अयोध्या। वर्ष 2005 में रामलला पर हुए आतंकी हमले की 14वीं बरसी पर रामजन्मभूमि परिसर में रामलला के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास ने कहा कि राम लला को अदालत से न्याय नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि जिन षड्यंत्रकारी आतंकवादियों को फांसी की सजा मिलनी चाहिए थी, उन्हें केवल उम्रकैद की सजा ही मिली है । हमले के समय उस दिन पुजारी दास रामलला के गर्भ गृह के पास ही थे। हिन्दुस्थान समाचार से शुक्रवार को बातचीत में उन्होंने कहा कि उस दिन के फिदायीन आतंकी हमले में शहीद हुए परिजनों को भी न्याय नहीं मिला है। उन्होंने आतंकी हमले की भयावह स्थिति उस दिन आंखों से देखी थी। उन्होंने कहा कि रामलला पर हुआ हमला बहुत भयावह था। उस दिन रामलला दर्शनार्थी भी भयभीत हो गये थे। मुख्य पुजारी ने कहा कि वह दृश्य सोच कर आज भी उनके रोंगटे खड़े हो जाते हैं। हमले की वारदात के विषय में उन्होंने कहा कि आतंकियों नेरॉकेट लॉन्चर रामलला के गर्भ गृह पर फेंका था। राम लला की कृपा ही थी कि बम नहीं फटा और सुरक्षा में मुस्तैद जवानों ने आतंकी हमला नाकाम कर दिया था। दास शुक्रवार को भी रामलला के दर्शन पूजन कर अपनी सामान्य दिनचर्या में लगे रहे। उल्लेखनीय है कि 05 जुलाई 2005 को राम जन्मभूमि परिसर के निकट कौशलेश कुंज के संस्कृत महाविद्यालय के पास लश्कर ने एक बड़ा फिदायीन आतंकी हमले को अंजाम दिया था। इसमें लश्कर के पांच आतंकियों ने मेक शिफ्ट स्ट्रक्चर में विराजमान रामलला को रॉकेट लॉन्चर से उड़ा देने की योजना बनाई थी। सीआरपीएफ और स्थानीय सुरक्षा बल के जवानों की सजगता के चलते ये फिदायीन आतंकी हमला सफल नहीं हो सका था। इस हमले में बड़ी जवाबी कार्रवाई करते हुए सीआरपीएफ ने पाकिस्तान के रहने वाले पांचों आतंकियों को मार गिराकर हमले को नाकाम किया था। हमले में दो स्थानीय नागरिक भी हताहत हुए थे और कुछ पुलिसकर्मियों को चोटे भी आई थी। इसी मामले में बीते माह प्रयागराज न्यायालय ने फिदायीन हमले को अंजाम देने में मदद करने वाले चार अन्य आतंकियों को घटना में शामिल होने के आरोप में आजीवन कारावास की सजा के साथ एक को बरी किया है।
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