Ranchi : 25 सितम्बर हम सभी कार्यकर्ताओं के लिए महत्वपूर्ण दिन है! पंडित दीनदयाल उपाध्याय के दिखाये गये मार्ग एवं वैचारिक सिद्धांतों की प्रेरणा से भाजपा नेतृत्व वाली केन्द्र एवं राज्य सरकारें निरंतर विकास और सुशासन के पथ पर चल रही है। इस दिन हम सभी के प्रेरणास्रोत, भारतीय राजनीति के नीतिमान पुरुष, सनातन संस्कृति के महानायक पं. दीनदयाल उपाध्याय जी का जन्म हुआ था। पूर्ववर्ती जनसंघ से वर्तमान भाजपा तक की लम्बी यात्रा में पंडित जी के कार्यो, उनके द्वारा प्रतिपादित विचारों एवं दर्शन का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। भारतीय जनता पार्टी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के ‘‘अंत्योदय’ एवं ‘‘एकात्म मानववाद’ के दर्शन पर चलकर ही आज इस मुकाम तक पहुंची है।
पंडित दीनदयाल उपाध्याय जीवन :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय बाल्यकाल में ही पिता और माता की छाया से वंचित मेधावी एवं साहसी बालक थे। पंडित दीनदयाल उपाध्याय का सम्पूर्ण राजनीतिक व सामाजिक जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय अत्यंत मेधावी, प्रखर चेतना के धनी, लेखक, पत्रकार, चिंतक, तपस्वी, राष्ट्रभक्त एवं निष्काम कर्मयोगी थे। कल्याणपुर हाईस्कूल, सीकर अजमेर बोर्ड से मैट्रिक की परीक्षा में प्रथम श्रेणी में सर्वप्रथम स्थान, बिड़ला काॅलेज, पिलानी से इंटरमीडिएट में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हुए। स्नातक की परीक्षा भी उन्होंने प्रथम श्रेणी में सनातन धर्म काॅलेज, कानपुर से उत्तीर्ण की। वर्ष 1937 में वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सम्पर्क में आए तथा उन्होंने समाज एवं राष्ट्र के लिए अपना सर्वस्व अर्पित करने का निश्चय किया। अपनी संगठन क्षमता के बल पर 1942 में लखीमपुर जिला प्रचारक, इसके कुछ दिनों बाद वे सह प्रांत प्रचारक बने। डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने कानपुर अधिवेशन में उन्हें भारतीय जनसंघ का राष्ट्रीय महामंत्री का दायित्व दिया। वर्ष 1951 में जब भारतीय जनसंघ की स्थापना हुई तब उन्होंने भारतीय जनसंघ में अपनी सेवाएं समर्पित की। डाॅ. मुखर्जी ने पंडित दीनदयाल उपाध्याय की कार्यक्षमता, प्रतिभा, संगठन कौशल से प्रभावित होकर कहा था कि ‘‘यदि मेरे पास दो और दीनदयाल हों तो मैं भारत का राजनीतिक रूप बदल दूंगा।
अखिल भारतीय स्वरूप देने की जिम्मेवारी :
डाॅ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के निधन के बाद जनसंघ को अखिल भारतीय स्वरूप देने की पूरी जिम्मेवारी पंडित दीनदयाल उपाध्याय के उपर आ गया। उन्होंने अपनी संगठन कुशलता, प्रतिभा लेखन, प्रवास आदि के माध्यम से संगठन के नीति, सिद्धांत एवं विचारों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया। निरंतर प्रवास, बैठक, संवाद, समन्वय के माध्यम से उन्होंने एक-एक कार्यकर्ता का निर्माण कर उन्हें राष्ट्रीय पुर्ननिर्माण के कार्य में लगा दिया। उनका व्यक्तित्व विराट था परंतु जीवन शैली अत्यंत सरल और सादगी से भरा था। ‘‘सादा जीवन उच्च विचार’’ की प्रतिमूर्ति पंडित जी ने भारत के आम जनजीवन में व्याप्त गरीबी, दुख एवं कष्ट को काफी नजदीक से देखा था। उनकी सांगठनिक कार्य कुशलता, मेहनत, लगन, परिश्रम, नेतृत्व क्षमता, संवाद शैली एवं मिलनसार व्यक्तित्व के कारण भारतीय जनसंघ वर्ष 1967 तक आते-आते देश की दूसरी बड़ी राजनीतिक शक्ति बन गया। भारत की सामाजिक संरचना, भारत के लोगों के स्वभाव, रहन-सहन की विविधता, उनकी आर्थिक गतिविधियां, उनकी कार्य क्षमता इन सभी का उन्होंने गहराई से अध्ययन किया था। वे धर्म सापेक्ष राज्य व्यवस्था के पक्षधर थे। राजनीति को वे लोकसेवा का माध्यम मानते थे।
विकास की कल्पना :
