दिल्ली : पी चिदंबरम ने कहा कि सरकार जो बिल ला रही है, ये पूरी तरह से गैर-संवैधानिक है. हमारी जिम्मेदारी बनती है कि वही पास करें जो सही हो, अगर गैर-संवैधानिक बिल को हम पास करते हैं तो बाद में सुप्रीम कोर्ट इस बिल का भविष्य तय करेगी.
राज्यसभा में नागरिकता संशोधन बिल पर बहस करते हुए पूर्व गृह मंत्री पी चिदंबरम ने मोदी सरकार को चुनौती दी. उन्होंने कहा कि सरकार जो बिल ला रही है, ये पूरी तरह से गैर-संवैधानिक है. हमारी जिम्मेदारी बनती है कि वही पास करें जो सही हो, अगर गैर-संवैधानिक बिल को हम पास करते हैं तो बाद में सुप्रीम कोर्ट इस बिल का भविष्य तय करेगी. इस दौरान चिदंबरम ने सरकार के चार सवाल भी पूछे.
बिल गैरकानूनी है, विरोध करें
पी. चिदंबरम ने कहा कि नागरिकता संशोधन बिल 2019 आर्टिकल 14 के प्रावधानों का उल्लंघन करता है, जिसमें समानता का अधिकार शामिल है. इसमें जो कानूनी कमियां हैं, उसका जवाब कौन देगा और जिम्मेदारी कौन लेगा. अगर कानून मंत्रालय ने इस बिल की सलाह दी है तो गृह मंत्री को कागज रखने चाहिए, जिसने भी इस बिल की सलाह दी है उसे संसद में लाना चाहिए. आपने तीन देशों को ही क्यों चुना, बाकी को क्यों छोड़ा? आपने 6 धर्मों को ही क्यों चुना?
श्रीलंका के हिन्दू और भूटान के क्रिश्चयन कैसे छोड़े गए?
पी चिदंबरम ने बिल को लेकर कई सवाल किए उन्होंने कहा कि आखिर पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश को किस आधार पर चुना गया, जबकि श्रीलंका को छोड़ दिया गया. आपने सिर्फ 6 धर्म के लोगों को किस तरह से चुना और अहमदिया, हजारा और रोहंग्यिा को कैसे छोड़ दिया? आपने श्रीलंका के हिन्दुओं और भूटान के क्रिश्चयन को कैसे छोड़ दिया? चिदंबरम ने कहा कि सिर्फ धर्म के आधार पर सताए गए लोगों को नागरिकता क्यों दी जा रही है, राजनीतिक रूप से सताये गए लोगों को नागरिकता क्यों नहीं? क्या लोगों को भाषा के आधार पर, युद्ध के दौरान सताया नहीं जाता है. उन्होंने कहा कि लोग सिर्फ धर्म के आधार पर सताए जाते हैं. उन्होंने कहा कि ये बिल सुप्रीम कोर्ट में नहीं टिकेगा? आखिर हमें इस बिल को सपोर्ट करने को क्यों कहा जा रहा है?
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