कल ही झारखंड राज्य का 23 वां स्थापना दिवस समारोह बड़े ही धुम धाम से मनाने की पूर्ण तैयारी है। आपके स्मरण हेतु… सौलह श्रृंगार से युक्त 20वीं सदी के आरंभिक दशक में प्रकृति की गोद में बसने वाला झारखंड राज्य निर्माण आंदोलन का बीजारोपण छोटानागपुर उन्नति समाज, छोटानागपुर- संथाल परगना आदिवासी सभा (आदिवासी महासभा), झारखण्ड पार्टी आदि के नेतृत्व में हुआ। 1963 से 1973 तक का समय झारखंड आंदोलन के बिखराव एवं ठहराव का दौर था। 20वीं सदी के अंतिम चतुर्थांश में झारखंड मुक्ती मोर्चा ने नियमित आंदोलन किया…
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एक डाल-डाल, तो दूसरा पात-पात
भारतीय जनता पार्टी 2024 का लोकसभा चुनाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में ही लड़ेगी। इस बार भी भाजपा की सवारी हिन्दुत्व का रथ ही होगा। इसी हिन्दुत्व के माध्यम से उसने 2014 के चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ अपना विजय अभियान आरम्भ किया था। तब से लेकर आज तक हिन्दुत्व के बूते ही भाजपा का विस्तार होता गया और कांग्रेस सिमटती चली गयी। हालांकि, कांग्रेस की कमी को पूरा करने के लिए कई क्षेत्रीय क्षत्रपों ने विभिन्न राज्यों में अपना राजनैतिक विस्तार कर लिया। इन्होंने विगत कुछ वर्षों के…
Read Moreएक अनोखी नवरात्रि
त्योहारों का मौसम हो और स्कूल बंद हो। ना पढ़ाई की चिंता, ना होमवर्क की चिंता, इस समय 99% बच्चे, मोबाइल की चपेट में नजर आते हैं । कोई रिल बनाते हुए, तो कोई इंस्टा में । आज के इस वर्तमान स्थिति में एक जगह ऐसा भी है जहां अधिकांश बच्चे, बूढ़े, महिलाएं एवं पुरुष सभी मोबाइल मे नही अपितु भगवान की भक्ति में तल्लीन नजर आते हैं । एक ऐसा स्थल है जहां, सावन में महादेव की पूजा से लेकर भगवान कृष्ण की जन्माष्टमी, गणेश चतुर्दशी, माता के आगमन…
Read Moreबीजेपी को ‘इंडिया’ से डर क्यों लगता है?
आशा है कि इससे लोगों को न्याय मिलेगा और वे सामाजिक समानता हासिल कर सकेंगे। उन्हें उनकी संख्या के अनुपात में शिक्षा और रोजगार क्षेत्रों में पर्याप्त प्रतिनिधित्व मिलेगा बिहार ने जाति आधारित जनगणना के नतीजे जारी कर एक बार फिर देश की राजनीति का रुख पलट दिया है. 70 के दशक में आपातकाल के खिलाफ जेपी आंदोलन हो या 90 के दशक में शुरू हुई मंडल राजनीति, दोनों ही मौकों पर बिहार ने बदलाव का नेतृत्व किया। अब जबकि पिछले एक दशक से देश में राष्ट्रवादी राजनीति हावी होती…
Read Moreइजरायल और हमास के युद्ध से मानवता पर बढ़ता खतरा
-ललित गर्ग- रूस और यूक्रेन के बाद अब इजरायल और हमास के बीच धमासान युद्ध के काले बादल विश्व युद्ध की संभावनाओं को बल देते हुए लाखों लोगों के रोने-सिसकने एवं बर्बाद होने का सबब बन रहे हैं। युद्ध की बढ़ती मानसिकता विकसित मानव समाज पर कलंक का टीका है। हमास ने नासमझी दिखाते हुए आतंकी हमला करके सोये शेर को जगा दिया है। आतंकी हमले का पहला राउंड इस मायने में पूरा हुआ माना जा सकता है कि उसे अंजाम देने वाले संगठन हमास ने कहा है कि उसका…
Read Moreऔचित्यहीन प्रतिबंध !
