झारखंड में पशुचारा उत्पादन क्षेत्र में बेहतर आमदनी के व्यापक अवसरः डॉ. डीएन सिंह

रांची। बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) रांची के निदेशक अनुसंधान डॉ. डीएन सिंह ने कहा कि राज्य में पशुचारा उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर आमदनी के व्यापक अवसर मौजूद हैं।पशु चारा के व्यावसायिक उत्पादन से दोगुना से तिगुना लाभ लिया जा सकता है। हरा चारा का पशु चारे में समावेश से पशु पोषण एवं पशु स्वास्थ्य सुरक्षा के साथ ही पशु उत्पाद में गुणात्मक वृद्धि से भी बढ़िया लाभ मिलता है। पशु पालक छोटे स्तर पर पशुचारा का उत्पादन कर बढ़िया आय कर सकते हैं।
वे बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) रांची में पौधा प्रजनक वैज्ञानिकों के दल ने पशु चिकित्सा संकाय स्थित पशुचारा अनुसंधान केंद्र के प्रक्षेत्रों के भ्रमण के दौरान वैज्ञानिकों के दल से बात कर रहे थे। उन्होंने बताया कि मंगलवार को वैज्ञानिकों के दल ने पशुचारा फसल प्रक्षेत्रों में रबी में उपजाई जाने वाली फसलों में जई (ओट), बरसीम और मक्का के प्रायोगिक शोध प्रक्षेत्रों को देखा। इस मौके पर डॉ. सिंह ने शोध वैज्ञानिकों को कम से कम सिंचाई में किसान के लिए उपयोगी चारा फसल को विकसित करने, रबी की परती भूमि में गरमा मूंग फसल की खेती और शोध करने पर बल दिया।
शोध वैज्ञानिक डॉ. योगेश ने बताया कि यह राज्य का एकमात्र पशुचारा फसल अनुसंधान केंद्र है। यह केंद्र आईसीएआर की अखिल भारतीय समन्यवित परियोजना के अधीन वर्ष 1970 से कार्यरत है। इस केंद्र में वार्षिक चारा फसल में चारा मक्का, ज्वार, बाजरा, चारा बोदी, लोबिया, राज मूंग, जई (ओट) और बरसीम तथा बहुवार्षिक चारा फसल में शंकर नेपियर, गिन्नी घास तथा चारा फसल की मिश्रित खेती पर शोध गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। भ्रमण दल में डॉ. जेडए हैदर, डॉ. सोहन राम, डॉ कृष्णा प्रसाद, डॉ. जयलाल महतो, डॉ. अरुण कुमार और डॉ. कमलेश कुमार भी शामिल थे।

 

This post has already been read 8727 times!

Sharing this

Related posts