नई दिल्ली । लोकसभा में बुधवार को इलेक्ट्रॉनिक-सिगरेट या ई-सिगरेट के निर्माण, आयात, निर्यात, बिक्री, वितरण और विज्ञापन पर रोक लगाने संबंधी विधेयक पारित हो गया।
केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री डॉ हर्षवर्धन ने मंगलवार को विधेयक पर हुई चर्चा का आज जवाब देते हुए कहा कि भारत में युवाओं की संख्या बहुत ज्यादा है और उन्हें ई-सिगरेट कंपनियां निशाना बना सकती हैं।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि देश के लोगों का स्वास्थ्य सर्वोपरि है। ई-सिगरेट कंपनियां वर्ष के अंत तक देश में बड़े पैमाने अपने प्रोडक्ट लॉन्च करने वाली थीं। एक स्कूल में जांच के दौरान 150 ई-सिगरेट मिली हैं। इसका खतरा और बढ़े इससे पहले ही अध्यादेश लाया गया। ई-सिगरेट से अमेरिका में बड़ी संख्या में मौतें हो चुकी हैं। इसलिए कड़े कदम जरूरी हैं।
विधेयक इस संबंध में पेश अध्यादेश का स्थान लेगा। इस विधेयक में दी गई ई-सिगरेट परिभाषा के अनुसार यह किसी पदार्थ निकोटीन और अन्य रसायन को गर्म करने वाला इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है। विधेयक के प्रावधान का उल्लंघन करने पर एक वर्ष तक की कैद या एक लाख रुपये जुर्माना या दोनों सजाएं दी जा सकती हैं। फिर उल्लंघन करने पर तीन वर्ष तक की कैद और पांच लाख रुपये तक का जुर्माना किया जा सकता है।
भारत में अभी ई-सिगरेट का प्रचलन काफी कम है। सरकार का कहना है कि विदेशों में खासकर अमेरिका में किए गए अध्ययनों से इससे स्वास्थ्य संबंधित नुकसान उजागर हुए हैं। यह भी पता चला है कि युवा ‘कूल’ बनने के आकर्षण में इस नई लत का शिकार हो रहे हैं।
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