मणिपुर की जानी-मानी अभिनेत्री सोमा लैशराम पर एक स्थानीय सिविल सोसायटी आॅर्गेनाइजेशन कांगलीपाक कानबा लुप (केकेएल) ने तीन वर्ष का प्रतिबंध लगाने की घोषणा की है। यह सर्वथा चिन्ताजनक है। यह ठीक है कि मणिपुर विगत मई माह से जिस तरह की हिंसा और नफरत के दौर से गुजर रहा है, वह अत्यन्त दुखद है। इस स्थिति ने वहां के लोगों के बीच के आपसी प्यार और विश्वास को बुरी तरह तोड़ा है। लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि इन कारणों को आधार बना कर राज्य से बाहर देश की…
Read Moreनई संसद की ऐतिहासिक पहल ‘नारी शक्ति वंदन अधिनियम ‘
विजय केसरी 19 सितंबर का दिन सदा सदा के लिए एक ऐतिहासिक महत्व का दिन बन चुका है। आज नई संसद में मोदी सरकार ने नारी शक्ति वंदन अधिनियम प्रस्तुत किया। यह बिल बिना किसी रोक-टोक के सर्वसम्मति से पारित हो जाएगा। देश की आजादी के बाद महिलाओं के आरक्षण पर विभिन्न राजनीतिक पार्टियां विचार जरूर करती रही है,लेकिन इस तरह का मसौदा पहली बार संसद में पेश हुआ है । नारी शक्ति वंदन अधिनियम के अस्तित्व में आ जाने के बाद वर्तमान में पार्लियामेंट में स्त्रियों की संख्या 82…
Read Moreज्ञानवापी मंदिर क्या है, जानें इसका इतिहास
पुराणों के अनुसार, ज्ञानवापी की उत्पत्ति तब हुई थी जब धरती पर गंगा नहीं थी और इंसान पानी के लिए बूंद-बूंद तरसता था तब भगवान शिव ने स्वयं अपने अभिषेक के लिए त्रिशूल चलाकर जल निकाला। यही पर भगवान शिव ने माता पार्वती को ज्ञान दिया। इसीलिए, इसका नाम ज्ञानवापी पड़ा और जहां से जल निकला उसे ज्ञानवापी कुंड कहा गया। ज्ञानवापी का उल्लेख हिंदू धर्म के पुराणों मे मिलता है तो फिर ये मस्जिद के साथ नाम कैसे जुड़ गया? वापी का अर्थ होता है तालाब। ज्ञानवापी का सम्पूर्ण…
Read Moreनवनीत और हिन्दुत्व के प्रताप से उद्धव ठाकरे का सूफड़ा भी साफ हो सकता है
आचार्य श्री विष्णुगुप्त उद्धव ठाकरे और बाल ठाकरे में वास्तविक अंतर क्या है? बाल ठाकरे अपने विचारों में अटल थे, स्पष्टवादी थे और प्रखर भी थे। उनके लिए सत्ता महत्वपूर्ण थी, उनके लिए हिन्दुत्व ही महत्वपूर्ण था। हिन्दुत्व को लेकर वे कभी समझौता नहीं किये। सत्ता में बैठना उन्हें पंसद नहीं था। सत्ता में बैठने के अवसर आने पर भी उन्होंने जोशी और नारायण राणे को मुख्यमंत्री बनाया था। बाल ठाकरे चाहते तो कांग्रेस या शरद पावर के साथ समझौता कर शिव सैना की सरकार बनवा सकते थे। बाबारी मस्जिद…
Read Moreपुटलु की भी फ़िक्र कीजिए नेता जी…
कुमार कौशलेन्द्र पिछले दिनों मेरी मुलाकात झारखंड की सियासत में बवाल और तख्ता पलट का कारण बने हाट गम्हरिया-चाईबासा पथ पर एक बालक से हुई. मुश्किल से 5 साल का है बालक. चिथड़े से आधा-अधूरा ढका तन किन्तु आत्मविश्वास से लबरेज। हाट गम्हरिया-चाईबासा पथ पर आप भी मिल सकते हैं सरकार की घोषणाओं और व्यवस्था को मुंह चिढ़ाते नन्हें शिल्पकार से. इल्लीगढढा गांव का वह नन्हा सा विश्वकर्मा रेलवे फाटक के पास आपको भी मिल जायेगा. उस सरीखे अन्य भी मिलेंगे। स्वाभाविक है आप सोच रहे होंगे कि ये बालक…
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