Ranchi : हमें गर्व है कि हम महान डॉ. हेडगेवार और दीनदयाल उपाध्याय जैसे प्रेरक महापुरुषों के अनुयायी हैं, जिन्होंने हमें देशभक्ति सिखायी, देश के लिए जीने मरने को प्रेरणा और मानवता के लिए समर्पण का भाव दिया है। 25 सितंबर आते ही पंडित दीनदयाल जी, जो हमारे प्रेरणास्त्रोत, मार्गदर्शक हैं, जिन्होंने स्वाधीन भारत की राजनीति को आदर्शवाद और सिद्धांत का अधिष्ठान देने का प्रयास किया, जो दल और वोट के राजनीतिक दलदल में कमलवत खिले, एकात्म मानव दर्शन के उद्गाता राजनीतिज्ञ और हमारे मार्गदर्शक रहे हैं, की स्मृति हमारे मन मस्तिष्क पर छा जाती है। एकात्मकता का सिद्धांत राष्ट्र की समृद्धि है, अस्मिता है और विकास का प्रतीक है।
मार्क्स और माओ के विचार असफल हो चुके थे। उस समय एकात्मकता यानी संपूर्णता के साथ सभी को साथ लेकर चलने और विचार करने का दर्शन देना अपने आप में एक क्रांति थी। हमने इस क्रांति को अपनी विरासत मानी। इसे विरासत बनाने में हजारों बलिदान देने पड़े हैं।संस्कृतियां अनेक हो सकती है, जातियां अनेक हो सकती हैं, वर्ग और क्षेत्र अनेक हो सकते हैं, उनमें विभिन्नता हो सकती है पर ये सभी राष्ट्र के अंग हैं।
डॉ. हेडगेवार की प्रेरणा से पंडित दीनदयाल जी ने एकात्मक मानववाद का अर्थात् संपूर्णता और एक होकर सोचने, विचारने का सिद्धांत दिया था। एक समृद्ध राष्ट्र की अनिवार्यता में समाज के अंदर फैले ऊंच-नीच के विभेद, क्षेत्रवाद, जातिवाद को समाप्त करना शामिल है। इसीलिए पंडित जी ने एकाकी का नहीं बल्कि संपूर्णता का सिद्धांत दिया था। एकात्मवाद दर्शन अनेक विपरीत परिस्थितियों और भीषण संकटों के बीच भी आज सोने की तरह दमक रहा है। जब दीनदयाल जी ने एकात्म मानववाद का दर्शन दिया था तब भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में विखंडन का दौर था।
प्रधानमंत्री आवास देकर हर किसी के अपने घर के सपने को पूरा करना हो या हर घर में शौचालय बनवाकर महिलाओं को सम्मान की जिंदगी देना हो या हर किसी को सस्ती दवा उपलब्ध कराना हो। आयुष्मान भारत के माध्यम से गरीब व्यक्ति तक बेहतर स्वास्थ्य सेवा पहुंचा हो या 70 वर्षों से बिजली की बाट जोह रहे लोगों के घर को रोशन करना हो।
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पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद को धरातल पर उतारने का कार्य देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में सफलतापूर्वक किया जा रहा है। जब मोदी जी योग से स्वस्थ रहने की सीख देते हैं, स्वच्छता को अपनाने की प्रेरणा देने के लिए स्वयं हाथों में झाडू उठाकर गंदगी साफ करते हैं, सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास की बात करते हैं, एक भारत श्रेष्ठ भारत की बात करते हैं, कोरोना जैसी बीमारी से लोगों को बचाने के लिए भागीरथी प्रयास करते हैं, अंत्योदय कार्यक्रम से गांव, गरीब, किसान, वंचित, शोषित, युवा एवं महिलाओं की कल्याण की बातें करते है, तब श्री नरेंद्र मोदी जी निश्चित तौर पर पंडित दीनदयाल जी के एकात्म मानववाद की परिकल्पना का पूर्ण करते दिखायी पड़ते हैं। पंडित जी के अंत्योदय को अपनी सरकार का मूलमंत्र मानकर मोदी जी समाज के अंतिम पायदान पर बैठे व्यक्ति की चिंता कर रहे हैं। न केवल चिंता कर रहे बल्कि लोगों तक विकास की किरण पहुंचा रहे हैं। चाहे जन-धन खाते खोलकर हर गरीब को बैंकिंग सिस्टम से जोड़ना हो या उज्जवला के माध्यम से हमारी माताओं-बहनों को धूएं से मुक्ति दिलाना हो।
