अयोध्या मामला: निर्मोही अखाड़े ने केंद्र की 67.7 एकड़ जमीन लौटाने की मांग का किया विरोध

नई दिल्ली। अयोध्या मामले में एक नया मोड़ आ गया है। निर्मोही अखाड़े ने सुप्रीम कोर्ट में एक नई याचिका दायर की है। निर्मोही अखाड़े ने केंद्र सरकार की उस मांग पर आपत्ति जताई जिसमें केंद्र ने कोर्ट से 67.7 एकड अधिगृहित जमीन को राम जन्मभूमि न्यास को लौटाने की अनुमति मांगी है। निर्मोही अखाड़े ने अर्ज़ी में कहा है कि सरकार द्वारा जमीन का अधिग्रहण करने के दौरान कई मंदिरों को नुकसान पहुंचा था। अखाड़ा चाहता है कि अब कोर्ट इसपर फैसला ले। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में विवादित जमीन छोड़कर बाकी जमीन पर यथास्थिति हटाने की अर्जी दी थी। 26 मार्च को भी निर्मोही अखाड़ा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर सुप्रीम कोर्ट के मध्यस्थता के आदेश में संशोधन करने की मांग की थी। निर्मोही अखाड़े ने मध्यस्थता प्रक्रिया में दो और मध्यस्थों को शामिल करने की मांग की है। निर्मोही अखाड़े की मांग थी कि मध्यस्थता पैनल में दो रिटायर्ड जजों को शामिल किया जाए। याचिका में कहा गया था कि मध्यस्थता फैजाबाद की बजाय दिल्ली में की जाए। आठ मार्च को सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या मामले पर मध्यस्थता का आदेश दिया था। कोर्ट ने कहा था कि मध्यस्थता के लिए कोई कानूनी अड़चन नहीं है। कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड जज जस्टिस एस एम कलीफुल्ला की अध्यक्षता में तीन सदस्यीय मध्यस्थों की नियुक्ति का आदेश दिया था। बाकी दो मध्यस्थ श्री श्री रविशंकर और वकील श्रीराम पांचू हैं। कोर्ट ने मध्यस्थता की प्रक्रिया गुप्त रखने का आदेश दिया था। कोर्ट ने मध्यस्थता की प्रक्रिया 8 हफ्ते में पूरी करने का आदेश दिया था।

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