मुंबई : सन 1997 में फिल्म इंड्रस्ट्री में कदम रखने वाली इस अदाकारा ने अपनी पहली फिल्म ‘राजा की आएगी बारात’ से ही औरतों पर होने वाले अत्याचारों पर कैसे काबू किया जाए यह बताया था। इसके अलावा हर किरदार में अपना लोहा मनवाया। अधिकतर फिल्म में महिलाओं के वर्चस्व में चार चांद लगाए। हाल ही में मर्दानी-2 में एक बार फिर अपने अभिनय से जलवा दिखाने के लिए तैयार हैं। मौजूदा वक्त में देश में रेप की घटनाएं चर्चा में हैं और इस समय यह फिल्म भी महिला की ताकत को दर्शाने के लिए बनाई गई है। फिल्म के किरदार और देश में महिलाओं की स्थिति को लेकर बॉलीवुड़ अदाकारा रानी मुखर्जी से वरिष्ठ पत्रकार योगेश कुमार सोनी की खास बातचीत के मुख्य अंश…
मर्दानी-2 आज के परिवेश की बिल्कुल सटीक कहानी है। लेकिन असल जिंदगी में कैसे उतारें?
असल जिंदगी से प्रेरित होकर ही फिल्में बनती हैं तो किसी फिल्म से प्रेरित होकर उसको हकीकत में उतारने में कोई समस्या नही होनी चाहिए। यह फिल्म हैदराबाद के अमानुषी रेप केस और निर्भया के कातिलों को फांसी देने के मुद्दे पर आधारित है। 2014 में आई मर्दानी का सीक्वल है, मगर ‘मर्दानी 2’ में बलात्कार और हिंसा के पीछे की गंदी सोच को दिखाया है। आपको इस फिल्म को देखकर यह समझ में आ जाएगा कि महिलाओं की सोच को कैसे दबाया जाता है। और किसी भी नारी को इंसाफ दिलाना कितना कठिन काम है। ऐसे मामलों में प्रशासन को एक आरोपी को उसके किए की सजा दिलाना किसी चुनौती से कम नही होता।
लगातार रेप की घटनाएं होने का कारण क्या समझते हैं? इसको रोकने के विषय में आप क्या सोचती हैं?
रेप होने व करने के कई तरह की घटिया सोच होती है लेकिन रोकने के लिए सिर्फ एक है और वो है सबूत मिलते हैं सीधे सजा-ए-मौत। यदि ऐसे मामलों में निर्णय जल्दी आ जाए और सजा का प्रावधान सिर्फ और सिर्फ फांसी हो जाए तो निश्चित तौर रेप होने बंद हो जाएगें। वैसे तो हम कई डेवलेप देशों से उनकी ऐसे चीजें को लेकर तारीफ करते हैं और अपने देश में लागू करते हैं। बिल्डिगें, टेक्नोलॉजी के अलावा कई अन्य चीजों की लंबी फेहरिस्त है, तो फिर रेप जैसी घटनाओं को लेकर उनके जैसे कानून को लागू करना क्यों कठिन है। गल्फ देशों का जिक्र करें तो यहां क्राइम रेट बिल्कुल शून्य है क्योंकि यहां बड़े अपराधों की सजा मौत है। दुबई में रेप तो छोडो सोने-चांदी से भरी दुकानें लोग रात को भी बिना ताले के छोड जाते हैं क्योंकि वहां चोरी जैसे गलती की सजा पर हाथ काट दिए जाते हैं। किसी भी देश की जनता को डर सिर्फ सख्त कानून का होता है जिसकी हमारे देश में बहुत जरुरत है।
कुछ लोग रेप होने की वजह लड़कियों को ही कारण मानते हैं। आप इस बात से कितनी सहमत हैं ?
यह एकदम गलत बात है। इस तरह की बात करने वाले लोगों को अपनी सोच ठीक करनी चाहिए।हम इस बात को ऐसे समझते हैं कि आजकल युवा लड़कियां प्रेम प्रसंग के चक्कर में गलत लोगों के हत्थे लग जाती हैं या यूं कहें कि कई बार गलत इंसान पर भरोसा कर लेती है। दरअसल यह उम्र ऐसी होती है कि इसमें कुछ समझ नही आता और जिससे प्यार होता है उसकी गलत बात भी सही लगती है। बच्चियों और माता-पिता को आपस में घुला मिला व्यवहार रखना चाहिए। आज जमाना का बदल गया और यदि लडकियां किसी के संपर्क में आती हैं तो सबसे पहले अपने घर के सदस्य को बताना चाहिए। प्यार करना गलत नही लेकिन कई बार गलत इंसान पर भरोसा करना पूरी जिंदगी को तबाह कर देता है।
निर्भया और डॉक्टर प्रियकां रेड्डी जैसी रेप की घटनाओं को अंजाम देने वाले राक्षसों का क्या करना चाहिए?
ऐसे लोगों मानसिक बीमार होते हैं। ऐसे रेप करने वालों की कोई ट्रायल नही होना चाहिए सीधे मौत की सज़ा। किसी जिंदगी को बर्बाद करके खत्म करने का किसी को कोई हक नही है। हमनें देखा की डॉक्टर प्रियंका रेड्डी को दोषियों को कैसे मौत के घाट उतारा इसके अलावा निर्भया के कातिलों को जल्द ही फांसी दी जा सकती है।साथ ही एक बार फिर कहना चाहूंगी कि कठोर कानून बने और जल्द से जल्द फैसला हो।
लड़कियों को अपने बचाव में क्या करना चाहिए?
यह प्रश्न आपका सबसे अच्छा लगा और मैं इस पर यह कहना चाहती हूं कि लड़कियों को स्कूल के समय से ही सेल्फ डिफेंस सिखाना चाहिए। स्कूल व कॉलेजों में इसकी अनिवार्यता रखनी चाहिए। क्योंकि वहशी दरिदों को कोई रुप नही होता। और जब देश की हर बच्ची अपनी रक्षा औऱ सुरक्षा करना सीख जाएगी तो निश्चित तौर पर देश की दिशा व दशा बदल जाएगी।
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