Durga Pooja : इस बार शारदीय नवरात्र 8 दिनों का होगा। जबकि दुर्गोत्सव का महापर्व दशहरा 9 दिनों का ही होगा। शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा की पूजा-अर्चना का महापर्व शारदीय नवरात्र 7 अक्टूबर गुरूवार से शुरू हो रहे हैं। जन्मकुंडली, वास्तु व कर्मकाण्ड परामर्श के आचार्य पं. चेतन शर्मा ने बताया कि हृषिकेश पंचांग व प्रतिपदा तिथि के मतानुसार इस बार माता दुर्गा का आगमन डोली पर हो रहा है। जबकि गमन गज अर्थात् हाथी पर होगा। माता का आगमन अशुभ है जबकि गमन पर सुवृष्टि योग बन रहा है। आश्विन महीने में बारिश जनमन को तृप्त करेगा। इस बार माता का आगमन अशुभ माना जा रहा है। ऐसे में रोग शोक बढ़ेंगे। राजनितिक उठापटक बढ़ेगा। रोग बिमारी जनमानस की स्वास्थ्य प्रभावित करेगा। कुल मिलाकर इस वर्ष माता का आगमन ठीक नहीं है। नवरात्र का शुभारंभ 7 अक्टूबर दिन गुरुवार को हो रहा है। इस दिन प्रतिपदा तिथि में कलश स्थापना और मां दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री का पूजन होगा। नवरात्र 14 अक्टूबर दिन गुरुवार तक चलेगा।
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पूजा-अर्चना
11 अक्टूबर दिन सोमवार को माता के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना के बाद गोधि बेला में बेलवरण पूजा होगी। 12 अक्टूबर दिन मंगलवार को मां के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा और ध्यान के बाद नवपत्रिका स्नान-पूजन के बाद आदिशक्ति माता दुर्गा के पट खुलेंगे। जबकि दुर्गाष्टमी का व्रत 13 अक्टूबर दिन बुधवार को मनाया जाएगा। इस दिन माता दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा और ध्यान होगी। इसी दिन निशा काल में रात्रि 11:42 बजे संधिबलि की पूजा होगी। 14 अक्टूबर दिन गुरुवार को महानवमी का व्रत होगा। इस दिन माता के नौवें स्वरूप सिद्धिदात्री की पूजा के बाद नवरात्र का हवन किया जाएगा। जबकि दुर्गोत्सव का महापर्व दशहरा और विजयादशमी का त्यौहार 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार को मनाया जाएगा।
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पूजन से पहले जरूर करें संकल्प
नवरात्रारंभ तिथि प्रतिपदा यानी 7 अक्टूबर को प्रात: तैलाभ्यंग स्नानादि कर तिथिवार नक्षत्र, गोत्र, नाम आदि लेकर मां पराम्बा के प्रसन्नार्थ प्रित्यर्थ प्रसाद स्वरूप दीर्घायु, विपुल धन, पुत्र- पौत्र, श्रीलक्ष्मी, कीर्ति, लाभ, शत्रु पराजय समेत सभी तरह के सिद्यर्थ शारदीय नवरात्र में कलश स्थापन, दुर्गा पूजा और नवकुमारी पूजन करूंगा का संकल्प करना चाहिए। आचार्य चेतन शर्मा ने बताया कि गणपति पूजन , मातृका पूजन, नांदी श्राद्ध इत्यादि के बाद मां दुर्गा का षोडशोपचार या पंचोपचार पूजन करना चाहिए। उसके बाद दुर्गा सप्तशती का पाठ आरम्भ करना चाहिए।
11 को बेलवरण, 12 को नवपत्रिका प्रवेश व निशापूजा,13 को होगी संधि बलि
इस बार बेलवरण पूजा 11 अक्टूबर दिन सोमवार को होगा। जबकि नवपत्रिका प्रवेश पूजन और मूल नक्षत्र में पूजा पंडालों में देवी की स्थापना, कालरात्रि दर्शन पूजन व महानिशा पूजा 12 अक्टूबर को किए जाएंगे। वहीं दुर्गा अष्टमी का व्रत पूजन, महागौरी दर्शन पूजन, अन्नपूर्णा परिक्रमा 13 अक्टूबर दिन बुधवार होगी। इसी दिन निशा काल में रात्रि 11:42 पर संधि बलि की पूजा होगी।
देवी प्रसन्नता के लिए करें शारदीय नवरात्र
मार्कंडेय पुराण में देवी का महात्म्य दुर्गा सप्तशती द्वारा प्रकट किया गया है। वहां वर्णित है कि शुंभ-निशुंभ व महिषासुर आदि तामसी प्रवृत्ति वाले असुरों का जन्म होने से देवता दुखी हो गए। सभी ने चित्त शक्ति से महामाया की स्तुति की। देवी ने वरदान दिया कि-डरो मत, मैं अचिरकाल में प्रकट हो कर इस असुर पराक्रमी असुरों का संहार करूंगी। आप देवों का दुख दूर करूंगी। मेरी प्रसन्नता के लिए आप लोगों को आश्विन शुक्ल प्रतिपदा से घट स्थापन पूर्वक नवमी तक नौ दिन पूजा करनी चाहिए।
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