नई दिल्ली। प्रधानमंत्री किसान पेंशन योजना का लाभ किसानों तक पहुंचे इसके लिए केन्द्र सरकार द्वारा व्यापक इंतजाम किए जा रहे हैं। कृषि मंत्रालय के एक अधिकारी ने शनिवार को ‘हिन्दुस्थान समाचार’ से बातचीत करते हुए कहा कि किसानों को इस योजना के बारे में विस्तार से जानकारी देने के लिए केन्द्र एवं राज्य सरकार साझा प्रयास करेगी ताकि पात्र किसानों को इस योजना से जोड़ा जा सके। पहले तीन वर्षों में लगभग पांच करोड़ लाभार्थियों को इस योजना से जोड़ने के लक्ष्य को पूरा करने की दिशा में काम किया जा रहा है। लघु और सीमांत किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार किसानों के लिए वृद्धावस्था पेंशन प्रदान करने एवं किसानों को आत्मबल देने के उद्देश्य से इस योजना को विस्तार दे रही है।
क्या है प्रधानमंत्री किसान पेंशन योजना?
लघु और सीमांत किसानों के लिए सामाजिक सुरक्षा नेटवर्क प्रदान करने के उद्देश्य से सरकार ने इन किसानों के लिए वृद्धावस्था पेंशन प्रदान करने के लिए नई केंदीय क्षेत्र की स्कीम कार्यान्विकत करने का निर्णय लिया है। बुजुर्ग किसानों को आत्मनिर्भर एवं आर्थिक सहायता देने के उद्देश्य से मोदी सरकार ने अपने दूसरे कार्यकाल में किसानों को पेंशन देने की घोषणा की है। इस योजना के तहत किसान को 100 रुपये महीने जमा करना होगा। जब किसान की उम्र 60 वर्ष हो जाएगी तो उसे तीन हजार रुपये महीने पेंशन दिया जाएगा। 18-40 वर्ष के लघु एवं सीमांत किसानों के लिए स्वैच्छिक और अंशदान वाली पेंशन योजना है। लाभार्थी के लिए 29 वर्ष की मध्य प्रविष्टि आयु होने पर 100 रुपये प्रति माह का अंशदान करना होगा। केंद्र सरकार भी पेंशन फंड में समान राशि का योगदान करेगी।
कहां जमा होगा पैसा?
यह अंशदान भारतीय जीवन बीमा निगम(एलआईसी) द्वारा प्रबंधित पेंशन फंड में जमा किया जाएगा और एलआईसी पेंशन का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी होगी। इस योजना के तहत किसान सीधे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (पीएम-किसान) से प्राप्त होने लाभ में से इस योजना में अपना अंशदान देने का विकल्प चुन सकते हैं अन्यथा राज्य सरकारें अंशदान दे सकती हैं। इसलिए पात्र किसान पीएम-किसान योजना के तहत राज्य नोडल एजेंसियों अथवा एमईआईटीवाई के तहत कॉमन सर्विस सेंटर (सीएससी) के माध्यम से पेंशन योजना में नामांकन करवा सकते हैं।
किसान इन बातों का रखें ध्यान
किसान इस योजना को स्वैच्छिक रूप से छोड़ सकते हैं अथवा अंशदान का भुगतान नहीं करने अथवा लाभार्थी की मृत्यु होने पर इस स्कीम को छोड़ा जा सकता है। इस स्कीम से एग्जिट करने पर लाभार्थी को अपना जमा किया हुआ शेयर मिल जाएगा और सरकार का अंशदान एलआईसी के फंड में जमा हो जाएगा। सब्सक्राइबर की मृत्यु होने के पश्चात् उसका पति/पत्नी पारिवारिक पेंशन के रूप में 50 प्रतिशत राशि प्राप्त करने का पात्र होगा, बशर्ते वह पहले से योजना का लघु एवं सीमांत किसान लाभार्थी न हो। अंशदान की अवधि के दौरान सब्सक्राइबर की मृत्यु होने पर पति/पत्नी नियमित अंशदान का भुगतान कर योजना को जारी रख सकेंगे। इस योजना में पूर्ण पारदर्शिता के लिए ऑनलाइन शिकायत निवारण प्रणाली का भी इंतजाम किया गया है।
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