बेड़ो में पड़हा प्रेमियों ने पड़हा जतरा के उद्देश्यों को अक्षुण्ण बनाए रखने का लिया संकल्प

बेड़ो : प्रखंड मुख्यालय के बाजार टांड़ में 56 वां व् बारीडीह बगीचा में 33 वां पड़हा जतरा का आयोजन शुक्रवार को हुआ। अपनी धर्म,सामाजिक संस्कृति व पहचान से सजी पड़हा राजाओं को पड़हा निशानी रंपा चंपा टेंगरी छाता व काठ के बने घोड़े हाथी पर बिठाकर (बेड़ो बाजार टांड़ व बारीडीह बगीचा) में शोभायात्रा निकालते हुए ऐतिहासिक तीन जून पड़हा जतरा सह सभा सम्मेलन का आयोजन किया गया। जहां हजारों की संख्या में लोगों व पड़हा प्रेमियों ने जतरा सह सभा में भाग लिया। इस दौरान पड़हा राजाओं व पड़हा प्रेमियों ने एक स्वर से पड़हा क्षेत्र की सामाजिक व सांस्कृतिक व्यवस्था को मजबूत व संरक्षित करने का संकल्प लिया।

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इस दौरान महोत्सव के संस्थापक सह पूर्व मंत्री स्व करमचंद भगत व दिवंगत 21 पड़हा राजा कुल्ली गंदरू उरांव की तस्वीर पर माल्यार्पण करते हुए पड़हा प्रेमियों ने उन्हें श्रद्धांजलि दिया। वहीं कार्यक्रम की अध्यक्षता करते विनोबा भावे विश्वविद्यालय हजारीबाग के पूर्व वीसी डॉ रविन्द्र नाथ भगत ने कहा कि पड़हा व्यवस्था हमारी अनमोल विरासत है। इसकी सामाजिक, सांस्कृतिक पहचान लोकगीतों व परंपरागत नाच गान के अस्तित्व को अक्षुण्ण बनाए रखना हमारा कर्तव्य है। उन्होंने कहा कि पड़हा व्यवस्था जनजातीय क्षेत्र में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका का सम्मिश्रित स्वरूप का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि पड़हा व्यवस्था जैसे अनमोल सामाजिक व सांस्कृतिक धरोहर की रक्षा के लिए हमें एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी चाहिए।

इसका मूल उद्देश्य समाजिक समरसता, भाईचारा,एकता,सद्भावना और समग्र विकास है। इधर दर्जनों पड़हा राजाओं ने कहा कि वर्तमान में जनजातीय सामाजिक व सांस्कृतिक व्यवस्था को कायम रखने के लिए हमें एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी होगी। हमें हमारी सामाजिक परंपरा व हक अधिकार को संरक्षित रखने का संकल्प लेना होगा। पड़हा व्यवस्था जनजातीय सामाजिक व सांस्कृतिक परंपरा के राह पर आए तमाम विभिन्न समस्याओं के समाधान का एक सशक्त मंच और आधार है। हमें इस विरासत के अस्तित्व व उद्देश्य की रक्षा के लिए एकजुट होकर आवाज बुलंद करनी चाहिए। वही झारखंड राज्य के दो विभूतियों व पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित कलाकार मुकुंद नायक व मधु मंसूरी को सम्मानित किया गया।

मौके पर पड़हा राजाओं में 21 पडहा चिल्दिरी पेरो उरांव,12 पड़हा इटकी अमन उरांव,12 पड़हा कोटा महादेव उरांव,21 पड़हा केसारो बबलू पहान,22 पड़हा सिंगपुर लोदो मुण्डा,7 पड़हा नेहालू भौंरा उरांव, 21पड़हा कुल्ली मदन उरांव,10 पड़हा कटरमाली कोमल उरांव,8 पड़हा चरवा उरांव,12 पड़हा खरतंगा रंथू उरांव,22 पड़हा सपारोम लालवंत सांगा,24पड़हा बजरा चरी पहान व 7पड़हा बिरसा उरांव आदि ने अपने विचार रखे। इस दौरान रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत कर विभिन्न कलाकारों ने जनमानस को बांधे रखा। वहीं महोत्सव को सफल बनाने में प्रो मंगा उरांव, गोयंदा उरांव,विशु उरांव, सुकरा उरांव, मुन्ना बड़ाईक आदि दर्जनों ग्रामीणों ने सराहनीय योगदान दिया। वहीं महोत्सव का संचालन मुन्ना बड़ाईक व गोयन्दा उरांव ने किया।

