यकर्ता आधारित पार्टी है। हमारी विचारधारा को आत्मसात कर आनवालों का स्वागत है, लेकिन टिकट का आधार तो जीत ही होगा। लेकिन, यह ध्यान में रहे कि भाजपा अपनी कोई भी चीज नहीं भुली। जो संदेश और ध्येय लेकर समाज में गई थी, उसी पर आज भी चल रही है।

सवालः- यूपी चुनाव प्रभारी के रूप में आपकी निजी राय थी कि सीएम प्रोजेक्ट नहीं होना चाहिए, अब क्या कहेंगे ?

जवाबः- हर प्रांत की स्थिति एक नहीं होती। अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग परिस्थितियां होती हैं। इन विषयों पर पार्टी दिशा तय करती है। हर बिंदुओ को ध्यान में रखकर पार्लियामेंट्री बोर्ड इसे तय करता है। वैसे यहां तो पहले से हमारे सीएम हैं।

सवालः- राज्य के दो कद्दावर नेता सीएम और सरयू राय में विवाद चलता है, पर पार्टी कोई स्टैंड नहीं लेती ?

जवाबः- राजनीति में ये सब चीजें स्वाभाविक हैं। होती रहती हैं। वैसे इस मामले पर सरयू राय से बात हुई है। व्यक्तिगत रूप से भी मेरा मानना है कि ऐसे विवादों से जितना बचा जाये, उतना ही अच्छा।

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