- नवरात्र पर बच्चों ने प्रस्तुत की नौ दुर्गा की महिमा
- भजन से माहौल बना भक्तिमय।
- ऑनलाइन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ
नवरात्र के अवसर पर श्री अग्रसेन स्कूल, भुरकुंडा में विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। छोटे बच्चे इस कार्यक्रम में ऑनलाइन जुड़े। ऑनलाइन जुड़े बच्चों ने माता दुर्गा के सभी नौ रूप स्कंद माता, शैलपुत्री, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री, चंद्रघंटा, ब्रह्मचारिणी, कात्यायिनी और कुष्मांडा का रूप व भाव-भंगिमा में अपनी प्रस्तुति देते हुए सभी का मन मोह लिया। इसके अलावा बच्चे प्रभु श्री राम, लक्ष्मण, सीता, जनक, रावण, महिषासुर, कुंभकर्ण आदि की वेशभूषा में भी सजे थे। आयोजन में कई अभिभावकों ने भी जुड़कर रामायण की चौपाई सुनाई। विद्यालय में विद्यार्थियों ने कोरोना वायरस से विश्व की सुरक्षा को दर्शाते हुए माता दुर्गा के हाथों कोरोना वायरस के वध का मंचन किया। इस अवसर पर आचार्य लीलेश्वर पांडेय ने नवरात्र की महिमा का वर्णन किया। साथ ही माता दुर्गा के सभी नौ रूपों की महिमा बच्चों को सुनाई।
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देवी को मंदिर में ही नहीं अपने मन में भी बसाइए। जीती जागती देवी स्वरूप स्त्री का सदैव आदर करें। यही नवरात्रि का सही सार है।
निदेशक प्रवीण राजगढ़िया
स्कूल के निदेशक प्रवीण राजगढ़िया ने अपने संबोधन में कहा कि आपके घर में भी माँ, बहन, बेटी के रूप में एक चलती-बोलती लक्ष्मी है जो पानी भी भरती है, अन्नपूर्णा बनके भोजन भी बनाती है। गृहलक्ष्मी बन कर कुटुम्ब सम्भालती है और सरस्वती बन कर बच्चों को शिक्षा देती है। दुर्गा बनकर संकटों का सामना करती है। इसलिए उनकी पूजा न सही, परंतु उसके स्त्री होने का सम्मान ज़रूरी है। उन्होंने कहा कि देवी को मंदिर में ही नहीं अपने मन में भी बसाइए। जीती जागती देवी स्वरूप स्त्री का सदैव आदर करें। यही नवरात्रि का सही सार है।
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प्राचार्या नीलकमल सिन्हा ने कहा कि भारतीय संस्कृति के हमारे पर्व-त्योहार समाज को मजबूत बनाने एवं एकसूत्र में पिरोने का काम करते हैं। मां दुर्गा की आराधना सच्चे मन से करने पर सभी कष्ट स्वत: खत्म हो जाते है। दुर्गा पूजा असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। हम सभी को अपने जीवन में किसी भी परिस्थिति में हमेशा सत्य के मार्ग को ही चुनना चाहिए।
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