न्यायालय ने तमिलनाडु के नौ नये जिलों में निकाय चुनाव पर रोक लगाई

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को तमिलनाडु के नौ नये जिलों में होने वाले स्थानीय निकाय के चुनावों पर रोक लगाते हुये कहा कि इनके लिये परिसीमीन और आरक्षण जैसी कानूनी औपचारिकताएं चार महीने में पूरी की जायें। राज्य में चार जिलों से इन नौ जिलों का सृजन किया गया था। प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति सूर्य कांत की तीन सदस्यीय पीठ ने इस मामले में तमिलनाडु सरकार द्वारा पेश सुझावों पर विचार किया। राज्य सरकार ने कहा था कि वह नये सिरे से परिसीमन और अनुसूचित जाति एवं जनजाति के सदस्यों के लिये सीटों के आरक्षण की कवायद पूरी करने के लिये इन चुनावों को स्थगित करने के लिये तैयार है।

पीठ ने अपने आदेश में कहा कि तमिलनाडु के शेष नौ जिलों में स्थानीय निकाय के चुनाव कराने में किसी प्रकार की बाधा नहीं होगी। साथ ही उसने तमिलनाडु राज्य चुनाव आयोग को निर्देश दिया कि वह चार महीने के भीतर नये सिरे से परिसीमन और दूसरी औपचारिकताओं को पूरा करे।राज्य के पुनर्गठित जिन नौ जिलों में चुनाव नहीं होगा उनमे कांचीपुरम, चेंगलपुट्टू, वेल्लोर, थिरूपत्थूर, रानीपेटी, विल्लुपुरम, कल्लाकुरूचि, तिरूनेल्वेली ओर टेंक्साई शामिल हैं। पीठ ने यह भी कहा कि प्रदेश के अन्य जिलों में पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार ही स्थानीय निकायों के चुनाव कराये जायेंगे।

राज्य चुनाव आयोग ने कानूनी औपचारिकतायें पूरा किये बगैर ही सोमवार को तमिलनाडु में दो चरणों में -27 और 30 दिसंबर-स्थानीय निकायों के चुनाव कराने की घोषणा की थी। चुनाव आयोग की इस घोषणा के खिलाफ द्रमुक ने शीर्ष अदालत में याचिका दायर की थी। इसमे न्यायालय से अनुरोध किया गया था कि राज्य चुनाव आयोग को परिसीमन और सीटों के आरक्षण संबंधी कानूनी औपचारिकतायें पहले पूरी करने का निर्देश दिया जाये।

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