इधर बेड़ो से दो किलोमीटर दुर बेड़ो के बारीडीह बगीचा में केंद्रीय पाड़हा संचालन समिति के संरक्षक डाॅ दिवाकर मिंज व नीलमणी भगत, अध्यक्ष जुगेश उरांव के नेतृत्व में पाड़हा के लोगों ने पारंपरिक वेशभूषा, पाड़हा झंडे के प्रतीक चिन्ह लकड़ी से बने घोड़े,हाथी,रंपा, चंपा,टेंगरा छाता व खोड़हा नृत्य दल के साथ गाजा बाजा लेकर भव्य शोभायात्रा निकाली। शोभायात्रा मंच के समीप पहुंचते ही एक विशाल जनसभा में तब्दील हो गयी। समारोह की अध्यक्षता करते हुए जुगेश उरांव ने कहा कि जतरा हमारी संस्कृति और समाज की धरोहर है। जतरा से आपसी सौहार्द और प्रेम बढ़ता है, यह एक माध्यम है जिससे लोगों के मेल मिलाप का अवसर मिलता है। वही डा दिवाकर मिंज ने कहा कि आदिवासीयों की सांस्कृति को हजारों वर्ष से भ्रष्ट करने की कोशिश जारी रही है। इस बदलते परिवेश में हमारे पूर्वजों के पाड़हा समाज को बचाना है। जब तक हम आदिवासी हैं। तबतक हमारी सभ्यता सांस्कृति व परंपरा कायम रहेगी।

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हमारी सांस्कृति परंपराओं से चली आ रही है। यह संविधान में नहीं है और न लिखित है।हमारे पुर्वजों से पीढ़ी दर पीढ़ी धरोहर के रूप में मिलते आ रही है। जो कुदरत से जुड़ी हुई है।उन्होंने इस इसे युवा पीढ़ी लिपिबद्ध करे और अपनी श्रेष्ठता सिद्ध करें। अधिवक्ता रेनु कुजूर ने कहा कि हमारी परंपरा, संस्कृति और भाषा को बचाए रखने में ही हमारी पहचान है। अपने पूर्वजों के आर्शिवाद को आगे बढ़ाने के लिए नयी पीढ़ी को इस परंपरा को बचाना होगा। साथ ही पाड़हा समिति के द्वारा पड़हा राजा पद्मश्री सिमोन उरांव सहित पड़हा राजा समिति व खोड़हा दलों को सम्मानित किया गया।

पड़हा जतरा के समारोह का संचालन सचिव धनंजय कुमार राय व झिंगुवा टाना भगत ने किया। वहीं प्रो सोमरा उरांव, एतवा उरांव,भौवा उरांव,घिनु उरांव, राकेश भगत समेत कई लोगों ने सम्बोधित किया। सभा के पूर्व पूर्व विधायक सह पाड़हा जतरा के संस्थापक स्व विश्वनाथ भगत को दो मिनट मौन धारण कर श्रद्धांजलि अर्पित किया गया।पड़हा जतरा को सफल बनाने में ग्राम प्रधान विनोद उरांव विश्वनाथ गोप,गोपाल उरांव, पीटर तिर्की, बंधना उरांव,अनिल टोप्पो, तेम्बु उरांव,श्याम मुण्डा,भीखा उरांव,जौवा उरांव,लोहरा उरांव,रशीद मीर,लीला मुंडा व महिला सदस्यों समेत अन्य लोगो ने अहम भूमिका निभायी।

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