कामयाबी के लिए सेल्फ मैनेजमेंट जरुरी

तनाव भरी जिंदगी से छुटकारा पाना चाहते हैं और करियर में एक कामयाब इंसान बनने के इच्छुक हैं, तो सीखें सेल्फ मैनेजमेंट की स्किल… सेल्फ अवेयरनेस सेल्फ अवेयरनेस की स्किल सीखने से जीवन की उलझनें खुद-ब-खुद आसान हो जाएंगी। आपको बस यह समझने की जरूरत है कि आखिर जीवन में इतनी कुंठा या निराशा क्यों घर कर गई है। ऐसी स्थितियों में मोटिवेशन बढ़ाने वाले तौर-तरीके सीखने जरूरी होते हैं। खुद के बारे में विचार मंथन कर हर समय पॉजिटिव बने रहने की कला आनी चाहिए। इमोशनल मैनेजमेंट सेल्फ कॉन्फिडेंस…

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बोलने का आत्मविश्वास सफलता की सीढ़ी

अगर आप लोगों से संपर्क करने और उनके बीच खुल कर बोलने में असहज महसूस करते हैं तो आज से ही इसे बदलने की कोशिश शुरू करें। अंतर्मुखी प्रकृति सफलता में बड़ी बाधा भी बन सकती है। खुद पर विश्वास है तो लोगों के बीच घबराना कैसा? अगर किसी को अचानक एक बड़े जनसमूह के सामने कुछ बोलने के लिए कह दिया जाए तो अधिकतर लोग बुरी तरह घबरा जाते हैं। हालांकि इस बात का आपकी योग्यता से कोई लेना-देना नहीं होता, फिर भी यह बात आपकी छवि को नकारात्मक…

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फ्रीलान्स राइटर हैं तो इन बातों का जरूर रखें ध्यान

अगर आप फ्रीलान्स राइटर बनने की सोच रहे हैं तो इसका मतलब सिर्फ एक लैपटॉप खरीदना या एक भाषा के ऊपर बढ़िया कमांड होना ही नहीं है। ध्यान में रखने लायक कई ऐसी चीजें हैं जो आपका फायदा या नुकसान करवा सकती है। एक्सपर्ट एडवाइस के लिए आगे पढ़ें… प्रोफेशनलिज्म:- एक लैपटॉप खरीदना और कुछ ब्लॉग लिखने से ही आप इस प्रतिस्पर्धात्मक क्षेत्र में टिके नहीं रह सकते। एक लेखक के पास तीन चीजें होनी चाहिए: एक ब्लॉग, एक प्रोफेशनल ईमेल अकाउंट और एक वेबसाइट। यह चीजें प्रोफेशनल होने के…

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आपका व्यक्तित्व बनाता है आपकी पहचान

लगभग हर आदमी एक जैसा है। आप किसी सभागृह में पहुंच जाइये, जहां कोई वक्ता भाषण दे रहा हो, श्रोताओं को देखिये। दिखाई देगा कि लगभग हर श्रोता एक जैसा है। अब वक्ता को देखिये, सुनिये, आप पायेंगे कि वह दूसरों से हट कर हैं। वक्ता जब बोल रहा होता है तो उसके प्राय निम्नलिखित गुणधर्म प्रकट होते हैं। उसके विचार, जीवन के प्रति दृष्टिकोण, अनुभवों की व्यापकता। अपनी बात दूसरों को समझाने की शैली, उसकी एकाग्रता, वह दृढ़ता जिसके जरिये वह अपनी बात विश्वास के साथ आप तक पहुंचता…

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ऐसे बनाएं अपने सीवी को दमदार…

यह जमाना मार्केटिंग का है यानी जो बिके वही सफल। जॉब मार्केट में भी यही फॉर्मूला लागू होता है। इसलिए नौकरी पाने वाले उम्मीदवार को अपनी सॉलिड मार्केटिंग करनी होती है, ताकि वह किसी स्ट्रांग कंपनी में जॉब पा सके। किसी भी नई नौकरी के लिए आपको सबसे पहले अपना रिज्यूमे यानी सीवी संबंधित कंपनी को देना होता है। आमतौर पर सीवी में उम्मीदवार के तब तक के प्रोफेशनल जीवन का पूरा इतिहास, कामयाबियां, खास-खास हुनर और व्यक्तिगत पृष्ठभूमि दर्ज की जाती है सीवी ही किसी उम्मीदवार को जरूरतमंद कंपनी…

