रांची। झारखंड हाई कोर्ट में द्वितीय जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा की सीबीआई जांच कराने वाली बुद्धदेव उरांव की जनहित याचिका एवं राज्य सरकार की अपील की सुनवाई गुरुवार को हुई।
मामले में चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्रा की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने सीबीआई की अधिवक्ता से जानना चाहा कि मामले में 13 साल बीत जाने के बाद भी अब तक अनुसंधान क्यों नहीं पूरा हुआ। अनुसंधान पूरा करने में देरी क्यों हो रही है और यह कब तक पूरा होगा। यदि सीबीआई को कुछ गड़बड़ियां मिली है तो आरोप पत्र दाखिल कर जांच पूरा किया जाना चाहिए था लेकिन ऐसा नहीं हुआ है।
कोर्ट ने अगली सुनवाई में सीबीआई के अनुसंधानकर्ता (आईओ) को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट के समक्ष उपस्थित रहने का निर्देश देते हुए मामले की अगली सुनवाई 15 दिसंबर निर्धारित की है। मामले में सीबीआई की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दाखिल किया जा चुका है।
सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के अधिवक्ता राजीव कुमार की ओर से कोर्ट को बताया गया कि वर्ष 2011 में मामले को लेकर एंटी करप्शन ब्यूरो ने एफआईआर दर्ज की थी। बाद में हाई कोर्ट के आदेश के आलोक में यह मामला सीबीआई को गया था लेकिन 13 साल बीतने के बाद भी सीबीआई ने अब तक जांच पूरी नहीं की है और मामले में आरोपपत्र भी दाखिल नहीं किया गया है।
पिछली सुनवाई में सीबीआई ने कोर्ट को बताया था की प्रथम और द्वितीय जीपीएससी सिविल सेवा परीक्षा गड़बड़ी मामले में अनुसंधान अभी जारी है। बुद्धदेव उरांव ने जेपीएससी प्रथम एवं द्वितीय की परीक्षा में अंकों की हेराफेरी एवं एवं रिजल्ट प्रकाशन में गड़बड़ी की जांच सीबीआई से कराने का आग्रह किया है। राज्य सरकार की ओर से जेपीएससी द्वितीय के नियुक्त अधिकारियों के खिलाफ एलपीए दायर किया गया है। प्रथम एवं द्वितीय जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा में गड़बड़ी की जांच निगरानी ब्यूरो कर रही थी, जिसे बाद में हाई कोर्ट के आदेश पर इसकी जांच सीबीआई को दे दिया गया था।
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