रांची: अंजुमन फ़रोग़ ए उर्दू के तत्वावधान में रविवार को मस्जिद जाफरिया, रांची में डॉ राशिद अनवर राशिद के निधन पर एक शोक सभा का आयोजन किया गया। जिसमें शहर के कई प्रमुख लेखकों ने अपने विचार व्यक्त किये। राशिद अनवर राशिद पिछले दो साल से बीमारी से पीड़ित थे । उन्होंने 7 अप्रैल, 2024 की सुबह मुंबई के टाटा कैंसर अस्पताल में अंतिम सांस ली। उनका जन्म 27 मई, 1970 को रांची में हुआ था।
छात्र जीवन से ही उन्हें पढ़ने- लिखने का शौक था. उनके लेख देश की प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में प्रकाशित होते थे। 1999 में उन्होंने अस्थायी रूप से जामिया मिलिया इस्लामिया, नई दिल्ली से अपना व्यावहारिक जीवन शुरू किया। वर्ष 2003 में करीम सिटी कॉलेज, जमशेदपुर में उन्हें स्थायी रूप से नियुक्त किया गया। उनकी साहित्यिक उपलब्धियाँ काफी लंबी हैं।
कार्यक्रम की शुरुआत मो० दानिश अयाज़ द्वारा पवित्र कुरान की तिलावत से हुई। इसके बाद डॉ. मुहम्मद गालिब नश्तर ने राशिद अनवर राशिद का विस्तृत परिचय दिया। इसके अलावा रांची के राशिद अनवर राशिद के बचपन के दोस्तों में गयासुद्दीन और महफूज जावेद ने अपने स्कूल के दिनों की यादें साझा कीं। मौलाना सैय्यद तहजीबुल हसन रिज़वी ने उनकी साहित्यिक उपलब्धियों को याद किया और उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में डॉ. मो० मोकम्मल हुसैन ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि राशिद अनवर राशिद विद्वान थे, हैं और रहेंगे। इसका अनुमान उनके काव्य और गद्य संग्रहों से होता है। डॉ. शगुफ्ता बानो ने राशिद अनवर राशिद को याद किया और उनकी मगफिरत के लिए दुआ की। तबीब अहसन ताबिश ने उनकी जीवनी पर विस्तृत बातचीत की। दिलशाद नज़मी ने श्रद्धांजलि देते हुए उनके उत्कृष्ट कार्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ. वकील अहमद रिज़वी ने की । उन्होंने राशिद अनवर राशिद के साहित्यिक एवं गैर-साहित्यिक कार्यों को याद किया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. अब्दुल बासित ने किया।कार्यक्रम में अंजुमन फ़रोग़ ए उर्दू के अध्यक्ष डॉ. मो,० इकबाल खान, कारी मंसूर आलम सहित अन्य उपस्थित थे।
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