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पैशन का अच्छा उपयोग कर इसे प्रोफेशनल करियर में बदलें

हो सकता है कि आप दिन में गणित के टीचर हैं लेकिन रात को आप एक प्रोफेशनल पोट्रेट फोटोग्राफर हों। अगर आप उन बहुत से लोगों की तरह हो जिसके पास कमाई के साधन के लिए नौकरी हो और मन को सुकून देने के लिए पैशन तो बहुत कम होता है जब ये दोनों चीजें मिलें। इसलिए क्यो न पैशन का अच्छा उपयोग कर इसे प्रोफेशनल करियर में बदल दिया जाए। जितना आप सोचते हैं उससे ज्या दा यह आसान हो सकता है। इन टिप्स के जरिए आप हॉबी को…

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उद्यमिता की शिक्षा

दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाले देश में हर किसी को सरकारी नौकरी नहीं मिल सकती, पर उद्यमिता की शिक्षा हासिल करने वाले युवाओं के लिए यहां का बाजार एक बड़े मौके की तरह है। एंटरप्रेन्योरशिप के हुनर को तराशकर मनपसंद फील्ड में मन से काम करके तरक्की की सीढ़ियां चढ़ी जा सकती हैं। आखिर आसानी से कैसे बढ़ें इस राह पर, बता रहे हैं हम… हाल में उत्तर प्रदेश में चपरासी पद की मात्र 368 रिक्तियों के लिए 23.25 लाख आवेदन आना अखबारों की सुर्खियां तो बना ही,…

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कवर लेटर में कभी न करें कॉपी-पेस्ट…

फर्ज कीजिए कि एक कंपनी में तीन लोग एक ही नौकरी के लिए आवेदन करते हैं। इनमें से एक साल भर के ब्रेक के बाद वापसी की कोशिश में लगी महिला है, दूसरा, प्रमोशन के लिए नौकरी बदलने की जद्दोजहद कर रहा एक प्रोफेशनल है और तीसरा, पहली नौकरी तलाश रहा एक युवा है। कंपनी की हायरिंग टीम इनका सीवी देखने की जहमत उठाएगी या नहीं, यह दारोमदार है इनके कवर लेटर्स पर। सीवी का आईना, यानी कवर लेटर किस परिस्थिति में कैसे लिखा जाना चाहिए… आजकल बहुतेरे बॉलीवुड निर्माता…

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इंटरनेट की लत न लग जाए

इंटरनेट का अत्यधिक इस्तेमाल किसी नशे की आदत से कम नहीं। इससे प्रभावित होता है किशोरों का सामान्य जीवन व विकास। जरूरी है समय रहते इस पर नियंत्रण करना… अंशिका की उम्र 17 वर्ष है। पढ़ाई में वह ठीक है, पर उसकी उम्र के अन्य बच्चों की तरह आउटडोर गेम्स में उसकी कोई रुचि नहीं है। सहेलियों से मिलना-जुलना भी उसे अच्छा नहीं लगता। उसका ज्यादातर समय अपने लैपटॉप पर बीतता है। लैपटॉप पर गेम्स खेलने और फेसबुक जैसी सोशल नेटवर्किंग साइट्स पर दोस्तों से कनेक्ट रहना उसे भाता है।…

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डायरैक्ट सैलिंग में उभरता शानदार कैरियर

एक मल्टीनैशनल कंपनी में कार्यरत अनुराधा गोयल, जो नोएडा की एक पौश कालोनी में रहती हैं, ने पिछले 2 सालों से किसी मौल या दुकान से अपने लिए ब्यूटी प्रोडक्ट्स नहीं खरीदे हैं। वे औरीफ्लेम डीलर को फोन कर देती हैं और घर बैठे ही उन्हें अपनी जरूरत के कौस्मैटिक्स उन्हीं दामों में मिल जाते हैं। सब से अच्छी बात उन्हें यह लगती है कि जाने के झंझट से बचने के साथ कई बार फायदेमंद स्कीम और डिस्काउंट भी उन्हें मिल जाता है। कंपनी की बुकलैट से उन्हें नए प्रोडक्ट्स…

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