डिमापुर । नगालैंड के मोन जिले में शनिवार को हुए उग्रवादियों द्वारा घात लगाकर किए गए हमले में तीन जवानों के शहीद होने तथा तीन के गंभीर रूप घायल होने की जानकारी सामने आई है। इस हमले की पुष्टि असम रायफल के सूत्रों ने की है। माना जा रहा है कि इस हमले के पीछे एनएससीए (खापलांग) का हाथ हो सकता है।
प्राथमिक जानकारी के अनुसार यह हमला मोन जिले के उखा और तोबू के बीच थान्याक इलाके में हुई है। असम रायफल की 40वीं बटालियन का एक गश्ती दल इलाके से गुजर रहा था। पहाड़ी और जंगली इलाके में संदिग्ध उग्रवादियों ने घात लगाकर जवानों पर स्वचालित हथियारों से अंधाधुंध फायरिंग की। जब तक जवान अलर्ट हो पाते तब तक दो जवान मौके पर ही शहीद हो गए, जबकि चार जवान गंभीर रूप से घायल हो गए। बाद में एक और जवान शहीद हो गया। सूत्रों ने बताया है कि सुरक्षा बल व उग्रवादियों के बीच लगभग एक घंटे तक जमकर गोलीबारी हुई, जिसकी वजह से उग्रवादी हथियार नहीं छीन पाए। बाद में उग्रवादी मौके से फरार हो गए।
घटना की जानकारी मिलते ही मौके पर पुलिस व केंद्रीय अर्धसैनिक बल व सेना के जवान मौके पर पहुंचकर इलाके में तलाशी अभियान तेज कर दिया। साथ ही पूरे इलाके को घेर लिया है। हालांकि यह पता नहीं चल सका है कि हमले के पीछे एनएससीएन के किस धड़े का हाथ है। ज्ञात हो कि एनएससीएन (आईएम) व केंद्र सरकार के साथ संघर्ष विराम है।
उधर, म्यांमार में म्यांमार की सेना एनएससीएन (खापलांग) के विरुद्ध गत वर्ष नवम्बर माह से ही अभियान चला रही है। इसके चलते एनएससीएन (खापलांग) समेत पूर्वोत्तर के सभी उग्रवादी संगठनों को भारी नुकसान हुआ है। पूर्वोत्तर के उग्रवादी यह मान रहे हैं कि म्यांमार में उनके खिलाफ की जा रही कार्रवाई के पीछे भारत सरकार है। इसी वजह से एनएससीएन (खापलांग) भारती सेना व अन्य लोगों को निशाना बना सकता है। इस तरह की सूचना खुफिया एजेंसियों ने पहले ही बताया था। हाल ही में अरुणाचल के एक विधायक समेत कुल 11 लोगों पर भी इसी तरह से उग्रवादियों ने हमला कर मौत के घाट उतार दिया था।
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