उच्च न्यायालय ने केंद्र से कहा, सबका विश्वास योजना के प्रावधानों का ईमानदारी से पालन हो

नई दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा कि उससे अपेक्षा की जाती है कि सबका विश्वास योजना का अनुपालन पूरी ईमानदारी से किया जायेगा। सबका विश्वास (विरासत विवाद निपटान) योजना, 2019 का मकसद उत्पाद और सेवा कर के विवादों का समाधान करना है।

मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने कहा, ‘‘हम केंद्र से उम्मीद करते हैं कि वह इस योजना और वित्त अधिनियम के प्रावधानों का ईमानदारी से अनुपालन करेगी।’’ अदालत ने यह टिप्पणी सरकार के एक सर्कुलर को चुनौती देने वाली याचिका पर विचार करने से इंकार करते हुये की। इस सर्कुलर में ऐसे कर विवादों में योजना का लाभ देने को कहा गया है जिनपर अंतिम सुनवाई 30 जून या उससे पहले हो चुकी है। यह योजना माल एवं सेवा कर (जीएसटी) में समाहित किए गए शुल्कों से संबंधित विवादों के निपटान के लिए लागू की गई है।

इसके जरिये करदाताओं को ब्याज, जुर्माने की पूरी छूट के अलावा अभियोजन प्रक्रिया से छूट का भी लाभ मिलता है। अदालत ने अधिवक्ता निधि गुप्ता की याचिका को खारिज करते हुए इस सर्कुलर को उचित ठहराया। अदालत ने कहा कि पहली नजर में यह योजना या वित्त अधिनियम का उल्लंघन नहीं कर रहा है। केन्द्र सरकार की ओर से अधिवक्ता फरमान अली मागरे ने याचिका का विरोध किया और कहा कि इस सर्कुलर मे कुछ भी गलत नहीं है।

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