Ranchi : शुक्रवार को झारखंड हाइकोर्ट ने धनबाद के जज उत्तम आनंद की मौत के मामले में स्वत: संज्ञान के तहत दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई की. चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से सुनवाई करते हुए सीबीआइ की ओर से प्रस्तुत जांच की प्रगति रिपोर्ट देखी. इस दौरान खंडपीठ ने कहा : जज की माैत का मामला काफी गंभीर है. सुप्रीम कोर्ट भी इस मामले को देख रहा है. इस पर गहराई से जांच की जरूरत है.
आशंका है कि यदि कोई बड़ा षड्यंत्र हुआ, तो आरोपियों पर हमला हो सकता है. आरोपियों को ट्रेन के बदले हवाई जहाज से सुरक्षित ले जायें और लाया जाये. सरकार आरोपियों को पर्याप्त सुरक्षा मुहैया कराये. खंडपीठ ने सीबीआइ को अगली सुनवाई पर जांच की प्रगति रिपोर्ट देने को कहा. मामले की अगली सुनवाई दो सितंबर को होगी.
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एफएसएल पर उठा सवाल :
सुनवाई के दौरान गृह विभाग के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का और एफएसएल के निदेशक एके बाबुली वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये उपस्थित थे. खंडपीठ ने सचिव से जानना चाहा कि बिना जांच की सुविधा के एफएसएल क्यों चल रही है?
सीबीआइ ने बताया था कि एफएसएल ने यूरिन व ब्लड सैंपल की जांच किये बिना यह कहते हुए लौटा दिया कि जांच की सुविधा नहीं है. एफएसएल में जांच की सुविधा का नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है. खंडपीठ ने कहा कि कमी निकाल कर डॉक पर खड़ा करने का उसका कोई उद्देश्य नहीं है, बल्कि वह चाहता है कि यदि कोई कमी है, तो उसे दूर किया जाये. यह नौबत कभी न आये कि किसी को यह कहते हुए लाैटा दिया जाये कि इसकी जांच यहां नहीं हो सकती है.
लॉ विंग से इन्वेस्टिगेशन को अलग करने की जरूरत : खंडपीठ ने मौखिक रूप से कहा : एफएसएल निदेशक के पास इसका विजन होना चाहिए कि लैब कैसे बेहतर बने और उसमें क्या-क्या सुविधाएं होनी चाहिए. आज के जमाने में तकनीकी जांच की जरूरत पड़ती है. पुलिस को भी जांच में तकनीक का सहारा लेना चाहिए. लॉ विंग से इन्वेस्टिगेशन को अलग करने की जरूरत है.
निचली अदालत से सजा मिलती है, लेकिन उसमें से कई फैसले हाइकोर्ट में टूट जाते हैं. इसका मुख्य कारण अनुसंधान में कमी का होना रहता है. खंडपीठ ने राज्य सरकार को एफएसएल में उपलब्ध सुविधाओं और कमियों को लेकर विस्तृत शपथ पत्र दायर करने का निर्देश दिया. शपथ पत्र में यह बताने को कहा गया कि क्या-क्या सुविधाएं उपलब्ध हैं? क्या कमियां हैं? तकनीकी व गैर तकनीकी कितने पद रिक्त हैं? पद भरने के लिए क्या कदम उठाये गये हैं?
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यह है मामला :
ज्ञात हो कि धनबाद के जज उत्तम आनंद की सड़क दुर्घटना में मौत मामले को गंभीरता से लेते हुए झारखंड हाइकोर्ट ने उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था. झारखंड पुलिस एसआइटी गठित कर मामले की जांच कर रही थी. इसी बीच राज्य सरकार ने मामले की सीबीआइ जांच की अनुशंसा की. बाद में सीबीआइ ने मामले को हैंड ओवर लेते हुए जांच शुरू की. सुप्रीम कोर्ट ने जज उत्तम आनंद की मौत मामले में सुनवाई करते हुए सीबीआइ को निर्देश दिया था कि जांच की स्टेटस रिपोर्ट हर सप्ताह झारखंड हाइकोर्ट को सौंपे. हाइकोर्ट जांच की मॉनिटरिंग कर रहा है.
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