वाशिंगटन। यहां वैज्ञानिकों को ऐसा खनिज मिला है जो इससे पहले कभी नहीं देखा गया था और इसे वहां पाया गया है जहां इसके होने की उम्मीद भी शायद नहीं होगी। यह खनिज हीरे के अंदर पाया गया है। पृथ्वी के सतह की बहुत गहराइयों में पाया गया है जिसे डेवमाओआइट नाम दिया गया है। पृथ्वी की गहरी खान में मिला यह खनिज कैल्शियम सिलेकेट पेरोवस्काइट है। यह निचले मेंटल में पाए जाने वाले उच्च दबाव और तापमान वाले हालात में बनता है। इस खनिज को भूभैतिकविद हो क्वांग (डेव) माओ का नाम दिया गया है।
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उन्होंने उच्च दबाद वाले तत्वों पर अध्ययन किया है। इस खनिज की क्रस्टलीय संचरना है जो उच्च तापमान और दबाव के हालात में पृथ्वी की क्रोड़ और पर्पटी के बीच की परत में ही पाया जाता है।वैज्ञानिकों ने काफी पहले ही यह अनुमान लगा लिया था कि इस तरह खनिज पृथ्वी की सतह पर नहीं मिल सकते हैं। अध्ययन में शोधकर्ताओं ने कहा कि कैल्शियम सिलिकेट पेरोवस्काइट निचले मेंटल के बहुत अहम भूरासायनिक अवस्था में बनता है। क्योंकि इसके तत्व ऊपरी मेंटल के साथ मेल नहीं खाते हैं।
इस खनिज के रासायनिक विश्लेषण से पता चला है कि इसमें यूरेनियम, थोरियम और पोटैशियम के आइसोटोप मौजूद हैं। शोधपत्र में कहा गया है कि डेवमाओआइट में तीन बड़े ऊष्मा पैदा करने वाले तत्व हो सकते हैं और पुराने प्रयोगों से पता चलता है कि यूरेनियम, और थोरियम इनमें शामिल हैं। इन्ही तत्वों से पृथ्वी के निचले मेंटल में ऊष्मा पैदा होती है। इस अध्ययन की अगुआई नेवाडा यूनिवर्रिटी के जियोसाइंस विभाग के ओलिवर शॉनर ने की है। शोधकर्ताओं ने बोट्सवाना के ओरापा खान, जो दुनियाकी सबसे बड़ी खुली हीरे की खदान है, में से निकले एक हरे रंग का अष्टकोणीय आकर के हीरे का अध्ययन किया।
नेचर के मुताबिक क यह हीरा कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के खनिजविद जॉर्ड रॉसमैन को बेचा गया था। और शॉनर ने इस हीरे के अंदर के खनिजों की पड़ताल की। उन्होंने लाइव साइंस को बताया कि इस खनिज की खोज चौंकाने वाली रही। इस तरह के खनिज दूसरी स्थितियों में अपने रासायनिक संचरना खो देते हैं। इस नई खोज वैज्ञानिक समुदाय के लिए अहम है क्योंकि इसने अपना दशकों पहले पृथ्वी से बाहर आने वाली अपनी पुरानी संरचना को गंवाया नहीं है।
इसका सबसे प्रमुख कारण ये है कि यह पृथ्वी की गहराई में मिलने वाले हीरे के अंदर था, यह केवल दूसरा ऐसा उच्च दाब वाला मेंटल सिलिकेट हैं जो पृथ्वी की सतह पर देखा जा सका है।
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इसे अब वैज्ञानिक नामकरण के लिए नवीन खनिज अंतरराष्ट्रीय खनिज विज्ञान संघ आयोग ने स्वीकार कर लिया है। बता दें कि बहुत सी जगहों के बारे में जानने बाद भी कई जगह वैज्ञानिकों को अजीब चीजें मिल जाती है। कई बार कोई चीज ऐसी जगह मिलती है जहां उसका होना चौंकाता है तो कई बार किसी का किसी अनोखी जगह पर मिलना चौंकाता है।
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