योगासन को देख लीजिए। योग भारत की प्राचीन विरासत है। स्वस्थ तन व मन के लिए योग जरूरी है। प्रधानमंत्री बनने के साथ ही नरेंद्र मोदी जी ने तय किया था कि भारत की प्राचीन सभ्यता और संस्कृति का दर्शन दुनिया को कराना है। पर यह कार्य आसान नहीं था। भारत की कुटनीति रंग लायी। संयुक्त राष्ट्र संघ ने 21 जून को योग दिवस के रूप में मान्यता प्रदान को थी। आज योग के माध्यम से पूरी दुनिया में भारत की संस्कृति का डंका बज रहा है। योग को रोजगार के साथ जोड़ने की दक्षता और शक्ति नरेंद्र मोदी जी जैसे दूरदृष्टि वाले राजनीतिज्ञ हो दिला सकते हैं। प्रधानमंत्री जी ने 27 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासंघ को संबोधित करते हुए कहा था कि अगर दुनिया को स्वस्थ रहना है, गंभीर बीमारियों से मुक्त रहना है तो फिर भारत की प्राचीन योग विधि को अपनाना ही होगा। संयुक्त राष्ट्र संघ में योग दिवस मनाने का प्रस्ताव पारित कराना और विभिन्न देशों को मनाना आसान काम नहीं था।
कोरोना के दौरान गरीब कल्याण योजना के तहत 80 करोड़ लोगों को नरेंद्र मोदी जी ने अन्न उपलब्ध कराया है। कोरोना बीमारी जब से शुरू हुई है तब से आज तक निर्धन वर्ग को निःशुल्क खाद्यान उपलब्ध हो रहा है। जिसकी प्रशंसा पूरी दुनिया कर रही है। हर किसी को कोरोना का टीका मुफ्त लगाया जा रहा है।राम जन्म भूमि पर भव्य और दिव्य मंदिर का निर्माण सिर्फ हिन्दू संस्कृति का प्रचार-प्रसार भर नहीं है। यह रोजगार और पर्यटन से जुड़ेगा। देश का विदेशी मुद्रा भंडार भी बढ़ेगा। देश की अर्थव्यवस्था मजबूत होगी। जम्मू-कश्मीर से धारा 370, 35ए समाप्त कर तथा आदिवासी, दलित, शोषित, वंचितों को सुविधा देकर देश के गण की समस्या दूर करने को कार्य चल रहा है।
मोदी जी की सोच के केंद्र में व्यक्ति है, व्यक्ति के केंद्र में परिवार है, परिवार के केंद्र में समाज है, समाज के केंद्र में राष्ट्र है और फिर विश्व। अनंत ब्रह्मांड की कल्पना इसी दर्शन में है। पंडित जी के एकात्मक मानववाद के दर्शन से प्रेरणा लेकर राष्ट्र की समृद्धि और विकास की अलख जगाने, भारतीय संस्कृति और सभ्यता को विश्वभर में स्थापित करने का जो कार्य आदरणीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी कर रहे हैं, वह अद्भुत है। आचार्य जेबी कृपलानी जी के शब्दों में पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी दैवीय संपदा थे। पंडित जी को समर्थक और विरोधी दोनों ही बहुत सम्मान देते थे। भारतीय राजनीति की महान चिंतक, अजातशत्रु पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी की 105वीं जयंती पर सादर श्रद्धांजलि।
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