नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने उज्जैन के महाकाल मंदिर में शिवलिंग के क्षरण और मंदिर स्ट्रक्चर को लेकर रिपोर्ट तलब की है। कोर्ट ने मंदिर समिति को एक सप्ताह के भीतर रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया। यह रिपोर्ट पांच अगस्त को नागपंचमी पर्व के कारण महत्वपूर्ण मानी जा रही है । नागपंचमी पर मंदिर के ऊपरी भाग में दर्शन के लिए श्रद्धालुओं के दबाव को ध्यान में रखते हुए मंदिर समिति बड़ा फैसला ले । दो मई, 2018 को महाकाल ज्योतिर्लिंग को नुकसान से बचाने का मामले पर सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर कमेटी के सुझावों को मंज़ूरी दी थी। इसके तहत शिवलिंग पर आरओ का पानी चढ़ाने, प्रति श्रद्धालु दूध और दूसरी पूजन सामग्री को सीमित करने जैसे उपाय अपनाए जाएंगे। 27 अक्टूबर, 2017 को सुप्रीम कोर्ट ने नियमों में बदलाव को अपनी मंजूरी दी थी । नियमों के मुताबिक अब एक श्रद्धालु आधा लीटर जल से ही अभिषेक कर सकेगा । एक श्रद्धालु सवा लीटर पंचामृत चढ़ा सकेगा । कोर्ट ने ज्योतिर्लिंग पर गुड़, शक्कर जैसी चीजों का लेप न लगाने का आदेश दिया था ।कोर्ट ने आरती के बाद शिवलिंग को सूती कपड़े से ढकने का आदेश दिया था । सुप्रीम कोर्ट विशेषज्ञों की कमेटी की रिपोर्ट के बाद ये फैसला दिया था। जस्टिस अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा था कि कोर्ट को मंदिर की पूजा पद्धति से कोई लेना-देना नहीं है। कोर्ट ने इस मामले पर सुनवाई शिवलिंग के संरक्षण के लिए की थी और एक विशेषज्ञ कमेटी बनाई थी। कमेटी की रिपोर्ट के बाद मंदिर की प्रबंध समिति ने कोर्ट में इस संबंध में ये प्रस्ताव दाखिल किए थे ।
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