केंद्र सरकार को संसद में मिल सकता है तृणमूल का समर्थन

कोलकाता। लोकसभा चुनाव में अपने ही राज्य में भाजपा के हाथों 12 सीटें गंवा चुकी तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी के तेवर अब बदले बदले नजर आ रहे हैं।  अमूमन छोटे बड़े मुद्दे पर आक्रामक रुख अख्तियार करने वाली ममता बनर्जी अब शांत और संयमित दिख रही हैं। हर छोटे -बड़े मुद्दे पर केंद्र सरकार की मुखालफत करने वाली ममता ने नीतिगत मुद्दों पर केंद्र सरकार को समर्थन देने की बात कह कर सबको चौंका दिया।  बुधवार को दीघा में प्रशासनिक बैठक को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने सांसदों को निर्देश दिया है कि वे संसद में केंद्र सरकार के अच्छे कार्यों को समर्थन करेंगे। ममता ने कहा कि देश में संवैधानिक व्यवस्था है। जो जहां सत्ता में है, उसे जनता के हित में काम करने दिया जाना चाहिए।

मैं बंगाल में काम कर रही हूं और जो केंद्र में हैं उनके सकारात्मक कार्यों को समर्थन देने का निर्देश मैंने अपने सांसदों को दे दिया है। माना जा रहा है कि लोकसभा चुनाव के पहले हर मुद्दे पर केंद्र का विरोध करने के कारण लोगों के बीच ममता बनर्जी की जो नकारात्मक छवि बनी उसे मेकओवर करने की कोशिश के तहत ही ममता ने यह निर्देश दिया है।  फिलहाल संसद का कोई सत्र नहीं चल रहा है और सत्र चलने पर सांसद उनके इस बयान का क्रियात्मक तौर पर कितना पालन करेंगे यह देखने के बाद मुख्यमंत्री की वास्तविक मंशा स्पष्ट होगी। हालांकि भाजपा ने उनके इस बयान को मौका परस्ती करार दिया है।

गुरुवार को पार्टी के आधिकारिक सोशल मीडिया ग्रुप में एक बयान जारी कर कहा गया है कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने लोगों को केवल बरगलाने के लिए इस तरह का बयान दिया है। सच्चाई यह है कि ममता ने राज्य भर में केंद्रीय परियोजनाओं को या तो लागू नहीं होने दिया या जो परियोजनाएं पहले से चल रही थीं, उन पर गैरकानूनी तरीके से राज्य सरकार की मुहर लगाकर अपनी सुविधा मुताबिक नामकरण कर दिया।

ग्राम सड़क योजना, आवास योजना, खाद्य सुरक्षा योजना ऐसी हीं कुछ परियोजनाएं हैं जिसे ममता ने नाम बदल दिया है लेकिन इसमें अधिकतर धनराशि केंद्र सरकार की ओर से दी जाती है। इसके अलावा स्मार्ट सिटी मिशन, पोषण अभियान, आयुष्मान भारत योजना, प्रधानमंत्री कृषि सम्मान निधि, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, प्रधानमंत्री  मानधन योजना, सॉइल हेल्थ कार्ड स्कीम एवं निर्भया फंड के अधीन सखी सेंटर योजना को पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य में लागू नहीं किया। इससे बड़े पैमाने पर आम लोग, किसान और महिलाएं महत्वाकांक्षी केंद्रीय मदद से वंचित हुए हैं। लोगों को पांच लाख तक की मुफ्त चिकित्सा मुहैया कराने वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी आयुष्मान भारत योजना को बंद कराने के लिए  ममता बनर्जी की पार्टी के नेता सड़कों पर उतरे थे। कई पोस्ट ऑफिस में ताले जड़ दिए गए। इस योजना से संबंधित कार्ड वितरित करने वाले डाकियों को धमकाया गया। अब जबकि ममता ने  केंद्र के साथ मिलकर काम करने का आह्वान किया है तो भविष्य में तृणमूल कांग्रेस के सांसदों का रुख क्या होगा, इस पर सबकी नजरें रहेंगी।

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