अब प्रियंका ही कांग्रेस का भविष्य तय करेंगी

-सीमा पासी- यह बात तो सही नहीं है कि प्रियंका गांधी ने अभी सक्रिय राजनीति में आना तय किया है वो बहुत पहले से राजनीति में ही है लेकिन वो केवल चुनावों के समय ही अपनी माता और भाई के लिये चुनाव प्रचार करती थी। पहले उन्होंने कांग्रेस में औपचारिक रूप से कोई पद ग्रहण नहीं किया था लेकिन पार्टी के महत्वपूर्ण फैसलों में उनकी भागीदारी रही है। अभी तक राहुल गांधी भी बेमन से राजनीति करते हुए प्रतीत होते थे लेकिन अब वो राजनीति को गम्भीरता से ले रहे…

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मतदातों से एक निवेदन-अगली सरकार मज़बूत सरकार

-इंदु बरोरा- सबसे पहले यह स्पष्ट करना अनिवार्य होगा कि यह अपील मज़बूत सरकार चुनने के लिये है, मोदी सरकार चुनने के लिये नहीं। अगर आपको लगता है कि कांग्रेस एक मज़बूत सरकार दे सकती है तो उसे भरपूर बहुमत देकर जितायें। और अगर आप समझते हैं कि बीएसपी, या टीएम्सी या एएपी या कोई अन्य दल या दलों का समूह मज़बूत सरकार दे सकता है तो उस दल/समूह को अपना भरपूर समर्थन दें, कोई कमी न छोड़े। हर  मतदाता  को यह बात समझनी होगी कि देश को तोड़ने वाली…

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थर्ड जेंडर में मजहबी बंटवारे का खतरा

-नाइश हसन- देश में हाशिये पर जीवन बिताता एक समुदाय नब्बे के दशक में अपनी पहचान और अधिकारों को लेकर एक तरह की चेतना अपने अंदर महसूस करने लगा। विभिन्न मानवाधिकार संगठनों की अगुआई में इस एलजीबीटी समुदाय ने भारत के संविधान का हवाला देकर अपने नागरिक अधिकारों के लिए आवाज बुलंद की तो कई चुनौतियां उसके सामने आईं। समाज उनके सवालों को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं था। तरह-तरह की परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ा। उनका मजाक बनाया गया, उन पर जेहनी और जिस्मानी बेरहमी की गई,…

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योग की पढ़ाई समय की मांग

-हीरा दत्त शर्मा- हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में अगले शैक्षणिक सत्र से विद्यार्थी योग, संगीत के साथ-साथ शह-मात का खेल शतरंज खेलते नजर आएंगे। शिक्षा विभाग पहली बार पहली से आठवीं कक्षा तक योग, संगीत और शतरंज विषय के रूप में शुरू करने जा रहा है। वैसे भी स्कूलों में योग शिक्षा को विषय के तौर पर शुरू करने के लिए भाजपा के चुनावी दृष्टि पत्र में किए गए वादे को सरकार पूरा करने जा रही है। ऐसा सुनने में आया है कि इन तीनों विषयों का पाठ्यक्रम एससीआरटी के…

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मायावती समझ गयीं थीं ममता बनर्जी का खेल, इसलिए समर्थन नहीं दिया

-आशीष वशिष्ठ- सवाल यह भी है कि क्या मायावती ममता की राजनीतिक पैंतरेबाजी को समझते हुए उनसे दूरी बनाये रहीं? क्या मायावती को इस बात का आभास है कि ममता इस पूरे ड्रामे के बीच खुद को गठबंधन का सबसे बड़ा नेता साबित करना चाहती हैं? सीबीआई के बहाने मोदी सरकार पर निशाना साधती पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का हाई वोल्टेज राजनीतिक ड्रामा पूरे देश ने देखा। भाजपा विरोधी अधिकतर दलों का ममता को समर्थन है। लेकिन इस प्रकरण में बहुजन समाज पार्टी की सुप्रीमो मायावती की चुप्पी…

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देश की नब्ज नहीं पकड़ सके अण्णा

