ईटानगर । अरुणाचल के राज्यपाल ब्रिगेडियर डॉ बी.डी. मिश्र ने कहा कि हिन्दी साहित्य सम्मेलन ने देश को जोड़ने का काम किया है। राज्यपाल ने राजीव गांधी विश्वविद्यालय के सभागार में सम्मेलन के 71वें अधिवेशन का उद्घाटन किया।
देशभर से आए हिन्दी सेवियों को सम्बोधित करते हुए डॉ मिश्र ने कहा, ‘मैं आज एक ऐसे कार्यक्रम में हूं, जो हिन्दीभाषा के माध्यम से देश को जोड़ने का काम कर रहा है। हमारे प्रदेश में जब तक बच्चा अपनी मां की गोद में रहता है, अपनी भाषा बोलता है और जैसे ही उसका दाख़िला विद्यालय में होता है, वह हिन्दी बोलने लगता है। मैं सम्मेलन के इस आयोजन को देखकर अभिभूत हूं। हिन्दीभाषा के माध्यम से आप अहिन्दी भाषा-भाषियों का दिल जोड़ रहे हैं, यह बहुत ही गौरव का विषय है।’
12 मार्च तक चलने वाले अधिवेशन में राजीव गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम सम्पूर्ण अरुणाचल प्रदेश के लिए गरिमापूर्ण है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन बहुत प्रसिद्ध रहे हैं। में सम्मेलन के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र ने स्वतन्त्रता संग्राम में हिन्दीभाषा के योगदान पर वृहद रूप में प्रकाश डालते हुए वर्तमान परिस्थिति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘आज देश में हिन्दीभाषा की स्थिति अतीव सोचनीय है। हमारे नेता जिस तरह से संवादहीनता का परिचय देते आ रहे हैं, उससे हमारी भाषा स्खलित हुई है।’
इस अवसर पर सम्मेलन के सभापति प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कृतज्ञता-ज्ञापन किया।
देशभर से आए हिन्दी सेवियों को सम्बोधित करते हुए डॉ मिश्र ने कहा, ‘मैं आज एक ऐसे कार्यक्रम में हूं, जो हिन्दीभाषा के माध्यम से देश को जोड़ने का काम कर रहा है। हमारे प्रदेश में जब तक बच्चा अपनी मां की गोद में रहता है, अपनी भाषा बोलता है और जैसे ही उसका दाख़िला विद्यालय में होता है, वह हिन्दी बोलने लगता है। मैं सम्मेलन के इस आयोजन को देखकर अभिभूत हूं। हिन्दीभाषा के माध्यम से आप अहिन्दी भाषा-भाषियों का दिल जोड़ रहे हैं, यह बहुत ही गौरव का विषय है।’
12 मार्च तक चलने वाले अधिवेशन में राजीव गांधी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. साकेत कुशवाहा ने कहा कि आज का यह कार्यक्रम सम्पूर्ण अरुणाचल प्रदेश के लिए गरिमापूर्ण है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के अधिवेशन बहुत प्रसिद्ध रहे हैं। में सम्मेलन के प्रधानमंत्री विभूति मिश्र ने स्वतन्त्रता संग्राम में हिन्दीभाषा के योगदान पर वृहद रूप में प्रकाश डालते हुए वर्तमान परिस्थिति को रेखांकित किया। उन्होंने कहा, ‘आज देश में हिन्दीभाषा की स्थिति अतीव सोचनीय है। हमारे नेता जिस तरह से संवादहीनता का परिचय देते आ रहे हैं, उससे हमारी भाषा स्खलित हुई है।’
इस अवसर पर सम्मेलन के सभापति प्रो. सूर्य प्रसाद दीक्षित ने कृतज्ञता-ज्ञापन किया।
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