अयोध्या फैसले पर पुनर्विचार के लिये न्यायालय में चार नई याचिकायें

नई दिल्ली। अयोध्या में राम जन्मभूमि-बाबरी मस्जिद भूमि विवाद में उच्चतम न्यायालय के नौ नवंबर के फैसले पर पुनर्विचार के लिये शुक्रवार को चार नई याचिकायें दायर की गयीं। इस फैसले में न्यायालय ने अयोध्या में 2.77 एकड़ के विवादित भूखंड पर राम मंदिर के निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर दिया था।शीर्ष अदालत में ये पुनर्विचार याचिकायें मौलाना मुफ्ती हसबुल्ला, मोहम्मद उमर, मौलाना महफूजुर रहमान और मिसबाहुद्दीन ने दायर की हैं।

ये सभी पहले मुकदमें में पक्षकार थे।इससे पहले, दो दिसंबर को इस विवाद के मूल वादकारियों में शामिल एम सिद्दीक के वारिस और उप्र जमीयत उलमा-ए-हिन्द के अध्यक्ष मौलाना सैयद अशहद रशीदी ने पहली पुनर्विचार याचिका दायर की थी। इस याचिका में उन्होंने कहा है कि बाबरी मस्जिद के पुनर्निर्माण का निर्देश देकर ही इस प्रकरण में ‘पूरा न्याय’ हो सकता है।

विदित हो कि नौ नवंबर को तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ ने अपने सर्वसम्मति के फैसले में 2.77 एकड़ की विवादित भूमि की डिक्री ‘राम लला विराजमान’ के पक्ष में की थी और अयोध्या में ही एक प्रमुख स्थान पर मस्जिद निर्माण के लिये उप्र सुन्नी वक्फ बोर्ड को पांच एकड़ भूमि आबंटित करने का निर्देश केन्द्र सरकार को दिया था।

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