-सुरेश हिन्दुस्थानी- समाजसेवी अण्णा हजारे द्वारा लोकपाल और किसानों की समस्या को लेकर किया गया धरना- अनशन इस बार बिना किसी सुर्खियों के समाप्त हो गया। अण्णा हजारे इस बार वैसा चमत्कार नहीं दिखा पाए, जैसा वे दिखाना चह रहे थे। जिस अण्णा हजारे के आंदोलन में पूरा देश उद्वेलित हो गया था, उनके द्वारा वर्तमान में किया गया आंदोलन मात्र सात दिवस में ही असफलता का ठप्पा चिपकाकर समाप्त हो गया। 2011 में समाजसेवी अण्णा हजारे ने भ्रष्टाचार के विरोध में व्यापक आंदोलन किया था। उस आंदोलन के कारण…

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गांधी की हत्या का पुनर्सृजन क्यों?

-राम पुनियानी- हाल में, 30 जनवरी 2019 को, जब पूरा देश राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का 71वां बलिदान दिवस मना रहा था, उस दिन अलीगढ में हिन्दू महासभा के सदस्यों ने गांधीजी की हत्या की घटना का सार्वजनिक रूप से पुनर्सृजन किया। हिन्दू महासभा की सचिव पूजा शकुन पाण्डेय के नेतृत्व में, भगवा वस्त्र पहने कुछ कार्यकर्ता वीडियो शूटिंग करने के नाम पर एक स्थान पर इकठ्ठा हुए। पाण्डेय ने गांधीजी के पुतले पर तीन गोलियां दागीं और फिर पुतले के अन्दर छुपाये गए गुब्बारे में से खून रिसने लगा। वहां…

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नदियों की अविरलता का महत्त्व

-कुलभूषण उपमन्यु- प्रकृति ने पृथ्वी पर नदियों का निर्माण निकास प्रणाली के लिए ही नहीं किया, वह तो नदी की गौण भूमिका है, जिसे अंग्रेजी भाषा ने ड्रेनेज सिस्टम कहकर और ओछा बना दिया। नदी, जो जल के रूप में प्राण प्रवाह को धरती के कोने-कोने तक पहुंचाने की व्यवस्था का हिस्सा है, उसे ड्रेनेज जैसे शब्दों ने गंदी नाली में बदलने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। जल को संस्कृत में रस भी कहा जाता है, रसो विष्णु कहकर जल को पालन कर्ता विष्णु का रूप घोषित किया गया। यह…

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निरंकुशता पर अंकुश जरूरी

-पीके खुराना- आप सबने एक कहावत सुनी होगी लम्हों ने खता की, सदियों ने सजा पाई। मानव सभ्यता के इतिहास में जब कोई शासक कोई बड़ी भूल कर देता है, तो लंबे समय तक समाज उसके परिणाम भुगतता रह जाता है। नेता का काम समाज को बांटना नहीं, समाज को जोड़ना होता है, लेकिन हमारा दुर्भाग्य है कि अपने क्षुद्र निहित स्वार्थों की खातिर नेताओं ने इस ओर कभी ध्यान नहीं दिया। नेता का काम वंचित वर्गों को समर्थ बनाना होता है, रेवडि़यां बांटना नहीं। दलितों और कमजोर आय वर्ग…

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इस बार आम चुनाव में आर-पार की लड़ाई

-के एम झा- हाल ही में संपन्न हुए पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में तीन राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान और छतीसगढ में भाजपा को सत्ता से हाथ धोना पड़ा। भाजपा जिस कांग्रेस पार्टी को देश से समाप्त करने का सपना संजोए बैठी थी ,उसी कांग्रेस ने इन राज्यों में भाजपा को हराकर सत्ता प्राप्त कर ली है। इस जीत ने जहां कांग्रेस के उत्साह में वृद्धि की है, वही केंद्र की भाजपा नीत राजग सरकार के मुखिया नरेंद्र मोदी की चिंता भी बढ़ा दी है। इधर कांग्रेस के हौसलें इतने बुलंद…

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