पंडित दीनदयाल उपाध्याय द्वारा प्रतिपादित ‘‘एकात्म मानववाद’’ समग्रता का दृष्टिकोण है, यह दर्शन सर्वस्पर्शी है। पंडित दीनदयाल जी व्यक्ति और समाज के भौतिक और आध्यात्मिक दोनों के सामंजस्यपूर्ण विकास के दृष्टिकोण पर बल देते थे। समाज के सबसे अंतिम पंक्ति में खड़ा सबसे अंतिम व्यक्ति के विकास की कल्पना उन्होंने की थी। वे गरीबों एवं वंचितों को ‘‘नारायण’’ मानते थे। वे मानते थे कि सभी योजनाओं के केन्द्र में वह व्यक्ति होना चाहिए जो सबसे गरीब है, जहां तक विकास की किरणें नहीं पहुंच पाई है, जो अनपढ़, अशिक्षित और वंचित है, मजदूर है, किसान है, रिक्शावाले हैं। विकास के अंतिम पायदान पर खड़े व्यक्ति का उदय ही अंत्योदय है। इस अंत्योदय को साकार करना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए। जिस प्रकार सम्पूर्ण जगत को आलोकित करने के लिए भगवान, सूर्य के रूप में प्रकट होकर बाहरी अंधकार को नष्ट करते हैं, उसी प्रकार मानव के हृदय के भीतरी अंधकार को दूर करने के लिए पंडित दीनदयाल उपाध्याय ने ‘‘एकात्म मानववाद’’ का सिद्धांत दिया। प्रत्येक मनुष्य की आत्मा में अपनी आत्मा का दर्शन ही एकात्म मानव दर्शन है। ऐसा दर्शन कोई अपनी बाह्य दृष्टि से नहीं कर सकता, उसके लिए अंर्तदृष्टि आवश्यक है।
पंडित दीनदयाल जी के लक्ष्य की पूर्ति करती केंद्र सरकार :
स्टार्ट अप योजना, मुद्रा योजना के साथ-साथ युवाओं को हुनरमंद बनाकर उन्हें स्वरोजगार की दिशा में प्रोत्साहित करना जैसे कार्य दीनदयाल जी के ‘‘हर हाथ को काम’’ के लक्ष्य की ही पूर्ति करता है। आज प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में युवाओं के रोजगार के लिए कई कार्य किए गए हैं। इसी प्रकार ‘‘हर खेत को पानी’’ पर दीनदयाल जी के चिंतन को आगे बढ़ाते हुए प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने किसानों एवं कृषि विकास के लिए कई कार्य किए हैं। वर्ष 2022 तक किसानो की आय दोगुनी करते के लक्ष्य के साथ केन्द्र सरकार ने किसानों के हित में तीन कृषि कानून लागू किया है, जो किसानों को उसकी उपज का वाजिब मूल्य दिलाने में सहायक सिद्ध हो रहा है, किसानों को अपनी उपज अपनी इच्छा से कहीं भी बेचने की स्वतंत्रता दे रहा है।
पंडित दीनदयाल जी के सपनों को मुकाम देती केंद्र सरकार :
पंडित दीनदयाल जी का विचार था कि आर्थिक योजनाओं तथा आर्थिक प्रगति का माप समाज के उपर की सीढ़ी पर पहुंचे हुए व्यक्ति नहीं बल्कि सबसे नीचे के स्तर पर विद्यमान व्यक्ति से होगा। पंडित जी के इन विचारों के अनुरूप ही केन्द्र सरकार अंत्योदय के उद्देश्य को पूरा कर रही है। वर्ष 2014 में सत्ता में आते ही प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने गरीबों को केन्द्रित कर दीनदयाल जी के सपनों के अनुरूप योजनायें बनायी तथा उनका सफल क्रियान्वयन किया। गरीबों को विकास की मुख्यधारा से जोड़ने तथा कल्याणकारी योजनाओं का सीधा लाभ उन तक पहुंचाने के लिए जनधन योजना शुरु की। सभी के खाते खुलवाने शुरु किए, आज 42 करोड़ से अधिक जनधन खाते खोले जा चुके हैं। गरीबों के लिए शौचालय योजना शुरु की, उज्जवला योजना के तहत 8 करोड़ से अधिक महिलाओं को गैस सिलेंडर व चूल्हा उपलब्ध करायी गयी। स्वच्छता अभियान को जनआंदोलन बनाया। श्रमिकों के कल्याण के लिए श्रम कानूनों में संशोधन किए गए।
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आत्मनिर्भर भारत अभियान में पंडित दीनदयाल जी की स्वदेशी की प्रेरणा की झलकियां :
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी द्वारा चलाये जा रहे आत्मनिर्भर भारत अभियान में पंडित दीनदयाल जी की स्वदेशी की प्रेरणा ही झलकती है। वैश्विक महामारी के दौरान देश के 80 करोड़ लोगों को चावल/गेहूं और दाल मुफ्त दिया जा रहा है। पूरे देश में मुफ्त वैक्सिन अभियान के तहत सभी लोगों का टीकाकरण जैसे कार्य अंत्योदय के उद्देश्य की पूर्ति की दृष्टि से किए जा रहे हैं। कोरोना महामारी के दौरान मा. प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी एवं मा. राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री जे.पी. नड्डा के आह्वान पर ‘‘सेवा ही संगठन’’ के माध्यम से भाजपा के करोड़ों कार्यकर्ताओं गरीब, मजदूरों, जरुरतमंदों की सेवा की विभिन्न तरीकों से सेवा की। इस आह्वान के पीछे पंडित दीनदयाल उपाध्याय के अंत्योदय की ही प्रेरणा थी। पंडित जी का जीवन, कार्य एवं चिंतन हम सभी के लिए उर्जा का स्रोत है। उनके द्वारा दिखाए गए रास्ते पर चलकर ही मानव समाज का सर्वांगीण विकास हो सकता है। पंडित दीनदयाल उपाध्याय स्वदेशी एवं स्वावलम्बन के आग्रही थे। ऐसे महान व्यक्तित्व एवं निष्काम कर्मयोगी को शत्-शत् नमन।
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